प्रोटेम स्पीकर की शपथ ग्रहण
24 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भरतहरि महताब ने 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि 18वीं लोकसभा का यह पहला सत्र है, जो 3 जुलाई तक चलेगा।
भरतहरि महताब, जो कि 66 वर्ष के हैं, ओडिशा के कटक लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। यह चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर 28 मार्च को तत्कालीन बीजू जनता दल (बीजद) को छोड़ने के बाद जीता। महताब अब 26 जून को स्थायी स्पीकर चुने जाने तक प्रोटेम स्पीकर के पद पर रहेंगे।
विवाद और विपक्ष की आपत्ति
महताब की प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्ति को लेकर एक विवाद भी सामने आया, जिसमें कांग्रेस ने कहा कि इस पद के लिए वरिष्ठ सदस्यों जैसे कि कोडिकुन्निल सुरेश और वीरेंद्र कुमार को चुना जाना चाहिए। कांग्रेस ने महताब की नियुक्ति पर सवाल उठाया, यह दावा करते हुए कि उनकी पार्टी के सबसे वरिष्ठ सांसदों को इस भूमिका के लिए अधिक उपयुक्त माना जाना चाहिए था।
हालांकि, इस विवाद के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि संसद में नारेबाजी की बजाय सार्थक संवाद और जिम्मेदारीपूर्ण विमर्श की जरूरत है।
प्रधानमंत्री के विचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के पहले सत्र में अपने वक्तव्य में कहा कि संसद को एक ऐसा मंच होना चाहिए जहां जनता के मुद्दों को उठाया जाए और उनके समाधान की दिशा में सार्थक चर्चा की जाए। उन्होंने सामूहिक जिम्मेदारी और सकारात्मक बातचीत की अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वक्तव्य
उन्होंने कहा, “हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक अद्वितीय लोकतांत्रिक प्रणाली दी है और हमें इसे ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ अपनाना चाहिए। संसद को ऐसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो देश और जनता के हित में हो।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, ने लोकसभा में अपनी आवाज बुलंद करने और संविधान की रक्षा करने का संकल्प लिया है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे सदन में जनता की आवाज उठाने और सरकार को जवाबदेह ठहराने के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे।
इस सत्र के दौरान कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिसमें समान नागरिक संहिता, महिला सुरक्षा, रोजगार और कृषि विकास जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे। देखना होगा कि यह सत्र भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कैसे अंकित होता है।
लोकसभा का भविष्य
एक प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल आम तौर पर बहुत छोटा होता है, लेकिन यह लोकसभा के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटेम स्पीकर का मुख्य कार्य नव-निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना और स्थायी स्पीकर के चुनाव तक लोकसभा के कार्यों का संचालन करना होता है।
इसके बाद, 26 जून को स्थायी स्पीकर के चुनाव की तैयारी की जाएगी। इस दौरान विभिन्न सांसद अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और नये स्पीकर का चयन करेंगे। स्थायी स्पीकर के चुनाव के बाद संसद अपने नियमित कार्यों को शुरू करेगी और विभिन्न महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और निर्णय लिए जाएंगे।
इस बीच, महताब के प्रोटेम स्पीकर के रूप में कार्यकाल के दौरान देखना होगा कि वह किस प्रकार विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच संतुलन बनाए रखते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावी ढंग से संचालित करते हैं।
महताब की राजनीतिक यात्रा
भरतहरि महताब का राजनीतिक करियर लंबा और समृद्ध रहा है। वह कई बार सांसद चुने जा चुके हैं और विभिन्न संसदीय कमेटियों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। महताब की अनुभव और नेतृत्व क्षमताओं के कारण उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
ओडिशा के कटक से आने वाले महताब ने अपनी राजनीति की शुरुआत बीजू जनता दल से की थी। लेकिन उन्होंने 28 मार्च को भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका दिया। इस कदम के बाद, उन्होंने भाजपा के टिकट पर कटक सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
उनकी इस नई भूमिका में, महताब के सामने कई चुनौतियाँ होंगी, लेकिन उनका अनुभव और सामर्थ्य उन्हें इस भूमिका में सफल बनाने में मदद करेगा।
प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ लेने के बाद महताब ने कहा, “मुझे इस जिम्मेदारी का अहसास है और मैं अपने कर्तव्यों का पालन पूरी इमानदारी और निष्ठा के साथ करूंगा।”
भविष्य की उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष दोनों ही इस सत्र को लोकतंत्र की बड़ी उपलब्धियों का एक मंच बनाना चाहते हैं। जनता की निगाहें अब 18वीं लोकसभा के पहले सत्र पर हैं और देखना होगा कि इस सत्र के दौरान कौन-कौन से महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं।
महताब के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ग्रहण के साथ ही, 18वीं लोकसभा का यह सत्र ऐतिहासिक बनने की उम्मीद है, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और निर्णय लिये जाएंगे।
Vaibhav Patle
ये तो बहुत अच्छी बात है! 🙌 प्रोटेम स्पीकर के रूप में भरतहरि महताब जी का चयन बहुत सही फैसला है। उनका अनुभव, शांत स्वभाव और संसदीय नियमों की गहरी समझ इस जिम्मेदारी के लिए बिल्कुल परफेक्ट है। आशा है ये सत्र बहुत उपजाऊ और सार्थक होगा। हम सबको चाहिए कि संसद को एक चर्चा का मंच बनाएं, न कि नारेबाजी का। 🌟
Garima Choudhury
ये सब बकवास है। भाजपा ने फिर से अपने लोग को नियुक्त कर दिया। कोडिकुन्निल सुरेश जैसे वरिष्ठ सांसद को छोड़कर ये कौन है? ये सब चुनावी राजनीति है। आप सब झूठ बोल रहे हो। ये स्पीकर बनने वाला अपने घर में भी अपनी बीवी को नहीं सुनता। ये लोकतंत्र का अंत है।
Hira Singh
वाह! ये तो बहुत बढ़िया खबर है! 🙏 महताब जी को बधाई! उनकी राजनीतिक यात्रा देखकर लगता है कि असली नेतृत्व तो अनुभव से आता है। अब ये सत्र बहुत अच्छा बनेगा अगर सभी दल एक साथ मिलकर काम करें। जनता के लिए ये बहुत अहम है। चलो अच्छा भारत बनाते हैं! 💪
Ramya Kumary
इस चयन में एक गहरा दार्शनिक संदेश छिपा है। एक व्यक्ति जिसने एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने का साहस किया, उसे एक न्यायपालिका की भूमिका दी जाती है। क्या ये नहीं दर्शाता कि लोकतंत्र में बदलाव का अधिकार भी है? नियुक्ति का विवाद तो बस एक दर्पण है जो हमारी अपनी भावनाओं को दिखाता है। शायद हमें अपने विचारों को बदलने की हिम्मत चाहिए।
Sumit Bhattacharya
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार की गई है जिसमें स्पष्ट रूप से कोई वरिष्ठता का नियम नहीं है। यह एक राजनीतिक निर्णय है जिसका आधार बहुमत और विश्वास है। विपक्ष की आपत्ति नैतिक नहीं बल्कि राजनीतिक है। संसद के कार्यों को बाधित नहीं किया जाना चाहिए।
Snehal Patil
ये सब बहुत बुरा है। भाजपा ने फिर से अपने लोगों को बढ़ावा दिया। कांग्रेस वाले बेहतर हैं। ये लोग तो बस अपने आप को बड़ा समझते हैं। ये सब बहुत बुरा है। बस यही है।
Nikita Gorbukhov
अरे भाई ये तो बस एक नाटक है! भाजपा ने अपने लोग को डाल दिया, विपक्ष चिल्ला रहा है, मोदी ने बातचीत की बात कही। सब बकवास। ये स्पीकर तो बस एक बेवकूफ है जिसने पार्टी बदल दी। अगर ये लोकतंत्र है तो फिर कांग्रेस वाले क्यों नहीं चुने गए? ये तो फेक डेमोक्रेसी है। 😒
RAKESH PANDEY
भरतहरि महताब का चयन तकनीकी रूप से संविधान के अनुसार है। उनकी ओडिशा के कटक से विजयी चुनाव और लंबा सांसदीय अनुभव इस भूमिका के लिए उपयुक्त है। विपक्ष की आपत्ति व्यक्तिगत असंतोष का प्रतिबिंब है। संसद का फोकस अब विधेयकों पर होना चाहिए।
Nitin Soni
इस तरह के चयन के बाद भी आशा बनी रहती है। महताब जी अच्छे इंसान हैं, और उनका अनुभव इस भूमिका के लिए बहुत अच्छा है। उम्मीद है कि ये सत्र सबके लिए फायदेमंद रहेगा। 🌱
varun chauhan
सबके लिए बधाई! 🙏 महताब जी के लिए शुभकामनाएं। उम्मीद है कि आप इस जिम्मेदारी को संभालेंगे और संसद को एक न्यायपूर्ण मंच बनाएंगे। चलो सब मिलकर अच्छा भारत बनाते हैं।
Prince Ranjan
अरे भाई ये तो बस एक बड़ा धोखा है। एक ऐसा आदमी जिसने अपनी पार्टी बदल दी, उसे स्पीकर बनाया जा रहा है? ये लोकतंत्र का अपमान है। विपक्ष को बेवकूफ बनाया जा रहा है। ये सब बस एक नाटक है जिसमें आप सब नाटक कर रहे हो। ये संसद नहीं बल्कि बॉलीवुड है।
Suhas R
ये सब बहुत बुरा है। भाजपा ने फिर से अपने लोगों को बढ़ावा दिया। कांग्रेस वाले बेहतर हैं। ये लोग तो बस अपने आप को बड़ा समझते हैं। ये सब बहुत बुरा है। बस यही है।
Pradeep Asthana
अरे ये महताब जी तो कटक से हैं ना? ओडिशा के लोगों को तो पता है वो कौन हैं। वो बहुत अच्छे इंसान हैं। ये सब विवाद बस राजनीति का खेल है। तुम लोग अपने घर में भी इतना झगड़ा करते हो क्या?
Shreyash Kaswa
इस चयन का अर्थ है कि भारत का लोकतंत्र बलिदान और वफादारी पर आधारित है। भरतहरि महताब जी ने अपनी पार्टी बदलकर देश के लिए जिम्मेदारी ली है। यह एक अद्भुत उदाहरण है। विपक्ष को चाहिए कि वे इस नेतृत्व को स्वीकार करें और देश के लिए काम करें।
Sweety Spicy
ओह तो अब ये भी एक नया राजनीतिक नाटक शुरू हो गया? एक आदमी जिसने अपनी पार्टी बदल दी, उसे स्पीकर बनाया जा रहा है? ये लोकतंत्र का अपमान है। ये सब बस एक बड़ा धोखा है। कांग्रेस वाले तो बहुत बेहतर हैं। ये लोग तो बस अपने आप को बड़ा समझते हैं।
Maj Pedersen
यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भरतहरि महताब जी की नियुक्ति उनके अनुभव और समर्पण का प्रतीक है। उम्मीद है कि यह सत्र जनता के लिए वास्तविक बदलाव लाएगा। हम सबको एक साथ आना चाहिए।
Ratanbir Kalra
अब ये सब क्या है भाई साहब एक आदमी ने पार्टी बदली और वो स्पीकर बन गया अब विपक्ष क्यों चिल्ला रहा है ये तो बस एक नाटक है जिसमें हर कोई अपना भाग निभा रहा है लेकिन क्या जनता को पता है कि ये सब उसके लिए क्या लाएगा
Seemana Borkotoky
मैं ओडिशा से हूँ। महताब जी को बचपन से जानती हूँ। वो बहुत शांत और विवेकी हैं। ये चयन बिल्कुल सही है। ये सत्र असली बातचीत का दौर बने तो बहुत अच्छा होगा।
Sarvasv Arora
ये तो बस एक और बड़ा बकवास है। विपक्ष को बेवकूफ बनाया जा रहा है। ये स्पीकर बनने वाला तो बस एक नया लोग है जिसने पार्टी बदल दी। ये सब बस एक नाटक है।
Jasdeep Singh
ये लोकतंत्र का अंत है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी पार्टी बदल दी, उसे स्पीकर बनाया जा रहा है। ये नियुक्ति एक विशेष राजनीतिक रणनीति है जिसका उद्देश्य विपक्ष को निष्क्रिय बनाना है। इस तरह के निर्णय लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।