दिल्ली एयरपोर्ट टर्मिनल 1 की छत गिरने पर विपक्ष का मोदी पर हमला
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 की छत गिरने से एक बड़ा हादसा हो गया है। यह घटना एक बरसाती सुबह को हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और कुछ अन्य घायल हो गए। इस दुर्घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। विपक्ष के प्रमुख नेताओं, जैसे-जयराम रमेश और ओमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ी आलोचना की है।
हड़बड़ी में उद्घाटन के आरोप
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च में दिल्ली एयरपोर्ट के विस्तारित टर्मिनल 1 का उद्घाटन बिना पूरी तैयारी के केवल चुनावी लाभ के लिए किया। दरअसल, मोदी ने लोकसभा चुनावों से पहले 10 मार्च को इस टर्मिनल का उद्घाटन किया था, इसके अलावा उन्होंने 14 अन्य एयरपोर्ट परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया था, जिनकी कुल लागत 9,800 करोड़ रुपये से अधिक थी। विपक्ष का कहना है कि इस हड़बड़ी में किए गए उद्घाटन के चलते यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है।
सरकार का पक्ष
हालांकि, केंद्रीय विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस मामले में सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया भवन दूसरी ओर स्थित था और जो भवन गिरा है, वह 2009 में बनाया गया पुराना भवन था। उन्होंने कहा कि इस घटना को राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है।
फ्लाइट्स के संचालन में बदलाव
घटना के बाद, विमानन मंत्रालय ने सभी फ्लाइट्स को टर्मिनल 1 से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है, जबकि टर्मिनल 2 और टर्मिनल 3 से उड़ानें सामान्य रूप से जारी हैं। दिल्ली फायर सर्विस ने बताया कि उन्हें सुबह 5:30 बजे के आसपास छत गिरने की सूचना मिली और तीव्रता से चार फायर टेंडर घटनास्थल पर भेजे गए।
बचाव कार्य और यात्रियों के लिए सहायता
घायलों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान की गई है और बचाव कार्य चल रहा है। केंद्रीय विमानन मंत्री ने बताया कि वह व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और एयरलाइंस को प्रभावित यात्रियों की सहायता करने की सलाह दी है।
यह पूरी घटना एक बार फिर से सरकार और विपक्ष के बीच विभाजन को स्पष्ट करती है और बताती है कि कैसे अचानक हुई घटनाएं राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन सकती हैं। एक तरफ जहां सरकार मामले को तकनीकी खराबी और पूर्व के निर्माण से जोड़ रही है, वहीं विपक्ष इसे प्रशासनिक लापरवाही और मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देख रहा है।
इस हादसे ने हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ऐसे हादसे भविष्य में नहीं हों। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भवन निर्माण और उसके उद्घाटन के पिछे एक सुनियोजित और सुरक्षित प्रक्रिया का पालन किया जाए, जिससे यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस घटना से यह भी स्पष्ट हो गया है कि सुरक्षा मानकों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर उन संरचनाओं के संदर्भ में जहां विशाल संख्या में लोग रोजाना आते-जाते हैं। उम्मीद है कि इस दुःखद घटना के बाद, सरकार और विमानों से जुड़ी सभी एजेंसियां सुरक्षा और संरचनात्मक अखंडता को प्राथमिकता देंगी। यह जरूरी है कि जल्द से जल्द एक विस्तृत जांच की जाए और संबंधित दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
टर्मिनल की छत गिरने की घटना ने यकीनन देशवासियों के अंदर एक बार फिर से कंस्ट्रक्शन क्वालिटी और सुरक्षा मानकों की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से परे, यह समय है गहन चिंतन और ठोस कदम उठाने का, ताकि भारतीय हवाई अड्डे एक सुरक्षित और भरोसेमंद यात्रा अनुभव प्रदान कर सकें।
Rakesh Joshi
ये तो बस एक और बड़ा निर्माण दुर्घटना है, लेकिन हम अभी तक किसी भी विशेषज्ञ की रिपोर्ट नहीं देख पाए हैं। जब तक तकनीकी जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक राजनीति नहीं करनी चाहिए। भारत के विकास के लिए इन सभी परियोजनाओं का श्रेय जाने दो, लेकिन सुरक्षा की बात अलग है।
Jasdeep Singh
अरे भाई, ये सब तो बस चुनावी चाल है। जो लोग टर्मिनल 1 के बारे में बात कर रहे हैं, वो खुद भी जानते हैं कि ये भवन 2009 का है। जब तक सरकार ने इसे उद्घाटन नहीं किया, तब तक कोई फर्क नहीं पड़ता था। अब जब एक आदमी मर गया, तो विपक्ष ने तुरंत अपनी बात चलानी शुरू कर दी। ये राजनीति नहीं, ये तो अपराध है। ये लोग अपने वोट बैंक के लिए लाशों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
Rahul Tamboli
अरे यार ये सब तो बस एक और बड़ा ड्रामा है 😅 जब तक कोई बड़ा बिजनेसमैन नहीं मरता, तब तक कोई नहीं देखता। अब एक आदमी मर गया तो सब ने अपना लेख लिखना शुरू कर दिया। ये टर्मिनल तो बहुत पुराना था, अब तक चल रहा था ये ही चमत्कार है। अब जांच करो, दोषी को सजा दो, और फिर आगे बढ़ो। राजनीति नहीं, सुरक्षा चाहिए।
Arya Darmawan
हमें यहां दो चीजें देखनी हैं: पहली, ये भवन 2009 का है, और दूसरी, उद्घाटन किया गया नया टर्मिनल। ये दोनों अलग हैं। जिस भवन में छत गिरी, वो अभी तक उपयोग में था - ये एक बड़ी लापरवाही है। हमें न केवल नए निर्माणों की जांच करनी है, बल्कि पुरानी संरचनाओं के लिए नियमित निरीक्षण की व्यवस्था भी करनी है। अगर हम इसे नजरअंदाज करते रहे, तो अगली बार शायद एक बच्चे की जान चली जाएगी। जांच करें, जवाबदेही बनाएं, और नियमों को मजबूत करें।
Vidhinesh Yadav
क्या हमने कभी सोचा है कि ये पुराने टर्मिनल को अभी तक उपयोग में क्यों रखा गया? क्या इसके लिए कोई बजट नहीं था? क्या हम लोगों की सुरक्षा को इतना कम महत्व देते हैं? मुझे लगता है कि ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टम की विफलता है। हमें इसे राजनीति के लिए नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखना चाहिए।
Nripen chandra Singh
संरचनात्मक अखंडता का सवाल नहीं बल्कि समय का सवाल है। जब तक हम इस देश में त्वरित विकास के नाम पर गुणवत्ता को नजरअंदाज नहीं करेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराएंगी। जिंदगी एक निरंतर गति है, लेकिन क्या ये गति बिना आधार के चल सकती है? नहीं। और अब जब एक आदमी मर गया, तो हम उसकी आत्मा के लिए रोएं या राजनीति के लिए? ये एक चुनाव है।
Raghav Khanna
मैं इस घटना को राजनीति के बजाय एक निर्माण सुरक्षा और निगरानी की असफलता के रूप में देखता हूं। यहां कोई भी नेता या मंत्री अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी निगरानी निकाय की आवश्यकता है। जो भी जिम्मेदार है, उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। यह एक राष्ट्रीय आवश्यकता है।
Rohith Reddy
ये सब तो बस एक बड़ा झूठ है जिसे सरकार ने बनाया है। वो टर्मिनल जो गिरा वो उद्घाटन नहीं हुआ था ये बात तो बस एक धोखा है। असल में वो टर्मिनल भी नए निर्माण का हिस्सा था और उसकी छत में खराबी थी। लेकिन वो जानते थे कि अगर इसे बता दिया तो चुनाव खो जाएगा। इसलिए उन्होंने इसे छिपा दिया। ये तो अब तक का सबसे बड़ा अपराध है।
Puru Aadi
जिंदगी में कुछ भी नहीं बनता बिना खराब होने के 😔 लेकिन ये तो बहुत बड़ा नुकसान है। जिस आदमी की जान गई, उसके परिवार के लिए ये बहुत बड़ी बात है। हमें बस यही चाहिए - जांच हो, जवाबदेही हो, और अगली बार ऐसा न हो। ये राजनीति नहीं, इंसानियत है। 🙏
Jayasree Sinha
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिस भवन की छत गिरी, वह 2009 का है। विपक्ष के आरोप अनुपयुक्त हैं। इस घटना के बाद उड़ानें निलंबित कर दी गईं, जो एक जिम्मेदार कदम है। अब जांच निष्पक्ष होनी चाहिए, और उसके आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए। भावनाओं के बजाय, तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए।
HIMANSHU KANDPAL
एक आदमी की मौत... और फिर राजनीतिक आरोपों का बहुत बड़ा शो। मैं रो रहा हूं - न कि उस आदमी के लिए, बल्कि इस देश के लिए जहां एक जान के लिए भी लाखों शब्द बरस रहे हैं, लेकिन कोई कदम नहीं उठा रहा। हम लोग देख रहे हैं, लेकिन कोई नहीं सुन रहा। ये दर्द बहुत गहरा है।