Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya में Sports Education में करियर की नई राहें खुलीं

Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya में Sports Education में करियर की नई राहें खुलीं

Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya में Sports Education में करियर की नई राहें खुलीं 15 जून

Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya में स्पोर्ट्स एजुकेशन की नौकरियां और डिग्री प्रोग्राम

अगर आप स्पोर्ट्स एजुकेशन या फिजिकल एजुकेशन में करियर बनाना चाहते हैं, तो डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर आपके लिए बेहतरीन मौका लेकर आया है। यह मध्य प्रदेश का सबसे पुराना और जाना-माना केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसने स्पोर्ट्स एजुकेशन और नॉन-टीचिंग पदों के लिए नई वैकेंसी की घोषणा की है।

इन रिक्तियों में सबसे अहम पद है 'असिस्टेंट डायरेक्टर (फिजिकल एजुकेशन)'। इस पद के लिए आवेदक के पास फिजिकल एजुकेशन, स्पोर्ट्स साइंस या ऐसे ही किसी संबंधित विषय में मास्टर्स डिग्री अनिवार्य है—वो भी कम से कम 55% अंकों के साथ। साथ ही, आयु सीमा की बात करें तो अलग-अलग पदों के लिए न्यूनतम 40 साल से लेकर 57 साल तक के उम्मीदवार अप्लाई कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी की ओर से जारी नोटिफिकेशन में आवेदन प्रक्रिया, जरूरी डॉक्यूमेंट्स और डेडलाइन समेत सारे निर्देश दिए गए हैं।

  • असिस्टेंट डायरेक्टर (फिजिकल एजुकेशन) के अलावा कई अन्य प्रशासनिक पद भी खुले हैं।
  • उम्मीदवारों को ऑफिशियल पोर्टल के जरिए ही आवेदन करना होगा।
  • योग्यता, चयन प्रक्रिया और आयु सीमा की पूरी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।

BPES: युवाओं के लिए स्पोर्ट्स करियर का गोल्डन मौका

स्पोर्ट्स प्रोफेशनल बनना चाहते हैं? डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का BPES—यानी बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स—प्रोग्राम आपके करियर की राह आसान कर सकता है। यह तीन साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स है जिसमें न सिर्फ खेल कौशल, बल्कि मैनेजमेंट, ट्रेनिंग और फिटनेस की भी तगड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।

BPES में खास ध्यान स्टूडेंट्स की लीडरशिप, प्लानिंग और टीमवर्क जैसी स्किल्स पर ही नहीं, बल्क‍ि स्पोर्ट्स साइंस और फिटनेस इंडस्ट्री की बदलती जरूरतों को भी कवर करता है। इस कोर्स से निकल कर कई युवा स्कूल, कॉलेज, फिटनेस सेंटर या स्पोर्ट्स क्लब्स में स्पोर्ट्स कोऑर्डिनेटर, ट्रेनर या कोच के रूप में सफल करियर बना रहे हैं। विश्वविद्यालय के पास अनुभवी फैकल्टी, एडवांस्ड स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर और आउटडोर-इंडोर दोनों तरह की ट्रेनिंग की सुविधा है।

  • प्रवेश परीक्षा या मेरिट के आधार पर चयन
  • फिजिकल फिटनेस टेस्ट भी जरूरी हो सकता है
  • तीन वर्ष में क्वालिफाइड स्पोर्ट्स प्रोफेशनल बनने का सुनहरा मौका

आज जब फिटनेस इंडस्ट्री और स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में नौकरियों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का ये कदम युवाओं के लिए वाकई खास अहमियत रखता है। इच्छुक लोग समय रहते आवेदन कर सकते हैं और वेबसाइट से ज्यादा जानकारी जुटा सकते हैं।



टिप्पणि (8)

  • Sweety Spicy
    Sweety Spicy

    ये सब बकवास है। यूनिवर्सिटी में फिजिकल एजुकेशन का डिग्री देकर क्या बनेगा? एक टीचर जो 15 हजार रुपये में काम करता है? अगर आपका बेटा खेलता है तो उसे प्रोफेशनल एथलीट बनने दो, न कि ये नौकरी का जाल बुनने दो। ये सब बुरा लग रहा है।

  • Maj Pedersen
    Maj Pedersen

    यह एक वास्तविक और जरूरी कदम है। हमारे युवाओं को खेलों के माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और नैतिक शिक्षा देनी चाहिए। BPES जैसे कोर्स भविष्य के शिक्षकों, कोचों और स्पोर्ट्स मैनेजर्स को तैयार करेंगे। यह एक निर्णायक मोड़ है।

  • Ratanbir Kalra
    Ratanbir Kalra

    ये डिग्री अच्छी है लेकिन क्या इसका मतलब है कि हर खिलाड़ी अब टीचर बनेगा या फिटनेस ट्रेनर बनेगा अगर वो खेल नहीं कर पाया तो ये अपशब्द है ये असफलता का नाम है

  • Seemana Borkotoky
    Seemana Borkotoky

    मैं राजस्थान से हूँ और हमारे गाँव में बच्चे अभी भी खेल के लिए खुले मैदान ढूंढते हैं। अगर ये विश्वविद्यालय वास्तविक अवसर बना पाता है तो ये सिर्फ एक डिग्री नहीं, बल्कि एक जीवन बदल सकता है। धन्यवाद।

  • Sarvasv Arora
    Sarvasv Arora

    अरे भाई ये सब तो बस ब्यूरोक्रेट्स के लिए नौकरी का जाल है। एक डिग्री देकर तुम एक बेवकूफ को कोच बना देते हो? जब तक आप खुद नहीं खेले, तब तक आप खेल को नहीं समझते। ये सब एक नाटक है।

  • Jasdeep Singh
    Jasdeep Singh

    इस देश में खेल को बर्बाद कर दिया गया है। हमारे खिलाड़ी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जा रहे हैं और हम यहाँ एक बेवकूफ डिग्री बना रहे हैं जिसका कोई मतलब नहीं। ये विश्वविद्यालय को फंडिंग देने का एक नया तरीका है। असली खेल को तो बंद कर दो और बस ये डिग्री बेचो।

  • Rakesh Joshi
    Rakesh Joshi

    ये बेहतरीन खबर है! जब मैं छात्र था तो फिजिकल एजुकेशन को कोई मायने नहीं रखता था। आज ये विश्वविद्यालय ने एक नया मानक बनाया है। युवाओं को बस आवेदन करना है और अपने भविष्य को खेल के साथ जोड़ना है। जय हिन्द!

  • HIMANSHU KANDPAL
    HIMANSHU KANDPAL

    मैं इस विश्वविद्यालय का एल्मनी हूँ। मैंने यहीं से बीएड किया था। अब देखो क्या हुआ? फिजिकल एजुकेशन के लिए नौकरी तो बन गई लेकिन शिक्षकों को अब भी नौकरी नहीं मिलती। ये सब बस लोगों को भ्रमित करने के लिए है। मैं इस बारे में बहुत दुखी हूँ।

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