ईरान पर प्रतिबंध: इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका की नई कार्रवाई

ईरान पर प्रतिबंध: इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका की नई कार्रवाई

ईरान पर प्रतिबंध: इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका की नई कार्रवाई 12 अक्तू॰

ईरानी तेल और गैस पर नए अमेरिकी प्रतिबंध

अमेरिका ने हाल ही में ईरान के तेल और गैस क्षेत्र पर नए प्रतिबंध घोषित किए हैं। ये कदम इजराइल पर ईरान द्वारा किए गए मिसाइल हमले के जवाब में उठाया गया है। यह हमला 1 अक्टूबर 2024 को हुआ था, जिसके बाद अमेरिका ने ईरान के आर्थिक स्रोतों पर नकेल कसने के लिए यह ठोस कदम उठाया है। इस बार के प्रतिबंधों का मकसद ईरान पर दबाव डालना है ताकि वह अपनी आक्रामक गतिविधियों को रोक सके।

आर्थिक प्रतिबंधों का दायरा

नए प्रतिबंधों का केंद्र प्रमुख रूप से ईरान के 'घोस्ट फ्लीट' से जुड़े 17 जहाज़ और 10 संस्थाएं हैं। ये तेल वाहक जहाज़ चीनी रिफाइनरीज़ तक शिपमेंट करने में शामिल हैं। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरान को अपने तेल के राजस्व से परमाणु और मिसाइल विकास में निवेश करने से रोकना है। साथ ही, इन संसाधनों का उपयोग करके ईरान द्वारा मध्य पूर्व में अपने सहयोगी समूहों के लिए समर्थन को भी रोका जा सकेगा।

इसके साथ ही यह स्थापित किया गया है कि अमेरिकी वित्तीय प्रणाली का उपयोग करने में इन जहाज़ों और संस्थाओं पर रोक लगाई गई है, और अमेरिकी नागरिकों को भी इनके साथ किसी भी तरह का व्यापारिक संबंध रखने से प्रतिबंधित किया गया है। इससे ईरान के लिए वित्तीय और व्यापारिक नुकसान की स्थिति बनी रहेगी।

अंतरराष्ट्रीय संवाद और सहयोगी देश

ईरान पर लगे नए प्रतिबंधों के बारे में बात करते हुए अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा कि ये प्रतिबंध ईरान को उसके मिसाइल कार्यक्रमों और आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों से महरूम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अवैध और विनाशकारी गतिविधियों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराने से पीछे नहीं हटेगा। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने ईरान के साथ किसी भी प्रकार के विरोधी गतिविधियों के वित्त पोषण को रोकने के लिए इन प्रतिबंधों को आवश्यक बताया।

ईरान-इजराइल संबंधों में बढ़ती अस्थिरता

ईरान-इजराइल संबंधों में बढ़ती अस्थिरता

ईरान और इजराइल के बीच हालिया घटनाएं एक संगठित छाया युद्ध जैसा दृश्य पेश कर रही हैं, जिसमें दोनों देशों में हमले और प्रत्युत्तर हो रहे हैं। पिछले मिसाइल हमले ने इस अस्थिरता को और भी बढ़ा दिया है, जो कि एक संभावित क्षेत्रीय युद्ध का संकेत दे रहा है। ऐसे में अमेरिकी प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम क्षेत्र में स्थिरता लाने के प्रयासों का हिस्सा हैं।

प्रतिबंधों का भविष्‍य

इन नए प्रतिबंधों के तहत, अमेरिकी सरकार ने ईरानी जनता को भले ही इन प्रतिबंधों के प्रत्यक्ष प्रभाव से बचाने की कोशिश की है, लेकिन वहीं ईरानी सरकार पर इन प्रतिबंधों का दबाव काफी गहरा सकता है। अन्य क्षेत्रों जैसे हांगकांग और संयुक्त अरब अमीरात, जहां से ये प्रतिबंधित संस्थाएं संचालित होती हैं, वहां के लिए भी ये एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

इन प्रतिबंधों के लागू होने से अधिकारियों को उम्मीद है कि ईरान पर दबाव बढ़ेगा और वह अपने विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय हस्तक्षेपों को सीमित करेगा। इसके साथ ही अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच व्यापक संवाद और सहयोग की संभावना भी बनी रहती है, जो क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक सकारात्मक संकेत है।



टिप्पणि (18)

  • Ramya Kumary
    Ramya Kumary

    इस तरह के प्रतिबंध तो बस एक नाटक हैं। ईरान के आम लोग भूखे रह जाते हैं, लेकिन शासन तो अपने रास्ते चलता है। हम जिस तरह से अपने आंतरिक असमानताओं को नजरअंदाज करते हैं, वैसे ही वहां भी कुछ नहीं बदलता। दुनिया का दबाव तो बस एक शाम का तूफान है-जो जल्दी गायब हो जाता है।

    क्या हमने कभी सोचा कि जब हम दूसरों को रोकने की कोशिश करते हैं, तो अपने आप को कितना बंद कर लेते हैं? एक बंद दरवाजा नहीं, एक बंद दिमाग है जिसे हम बचाना चाहते हैं।

  • Sumit Bhattacharya
    Sumit Bhattacharya

    प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय नीति का एक मूलभूत उपकरण है जिसका उद्देश्य आक्रामक व्यवहार को रोकना है और शांति की स्थिरता को बनाए रखना है इसका वैधता अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित है

  • Snehal Patil
    Snehal Patil

    ईरान को सबक सिखाने का वक्त आ गया है। ये लोग हमेशा दूसरों के घर में आकर अपना नुकसान देते हैं और फिर शिकायत करते हैं। अमेरिका ने सही किया।

  • Nikita Gorbukhov
    Nikita Gorbukhov

    अरे भाई ये सब झूठ है ये प्रतिबंध तो बस इजराइल के लिए बनाए गए हैं अमेरिका खुद तो हर दिन दुनिया को बर्बाद कर रहा है और अब ईरान को गाली दे रहा है 😂

  • RAKESH PANDEY
    RAKESH PANDEY

    इन प्रतिबंधों का लक्ष्य ईरान के घोस्ट फ्लीट और उनके वित्तीय नेटवर्क पर केंद्रित है जो चीन और अन्य देशों के माध्यम से तेल निर्यात करते हैं। यह एक बहुत ही व्यवहार्य रणनीति है क्योंकि यह सीधे ईरान के सैन्य-परमाणु विकास के लिए आवश्यक आय को कम करता है।

    इसके साथ ही अमेरिका ने वित्तीय प्रणाली के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर ईरान के लिए वैश्विक बैंकिंग तक पहुंच को भी सीमित कर दिया है। यह एक तरह से आर्थिक ब्लॉकेड का रूप है।

    इसका असर ईरानी जनता पर भी पड़ेगा लेकिन यह एक ऐसा दबाव है जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा समर्थित किया गया है।

    मुख्य बात यह है कि यह एक युद्ध के बजाय एक शांतिपूर्ण उपाय है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखा जा सकता है बिना एक बड़े सैन्य टकराव के।

  • Nitin Soni
    Nitin Soni

    हमें उम्मीद है कि ये कदम शांति की ओर ले जाएंगे। दुनिया बहुत थक चुकी है इस लगातार तनाव से।

  • varun chauhan
    varun chauhan

    बहुत अच्छा लगा ये पोस्ट। अमेरिका ने अच्छा किया। साथ ही ईरान के आम लोगों के लिए भी दया का साथ होना चाहिए। 🙏

  • Prince Ranjan
    Prince Ranjan

    इन प्रतिबंधों का कोई मतलब नहीं है अमेरिका खुद तो दुनिया के लगभग हर देश में विद्रोह फैला रहा है और अब ईरान को गुनहगार बना रहा है ये सब नाटक है ये सब बहाने हैं अमेरिका के लिए अपना इम्पीरियलिज़म जारी रखने का

  • Suhas R
    Suhas R

    ये सब अमेरिका की योजना है जो ईरान को नष्ट करने के लिए तैयार है लेकिन ये जानता है कि ईरान अपने आप को नष्ट नहीं होने देगा और अब वो भारत को भी टारगेट करेगा क्योंकि हम ईरान से तेल खरीदते हैं और ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है जिसका उद्देश्य भारत को भी नीचा दिखाना है

  • Pradeep Asthana
    Pradeep Asthana

    तुम लोग बस यही बात कर रहे हो कि ईरान क्या कर रहा है लेकिन इजराइल ने क्या किया उसके बारे में कोई नहीं बोलता जो बार-बार ईरान के लोगों को मार रहा है और अमेरिका उसका साथ दे रहा है ये न्याय नहीं ये द्वैतवाद है

  • Shreyash Kaswa
    Shreyash Kaswa

    हम भारत के रूप में अपने राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखना चाहिए। ईरान से तेल खरीदना जारी रखना चाहिए लेकिन अमेरिका के साथ अच्छे संबंध भी बनाए रखने चाहिए। यही संतुलन है।

  • Sweety Spicy
    Sweety Spicy

    इन प्रतिबंधों के पीछे बस एक विशाल अमेरिकी नीति है जो अपनी शक्ति को बरकरार रखने के लिए दुनिया को बांटती है। ईरान एक शिकार है जिसे चुना गया है ताकि दूसरे देश डर जाएं।

    क्या आपने कभी सोचा कि जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया तो उसने किस बहाने से किया? अब यही बहाना दोहरा रहा है।

    ये प्रतिबंध नहीं, ये एक अर्थव्यवस्था की युद्ध रणनीति है।

    क्या आपको लगता है कि ईरान के आम लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं? नहीं। वे बस एक दरवाजे के पीछे फंसे हैं जिसे उन्होंने खोला नहीं है।

    हम भारतीयों को भी यही समझना चाहिए कि जब एक शक्ति दूसरी शक्ति को नीचा दिखाती है, तो वह अपनी नीचता भी दिखा रही होती है।

    हम देख रहे हैं कि ये सब कैसे बनाया जा रहा है।

    क्या हम इसे स्वीकार कर रहे हैं? या हम इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत रखते हैं?

    इन प्रतिबंधों के पीछे कोई नैतिकता नहीं है। केवल शक्ति है।

    और शक्ति कभी न्याय नहीं बनती।

    हम इसे अपने लिए एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए।

  • Maj Pedersen
    Maj Pedersen

    मुझे लगता है कि ये कदम शांति के लिए एक आवश्यक तरीका है। जब देश आपस में लड़ रहे हों तो तनाव कम करने का एकमात्र तरीका आर्थिक दबाव होता है। आशा है कि ये लोग अपनी बुद्धि का उपयोग करेंगे।

  • Ratanbir Kalra
    Ratanbir Kalra

    प्रतिबंध तो बनते हैं लेकिन ईरान के पास तो चीन और रूस हैं अमेरिका का ये दबाव ज्यादा दिन नहीं चलेगा ये सब बस एक नाटक है जिसका अंत अभी बाकी है

  • Seemana Borkotoky
    Seemana Borkotoky

    मैं तो बस यही सोच रही हूं कि अगर ये सब भारत में होता तो क्या होता? हम भी तो दुनिया के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। क्या हम भी इस तरह के प्रतिबंधों का सामना करेंगे?

  • Sarvasv Arora
    Sarvasv Arora

    ये सब बहुत आसानी से लिख दिया गया है। लेकिन असली सवाल ये है कि इन प्रतिबंधों से ईरान के लोगों को कितना नुकसान हुआ? क्या उनके बच्चे अभी भी भूखे हैं? क्या उनके पास दवाइयां हैं? कोई नहीं पूछता।

  • Jasdeep Singh
    Jasdeep Singh

    ये प्रतिबंध एक विशाल आर्थिक युद्ध है जिसका उद्देश्य ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा बजट को अवैध रूप से तोड़ना है जो उनके परमाणु अनुसंधान और मिसाइल विकास के लिए आवश्यक है और इसके साथ ही ये एक वैश्विक वित्तीय नियंत्रण तंत्र का हिस्सा है जिसे अमेरिका ने डॉलर के आधार पर बनाया है जिसके तहत विश्व के लगभग 85% व्यापार अमेरिकी वित्तीय प्रणाली के माध्यम से होता है जिसके लिए ईरान के जहाज़ और संस्थाएं अब बैंकिंग से बाहर हैं और इसका अर्थ है कि उनके लिए तेल का भुगतान करना लगभग असंभव हो गया है और इससे ईरान की विदेशी विनिमय राशि में भारी गिरावट आई है जिससे उनके आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यधिक दबाव पड़ा है जिसके परिणामस्वरूप उनके आंतरिक अर्थव्यवस्था में महंगाई और बेरोजगारी में तेजी आई है जिसके कारण ईरानी जनता अपनी रोजगार की दुनिया में असहाय हो गई है और अब वे अपने देश के शासन के खिलाफ विद्रोह करने के लिए तैयार हैं जिसका असर भारत और अन्य देशों पर भी पड़ेगा क्योंकि ये एक वैश्विक अर्थव्यवस्था है जिसका एक टुकड़ा टूट गया है और अब ये टुकड़ा दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल रहा है

  • Rakesh Joshi
    Rakesh Joshi

    हमें उम्मीद है कि ये कदम शांति की ओर ले जाएंगे। दुनिया बहुत थक चुकी है इस लगातार तनाव से। जीत नहीं, बल्कि समझौता ही सच्ची जीत है।

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