फिल्म 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' की अद्भुत दुनिया
हॉलीवुड में हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' ने एक मूवी नहीं बल्कि एक विचारधारा को प्रस्तुत किया है, जिसे लेकर दर्शक कई सवाल उठा रहे हैं। जेम्स मोरोसीनी, जो इस फिल्म के एक महत्वपूर्ण किरदार सायरस की भूमिका निभा रहे हैं, ने हाल ही में फिल्म से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का खुलासा किया है। फिल्म की जटिल संरचना और उसके गूढ़ पात्रों ने इसे एक अनोखा अनुभव बना दिया है। यह फिल्म जनवरी में सैंडेंस फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई थी, लेकिन इसे दर्शकों तक पहुँचने में दो साल का लंबा समय लगा।
किरदारों की जटिलता
जेम्स मोरोसीनी ने बताया कि सायरस को निभाना उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव था। इस किरदार को वे एक अल्पसंकी और घातक प्रेमी के रूप में देखते हैं। सायरस के किरदार को उन्होंने 'हेरिटेडरी' और 'मिडसमर' के पात्रों से तुलना करते हुए समझा। सायरस के लिए खुद को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने की चाहत उसे झूठ बोलने और अपने रिश्ते में अपमानजनक स्थिति तक ले जाती है। मोरोसीनी ने सायरस को उसकी अनिच्छा और समर्पण की कमी को दर्शाने के लिए ऐसे कपड़े चुनें जो थोड़े तंग हों।
फिल्म में शरीर परिवर्तन का रहस्य
फिल्म में मुख्य आकर्षण का केंद्र उसका शरीर परिवर्तन का तत्व है। जब डेनिस, सायरस के शरीर में होता है, तो उस पर कोई दबाव नहीं होता और वह बिना डरे अपने तरीके से कार्य करता है। यह स्तिथि पात्रों के व्यवहार में महीन परतें जोड़ती है। इसके अलावा, फिल्म में एक और रहस्य है कि फोर्ब्स का एक गहरा राज है जो उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। आखिरी में बड़ा खुलासा दर्शाता है कि फोर्ब्स की बहन, फोर्ब्स के अंदर और फोर्ब्स सायरस के अंदर है, जिससे कहानी की जटिलता और बढ़ जाती है।
अंतिम निष्कर्ष
फिल्म के अंत में, जब सायरस जेल जाता है, तो मोरोसीनी का कहना है कि यह अंत अधिकतर शेल्बी की भावनात्मक विजय का संकेत है। फिल्म को एक रूपक के रूप में देखना चाहिए जो शाब्दिक सत्यता पर केंद्रित नहीं है। इसके पात्रों के विकास और उनकी भावनात्मक यात्रा पर जोर दिया गया है, न कि भौतिक परिणामों पर।
लेखन और निर्देशन पर फिल्म का प्रभाव
जेम्स मोरोसीनी का कहना है कि 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' में काम करने का अनुभव उनके लेखन और निर्देशन को प्रभावित करता है। यह फिल्में सच्चे भावनात्मक सत्य की महत्वपूर्णता और कहानी कहने में जोखिम लेने की आवश्यकता को दर्शाती हैं। मोरोसीनी ने इससे पहले 'आई लव माय डैड' में भी इसी प्रकार का प्रयोग किया था।
ऐसे फिल्मों का हम पर गहरा प्रभाव पड़ता है और इसने मोरोसीनी को सिखाया है कि कैसे कथा को नई दिशा दी जा सकती है। इसे देखकर दर्शक अपनी भावनाओं से जुड़ सकते हैं, जोकि किसी भी कला के माध्यम का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।