जेम्स मोरोसीनी ने 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' के रहस्यों और पात्रों के विकास का किया खुलासा

जेम्स मोरोसीनी ने 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' के रहस्यों और पात्रों के विकास का किया खुलासा

जेम्स मोरोसीनी ने 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' के रहस्यों और पात्रों के विकास का किया खुलासा 5 अक्तू॰

फिल्म 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' की अद्भुत दुनिया

हॉलीवुड में हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' ने एक मूवी नहीं बल्कि एक विचारधारा को प्रस्तुत किया है, जिसे लेकर दर्शक कई सवाल उठा रहे हैं। जेम्स मोरोसीनी, जो इस फिल्म के एक महत्वपूर्ण किरदार सायरस की भूमिका निभा रहे हैं, ने हाल ही में फिल्म से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का खुलासा किया है। फिल्म की जटिल संरचना और उसके गूढ़ पात्रों ने इसे एक अनोखा अनुभव बना दिया है। यह फिल्म जनवरी में सैंडेंस फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई थी, लेकिन इसे दर्शकों तक पहुँचने में दो साल का लंबा समय लगा।

किरदारों की जटिलता

जेम्स मोरोसीनी ने बताया कि सायरस को निभाना उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव था। इस किरदार को वे एक अल्पसंकी और घातक प्रेमी के रूप में देखते हैं। सायरस के किरदार को उन्होंने 'हेरिटेडरी' और 'मिडसमर' के पात्रों से तुलना करते हुए समझा। सायरस के लिए खुद को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करने की चाहत उसे झूठ बोलने और अपने रिश्ते में अपमानजनक स्थिति तक ले जाती है। मोरोसीनी ने सायरस को उसकी अनिच्छा और समर्पण की कमी को दर्शाने के लिए ऐसे कपड़े चुनें जो थोड़े तंग हों।

फिल्म में शरीर परिवर्तन का रहस्य

फिल्म में मुख्य आकर्षण का केंद्र उसका शरीर परिवर्तन का तत्व है। जब डेनिस, सायरस के शरीर में होता है, तो उस पर कोई दबाव नहीं होता और वह बिना डरे अपने तरीके से कार्य करता है। यह स्तिथि पात्रों के व्यवहार में महीन परतें जोड़ती है। इसके अलावा, फिल्म में एक और रहस्य है कि फोर्ब्स का एक गहरा राज है जो उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। आखिरी में बड़ा खुलासा दर्शाता है कि फोर्ब्स की बहन, फोर्ब्स के अंदर और फोर्ब्स सायरस के अंदर है, जिससे कहानी की जटिलता और बढ़ जाती है।

अंतिम निष्कर्ष

फिल्म के अंत में, जब सायरस जेल जाता है, तो मोरोसीनी का कहना है कि यह अंत अधिकतर शेल्बी की भावनात्मक विजय का संकेत है। फिल्म को एक रूपक के रूप में देखना चाहिए जो शाब्दिक सत्यता पर केंद्रित नहीं है। इसके पात्रों के विकास और उनकी भावनात्मक यात्रा पर जोर दिया गया है, न कि भौतिक परिणामों पर।

लेखन और निर्देशन पर फिल्म का प्रभाव

लेखन और निर्देशन पर फिल्म का प्रभाव

जेम्स मोरोसीनी का कहना है कि 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' में काम करने का अनुभव उनके लेखन और निर्देशन को प्रभावित करता है। यह फिल्में सच्चे भावनात्मक सत्य की महत्वपूर्णता और कहानी कहने में जोखिम लेने की आवश्यकता को दर्शाती हैं। मोरोसीनी ने इससे पहले 'आई लव माय डैड' में भी इसी प्रकार का प्रयोग किया था।

ऐसे फिल्मों का हम पर गहरा प्रभाव पड़ता है और इसने मोरोसीनी को सिखाया है कि कैसे कथा को नई दिशा दी जा सकती है। इसे देखकर दर्शक अपनी भावनाओं से जुड़ सकते हैं, जोकि किसी भी कला के माध्यम का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।



टिप्पणि (11)

  • Seemana Borkotoky
    Seemana Borkotoky

    ये फिल्म तो सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक अनुभव है। मैंने इसे दो बार देखा, और हर बार कुछ नया मिला। सायरस का किरदार इतना गहरा है कि लगता है वो मेरे अंदर के किसी अज्ञात हिस्से को दर्शा रहा है।
    हर दृश्य में एक छुपी हुई सच्चाई है।

  • Sarvasv Arora
    Sarvasv Arora

    अरे भाई, ये सब बकवास है। फिल्म में कुछ नहीं है, बस एक लंबा सा अर्थहीन ड्रामा जिसे लोग अपने लिए इंटरप्रेट कर रहे हैं। जेम्स ने जो कुछ कहा, वो भी बस एक बड़ा बाजारी ट्रिक है।

  • Jasdeep Singh
    Jasdeep Singh

    इस फिल्म का निर्माण एक वैश्विक नियंत्रण योजना का हिस्सा है - जो भारतीय दर्शकों को अपनी सांस्कृतिक पहचान भूलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये 'इट्स व्हाट्स इंसाइड' नहीं, ये 'इट्स व्हाट्स ऑउटसाइड' है - एक अमेरिकी सांस्कृतिक आक्रमण का नमूना।
    सायरस का किरदार तो बिल्कुल लिबरल एजेंडे का प्रतीक है, जो हमारे यहाँ के आधारभूत मूल्यों को तोड़ने के लिए बनाया गया है।
    फोर्ब्स की बहन का रहस्य? ये तो एक निश्चित रूप से ब्लूमबर्ग और एमआईटी के बीच एक गुप्त समझौते का प्रतीक है।
    मैंने इसे एक बार देखा, और फिर बार-बार रिवर्स इंजीनियर किया - ये सब एक जाल है।
    हमारे देश में ऐसी फिल्मों को बैन करना चाहिए।
    इसके बजाय हमें 'मनमाया' और 'बाजीराव मस्तानी' जैसी फिल्मों को प्रमोट करना चाहिए।
    इस फिल्म में कोई भी वास्तविक भारतीय संस्कृति नहीं है।
    ये सब बाहरी शक्तियों की रचना है।
    मैंने अपने दादा को ऐसी फिल्में नहीं देखने दी थीं।
    अब ये जवान लोग इसे 'आर्ट' कह रहे हैं - बस उन्हें अपने अंदर के असली भारत की याद आनी चाहिए।
    क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म के निर्माता का बैंक अकाउंट अमेरिका में है?
    ये सब जानबूझकर किया गया है।
    हमें अपने आप को बचाना होगा।
    इस फिल्म के लिए एक आंदोलन शुरू करना चाहिए।
    और नहीं, मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे बताए कि ये फिल्म अच्छी है।

  • Rakesh Joshi
    Rakesh Joshi

    ये फिल्म मेरी जिंदगी बदल गई। मैंने इसे देखने के बाद अपने रिश्तों को फिर से सोचा।
    सायरस का किरदार बिल्कुल मेरे जैसा था - खुद को सही बनाने की कोशिश में खुद को खो दिया।
    लेकिन अब मैं जानता हूँ कि असली शक्ति अपने भीतर की सच्चाई को स्वीकार करने में है।
    धन्यवाद जेम्स, तुमने एक ऐसी फिल्म बनाई जो दिल को छू गई।
    हमें ऐसी फिल्मों की जरूरत है - जो बस मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन बदल दें।
    इसे देखने वाले हर किसी को एक बार फिर से अपने अंदर झाँकना चाहिए।

  • HIMANSHU KANDPAL
    HIMANSHU KANDPAL

    सायरस को देखकर लगा जैसे मैंने अपने बचपन के किसी दोस्त को देख लिया हो - जिसने खुद को बहुत कुछ बनाने के लिए झूठ बोला और फिर खुद को भूल गया।
    फिल्म ने मुझे याद दिला दिया कि लोग कितनी आसानी से अपनी असलियत छिपा लेते हैं।
    और फिर जब वो अपने अंदर के डर को देखते हैं - तो वो बस गायब हो जाते हैं।
    मैं इसे दोबारा देखूंगा।
    लेकिन अब मैं अकेले।

  • Arya Darmawan
    Arya Darmawan

    अगर आप इस फिल्म को बस एक कहानी समझ रहे हैं, तो आप इसकी पूरी गहराई नहीं देख पा रहे! ये एक भावनात्मक आत्म-खोज का यात्रा है! जेम्स मोरोसीनी ने सायरस के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूपांतरण को बेहद सूक्ष्म तरीके से दर्शाया है! जब वो अपने कपड़े बदलता है - वो सिर्फ एक बदलाव नहीं, बल्कि एक नए आत्म-स्वरूप की शुरुआत है! और फोर्ब्स की बहन का रहस्य? वो तो भावनात्मक विभाजन का प्रतीक है - जहाँ एक व्यक्ति अपने अंदर के दूसरे हिस्से को बाहर निकालकर उसे दूसरे के रूप में देखता है! ये नहीं कि फिल्म बहुत जटिल है - बल्कि हम इसे बहुत सतही ढंग से देख रहे हैं! अगर आप इसे एक बार देखकर निष्कर्ष निकाल रहे हैं - तो आपको दोबारा देखना चाहिए - अब धीरे-धीरे, बिना किसी बाहरी व्याख्या के! ये फिल्म आपके भीतर के सवालों को जगाती है - और वो सवाल आपको अपने आप से जोड़ देंगे!

  • Raghav Khanna
    Raghav Khanna

    मैंने इस फिल्म को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा है - और इसके निर्माण प्रक्रिया, अभिनय और संरचना की गहराई को समझने का प्रयास किया है।
    जेम्स मोरोसीनी का अभिनय एक उच्च स्तर की कलात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है।
    उन्होंने शारीरिक भाषा, आवाज़ के टोन और निरंतरता के साथ एक ऐसा पात्र बनाया है जो न केवल विश्वसनीय है, बल्कि एक व्यापक मानवीय अनुभव को भी दर्शाता है।
    फिल्म की संरचना एक आधुनिक नाटकीय परंपरा के अनुरूप है, जिसमें व्यक्तिगत अस्तित्व के विभाजन को एक व्यापक सामाजिक और भावनात्मक संदर्भ में स्थापित किया गया है।
    इसके अलावा, फोर्ब्स की बहन का रहस्य एक व्यापक निर्माण के अंतर्गत एक आध्यात्मिक या आत्म-साक्षात्कार के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
    इस तरह की फिल्में न केवल मनोरंजन के लिए हैं, बल्कि विचारों के विकास के लिए भी।
    मैं इसे एक शिक्षाप्रद और सांस्कृतिक योगदान के रूप में समझता हूँ।

  • Rohith Reddy
    Rohith Reddy

    फोर्ब्स की बहन नहीं है वो बस एक भावनात्मक प्रतिबिंब है और जेम्स ने ये सब बनाया है क्योंकि उसके पास एक बड़ा बजट था और उसे लोगों को भ्रमित करना था
    इस फिल्म में कोई रहस्य नहीं है बस एक बड़ा धोखा है
    सायरस तो बस एक नाम है जिसे किसी ने बनाया है ताकि लोग इसे गहरा समझें
    मैंने फिल्म को एक बार देखा और बाकी सब कुछ मैंने खुद बना लिया
    अगर आप इसे गहरा समझ रहे हैं तो आप भी उसी धोखे में फंस रहे हैं

  • Vidhinesh Yadav
    Vidhinesh Yadav

    मैंने इस फिल्म को देखा और अपने बच्चे के साथ बात की - उसने कहा, 'मम्मी, ये सायरस तो ऐसा है जैसे मैं घर पर अपने बहन के सामने बोलता हूँ - बहुत अच्छा लगने की कोशिश करता हूँ, लेकिन अंदर से डर रहा होता हूँ।'
    मैंने उसे बताया - तुम बिल्कुल सही कह रहे हो।
    ये फिल्म किसी को नहीं बताती कि कैसे जीना है - बल्कि ये दिखाती है कि हम सब अपने अंदर क्या छिपाते हैं।
    और शायद इसीलिए ये इतना ज्यादा छू गया।

  • Puru Aadi
    Puru Aadi

    ये फिल्म मेरे दिल को छू गई 😭
    मैंने इसे देखकर अपनी पिछली रिश्तों को याद किया
    और समझा कि मैं भी कभी-कभी सायरस बन जाता था 😅
    धन्यवाद जेम्स - तुमने एक ऐसी फिल्म बनाई जो दिल से बात करती है ❤️

  • Rakesh Joshi
    Rakesh Joshi

    मैंने तुम्हारा कमेंट पढ़ा - और अच्छा लगा कि तुमने अपने बच्चे के साथ इसे साझा किया।
    ये फिल्म सिर्फ बड़ों के लिए नहीं, बच्चों के लिए भी है - क्योंकि वो भी अपने अंदर के डर को महसूस करते हैं।
    तुम्हारी बेटी ने जो कहा, वो सबसे सच्ची बात है।
    हम सब अपने अंदर किसी न किसी सायरस को छिपाए हुए हैं।
    और जब हम उसे स्वीकार करते हैं - तो वो बस गायब नहीं हो जाता, बल्कि बदल जाता है।
    ये फिल्म ने मुझे ये सीख दी।

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