जब विक्रांत पटेल, कर्नूल के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस ने बताया कि दो बच्चों सहित 20 लोग इस सुबह 3 बजे NH‑44 पर बस में जलने से मारे गए, तो यह पूरी तरह से नया नहीं लगा — लेकिन घटनाक्रम में कुछ ऐसा था जो पहले कभी नहीं देखा गया। बस में मिली स्मार्टफोन की बड़ी मात्रा ने दीवालों को एक सेकण्ड में बिखेर दिया, और यह सब एक शराबी मोटरसाइकिल की लापरवाही से शुरू हुआ।
घटना की पृष्ठभूमि
रात लगभग 2:20 एएम पर, बुच्चालु शिव शंकर, बाइक चालक ने कर्नूल के B थांद्रापाडु गाँव से निकलते हुए पेट्रोल पंप के पास रुककर शराब के छह गिलास ले लिये। कैमरा फुटेज के अनुसार, वह बैलेन्स खोए हुए, टर्न स्टीयरिंग को लुढ़काते‑लुढ़काते फिर से रफ़्तार पकडता हुआ आगे बढ़ा। उसी समय, हैदराबाद‑बेंगलुरु मार्ग पर चल रही V Kaveri Travels की मल्टी‑एक्सल स्लीपर एसी वोल्वो बस, अपने ड्राइवर मिर्याला लक्ष्मैया के हाथों, लगभग 44 यात्रियों (सीटिंग क्षमता 42) को ले जा रही थी।
टक्कर और आग का विस्तृत विवरण
टक्कर के क्षण को पुनः बनाते हुए, दोघों ने बताया कि बस ने बाइक को निहाल कर दिया। बाइक का ईंधन कैप खुला था, और वह बस के नीचे खिंचा जा रहा था। एक तेज़ झटके के साथ, बैटरियों की फट पड़ने वाली आवाज़ सुनाई दी – यह नहीं, यह तो बस के अंदर मौजूद मंगलनाथ के द्वारा कैंडिडेट की गई 234 स्मार्टफोन (कुल कीमत लगभग 46 लाख रुपये) की बैटरियाँ भी इस समय ‘पॉप’ करने लगीं।
जैसे ही आग फैली, बस के दो-तीन दरवाज़े जाम हो गए। द्वितीय ड्राइवर, सिवा नारायण, जिसने बताया कि वह सो रहा था, तेज़ बारिश के कारण दृश्यता बहुत खराब थी। उसने तुरंत खिड़कियों को तोड़कर यात्रियों को बाहर निकाला। परंतु मुख्य दरवाज़ा खोलते‑खोलते जमे हुए लोहे की चाबियों के कारण फट गया और फिर से बंद हो गया।
पीड़ितों और बचाव का आंकड़ा
- 20 मृत, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे।
- 9 घायल, जिनमें कई ने महँगी चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता जताई।
- 27 यात्रियों ने खुद ही पीछे की खिड़कियों को तोड़कर बच निकलना संभव किया।
- बाइक चालक बुच्चालु शिव शंकर की पहचान B थांद्रापाडु गाँव के निवासी के रूप में हुई।
आग बुझाने में अंध्र प्रदेश फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट की टीम को लगभग 45 मिनिट लगे। निदेशक‑जनरल पी वेंकटरामन ने कहा, “स्मार्टफोन की बैटरियों और बस के एसी सिस्टम की बुनियादी बैटरियों दोनों ही फटकर आग को तीव्र बना दिया।”
जांच एवं आरोप
कर्नूल पुलिस ने दोनों ड्राइवरों—लक्ष्मैया और सिवा नारायण—को लापरवाही और अधिक गति के अपराधों में फँसाया। शुरुआती बयान में सिवा नारायण ने कहा था कि बाइक सड़क पर पड़ी हुई थी, पर बाद में वह स्वीकार कर गया कि वह भी टक्कर में शामिल था। इस बदलाव को पुलिस ने “विचारशील” माना और आगे की जांच चल रही है।
साथ ही, फोरेंसिक विज्ञान विभाग ने कहा कि बैटरियों की विस्फोटकता ने आग को मिनटों में पूरे बस में फैला दिया। उन्होंने यह भी नोट किया कि बस के अंदर इस्तेमाल किए गए लकड़ी‑आधारित फर्नीचर और सजावट “ज्वलनशील” मानी गई।
भविष्य में क्या कदम उठाए जा सकते हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी दूरी की निजी बसों में इलेक्ट्रॉनिक सामान की मात्रा को सीमित करना चाहिए। “अगर 200 से अधिक मोबाइल फोन एक ही ट्रांसपोर्ट में लादे जाएँ, तो बैटरी फेल्योर की संभावना बढ़ जाती है,” एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा। इसके अलावा, NH‑44 के कई हिस्सों में दृश्यमान संकेत, तेज़ ब्रेकिंग‑लाइट्स और बेहतर रूट‑मैपिंग की जरूरत है।
राज्य सरकार ने पहले ही इस हादसे के बाद NH‑44 के सुरक्षा ऑडिट का आदेश दिया है। परिवहन विभाग के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हम जल्द ही सभी निजी बसों की सुरक्षा जांच करेंगे और अवैध लोडिंग पर कठोर कार्रवाई करेंगे।”
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस दुर्घटना में सबसे बड़ा कारण क्या माना जा रहा है?
जांच के अनुसार, बस के नीचे खींची गई शराबी बाइक के खुले ईंधन कैप से उत्पन्न हुई आग, साथ ही 234 स्मार्टफ़ोन की बैटरियों के फटने से आग बहुत तेजी से फैली। यह दो कारण मिलकर बड़ी मौतों का मुख्य कारण बना।
क्या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई नियमन है?
वर्तमान में, लंबी दूरी की बसों में इलेक्ट्रॉनिक सामान के लोडिंग पर कोई राष्ट्रीय मानक नहीं है। हालांकि, कई राज्यों ने अब से ‘इलेक्ट्रॉनिक लोड‑लिमिट’ नियम पेश करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे ऐसी दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया जा सके।
बैकअप ड्राइवर की भूमिका में क्या चूक हुई?
सिवा नारायण ने बताया कि वह सो रहा था और बारिश के कारण दृश्यता कम थी, लेकिन टोपी‑सुरक्षा के हिसाब से द्वितीय ड्राइवर को हमेशा तैयार रहना चाहिए था। जांच में यह देखा जा रहा है कि क्या उसे उचित प्रशिक्षण दिया गया था या नहीं।
भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि सार्वजनिक बसों में एसी यूनिट की बैटरियों को सुरक्षित केसेस में रखना, फर्नीचर को गैर‑ज्वलनशील सामग्री से बनाना, और ड्राइवर प्रशिक्षण को सख्त करना आवश्यक है। साथ ही, हाईवे पर शराब‑पीते व्यक्तियों की निगरानी बढ़ाने की भी मांग है।
khajan singh
समझ में आता है कि सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक सामान की लोडिंग को रेगुलेट करना जरूरी है :) लॉजिस्टिक्स टीम को अब थोड़ा बटालियन बनना पड़ेगा, ख़ासकर बैटरी मैनेजमेंट को लेकर। अगर बस में 200 से ज्यादा फोन हों तो फटने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।