Kurnool में बस में आग, 20 की मौत: शराबी बाइक से टकराव, स्मार्टफोन से बढ़ी लगी

Kurnool में बस में आग, 20 की मौत: शराबी बाइक से टकराव, स्मार्टफोन से बढ़ी लगी

Kurnool में बस में आग, 20 की मौत: शराबी बाइक से टकराव, स्मार्टफोन से बढ़ी लगी 25 अक्तू॰

जब विक्रांत पटेल, कर्नूल के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस ने बताया कि दो बच्चों सहित 20 लोग इस सुबह 3 बजे NH‑44 पर बस में जलने से मारे गए, तो यह पूरी तरह से नया नहीं लगा — लेकिन घटनाक्रम में कुछ ऐसा था जो पहले कभी नहीं देखा गया। बस में मिली स्मार्टफोन की बड़ी मात्रा ने दीवालों को एक सेकण्ड में बिखेर दिया, और यह सब एक शराबी मोटरसाइकिल की लापरवाही से शुरू हुआ।

घटना की पृष्ठभूमि

रात लगभग 2:20 एएम पर, बुच्चालु शिव शंकर, बाइक चालक ने कर्नूल के B थांद्रापाडु गाँव से निकलते हुए पेट्रोल पंप के पास रुककर शराब के छह गिलास ले लिये। कैमरा फुटेज के अनुसार, वह बैलेन्स खोए हुए, टर्न स्टीयरिंग को लुढ़काते‑लुढ़काते फिर से रफ़्तार पकडता हुआ आगे बढ़ा। उसी समय, हैदराबाद‑बेंगलुरु मार्ग पर चल रही V Kaveri Travels की मल्टी‑एक्सल स्लीपर एसी वोल्वो बस, अपने ड्राइवर मिर्याला लक्ष्मैया के हाथों, लगभग 44 यात्रियों (सीटिंग क्षमता 42) को ले जा रही थी।

टक्कर और आग का विस्तृत विवरण

टक्कर के क्षण को पुनः बनाते हुए, दोघों ने बताया कि बस ने बाइक को निहाल कर दिया। बाइक का ईंधन कैप खुला था, और वह बस के नीचे खिंचा जा रहा था। एक तेज़ झटके के साथ, बैटरियों की फट पड़ने वाली आवाज़ सुनाई दी – यह नहीं, यह तो बस के अंदर मौजूद मंगलनाथ के द्वारा कैंडिडेट की गई 234 स्मार्टफोन (कुल कीमत लगभग 46 लाख रुपये) की बैटरियाँ भी इस समय ‘पॉप’ करने लगीं।

जैसे ही आग फैली, बस के दो-तीन दरवाज़े जाम हो गए। द्वितीय ड्राइवर, सिवा नारायण, जिसने बताया कि वह सो रहा था, तेज़ बारिश के कारण दृश्यता बहुत खराब थी। उसने तुरंत खिड़कियों को तोड़कर यात्रियों को बाहर निकाला। परंतु मुख्य दरवाज़ा खोलते‑खोलते जमे हुए लोहे की चाबियों के कारण फट गया और फिर से बंद हो गया।

पीड़ितों और बचाव का आंकड़ा

  • 20 मृत, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे।
  • 9 घायल, जिनमें कई ने महँगी चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता जताई।
  • 27 यात्रियों ने खुद ही पीछे की खिड़कियों को तोड़कर बच निकलना संभव किया।
  • बाइक चालक बुच्चालु शिव शंकर की पहचान B थांद्रापाडु गाँव के निवासी के रूप में हुई।

आग बुझाने में अंध्र प्रदेश फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट की टीम को लगभग 45 मिनिट लगे। निदेशक‑जनरल पी वेंकटरामन ने कहा, “स्मार्टफोन की बैटरियों और बस के एसी सिस्टम की बुनियादी बैटरियों दोनों ही फटकर आग को तीव्र बना दिया।”

जांच एवं आरोप

कर्नूल पुलिस ने दोनों ड्राइवरों—लक्ष्मैया और सिवा नारायण—को लापरवाही और अधिक गति के अपराधों में फँसाया। शुरुआती बयान में सिवा नारायण ने कहा था कि बाइक सड़क पर पड़ी हुई थी, पर बाद में वह स्वीकार कर गया कि वह भी टक्कर में शामिल था। इस बदलाव को पुलिस ने “विचारशील” माना और आगे की जांच चल रही है।

साथ ही, फोरेंसिक विज्ञान विभाग ने कहा कि बैटरियों की विस्फोटकता ने आग को मिनटों में पूरे बस में फैला दिया। उन्होंने यह भी नोट किया कि बस के अंदर इस्तेमाल किए गए लकड़ी‑आधारित फर्नीचर और सजावट “ज्वलनशील” मानी गई।

भविष्य में क्या कदम उठाए जा सकते हैं

विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी दूरी की निजी बसों में इलेक्ट्रॉनिक सामान की मात्रा को सीमित करना चाहिए। “अगर 200 से अधिक मोबाइल फोन एक ही ट्रांसपोर्ट में लादे जाएँ, तो बैटरी फेल्योर की संभावना बढ़ जाती है,” एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा। इसके अलावा, NH‑44 के कई हिस्सों में दृश्यमान संकेत, तेज़ ब्रेकिंग‑लाइट्स और बेहतर रूट‑मैपिंग की जरूरत है।

राज्य सरकार ने पहले ही इस हादसे के बाद NH‑44 के सुरक्षा ऑडिट का आदेश दिया है। परिवहन विभाग के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हम जल्द ही सभी निजी बसों की सुरक्षा जांच करेंगे और अवैध लोडिंग पर कठोर कार्रवाई करेंगे।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस दुर्घटना में सबसे बड़ा कारण क्या माना जा रहा है?

जांच के अनुसार, बस के नीचे खींची गई शराबी बाइक के खुले ईंधन कैप से उत्पन्न हुई आग, साथ ही 234 स्मार्टफ़ोन की बैटरियों के फटने से आग बहुत तेजी से फैली। यह दो कारण मिलकर बड़ी मौतों का मुख्य कारण बना।

क्या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई नियमन है?

वर्तमान में, लंबी दूरी की बसों में इलेक्ट्रॉनिक सामान के लोडिंग पर कोई राष्ट्रीय मानक नहीं है। हालांकि, कई राज्यों ने अब से ‘इलेक्ट्रॉनिक लोड‑लिमिट’ नियम पेश करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे ऐसी दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया जा सके।

बैकअप ड्राइवर की भूमिका में क्या चूक हुई?

सिवा नारायण ने बताया कि वह सो रहा था और बारिश के कारण दृश्यता कम थी, लेकिन टोपी‑सुरक्षा के हिसाब से द्वितीय ड्राइवर को हमेशा तैयार रहना चाहिए था। जांच में यह देखा जा रहा है कि क्या उसे उचित प्रशिक्षण दिया गया था या नहीं।

भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि सार्वजनिक बसों में एसी यूनिट की बैटरियों को सुरक्षित केसेस में रखना, फर्नीचर को गैर‑ज्वलनशील सामग्री से बनाना, और ड्राइवर प्रशिक्षण को सख्त करना आवश्यक है। साथ ही, हाईवे पर शराब‑पीते व्यक्तियों की निगरानी बढ़ाने की भी मांग है।



टिप्पणि (13)

  • khajan singh
    khajan singh

    समझ में आता है कि सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक सामान की लोडिंग को रेगुलेट करना जरूरी है :) लॉजिस्टिक्स टीम को अब थोड़ा बटालियन बनना पड़ेगा, ख़ासकर बैटरी मैनेजमेंट को लेकर। अगर बस में 200 से ज्यादा फोन हों तो फटने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

  • Dharmendra Pal
    Dharmendra Pal

    कुल मिलाकर यह दुर्घटना लापरवाही और सुरक्षा मानकों की कमी का परिणाम है। नियमों में सुधार आवश्यक है। सरकारी एजेंसियों को जवाबदेह बनाना चाहिए

  • Balaji Venkatraman
    Balaji Venkatraman

    ऐसे हादसे हमें यह सिखाते हैं कि जीवन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सबको नियमों का सम्मान करना चाहिए। शराबी वाहन चालक की लापरवाही ने कई की जान ले ली। बच्चों की मौत का शोक हम सबको है।
    सरकार को तुरंत इलेक्ट्रॉनिक लोड‑लीमिट कानून बनाना चाहिए।
    बस कंपनियों को भी अपने वाहनों की सुरक्षा जाँच नियमित करनी चाहिए।
    ड्राइवरों की प्रशिक्षण प्रक्रिया में विशेष रूप से अनुकूलनशीलता शामिल होनी चाहिए।
    बारिश जैसी कठिन परिस्थितियों में दोहरी ड्राइवर व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए।
    स्मार्टफोन बैटरियों की गुणवत्ता भी जांची जानी चाहिए।
    बिजली के साउंडिंग सिस्टम को फायर‑रेसिस्टेंट बनाना चाहिए।
    अगर एक ही बस में दो सौ से अधिक बैटरियां हों तो अग्निशामक उपायों की योजना बनानी चाहिए।
    हर बस में फायर‑एलीमेंट्स का ऑटो‑डिटेक्ट सिस्टम अनिवार्य होना चाहिए।
    इस तरह के नियमों से भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकी जा सकती है।
    नागरिकों को भी अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए।
    सड़कों पर शराब पीकर वाहन चलाने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
    हमें एकजुट होकर सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
    आखिरकार, जान बचाने में ही असली जीत है।
    यह सब मिलकर ही हम इस तरह की अनावश्यक मौतों को रोक पाएँगे।

  • Tushar Kumbhare
    Tushar Kumbhare

    भाई लोग, ऐसा लगता है जैसे फ़िल्म की सीन देख रहे हों 🤔 लेकिन ये असली ज़िन्दगी है, और इससे कोई फ़ायदा नहीं। अगर बस में इतने सारे फ़ोन लादे जाते हैं तो वो एक बम बन जाता है। अगली बार ड्राइवर को हाईवे पर धुंध में नींद नहीं आनी चाहिए।

  • Arvind Singh
    Arvind Singh

    ओह, वाह, अब तकनीकी गैजेट्स को लोड करने की नई फैशन ट्रेंड आया है – ‘बर्निंग बूस्ट’। बिल्कुल वही जो हमें चाहिए था, बस एक बड़ी सी आग की शोभा। शराब वाले की लापरवाही को देखते हुए, अरे, किसे फ़िरकी-फ़िरकी बालिश बातों की परवाह है? हर बार एक नई दुविधा मिलती है, क्या नहीं?

  • Vidyut Bhasin
    Vidyut Bhasin

    सच में, अगर हम इसको एक दार्शनिक दृष्टिकोण से देखें तो यह एक ‘अस्तित्ववादी ज्वाला’ है जो हमें याद दिलाती है कि इंटर्नेट के प्रबंधन में भी अनियंत्रित शक्ति है। यही कारण है कि हम अक्सर सोचते हैं कि तकनीक हमारे लिए है, पर असल में वह हमें जला देती है।

  • nihal bagwan
    nihal bagwan

    देश की शान और आत्मगौरव को देखते हुए, ऐसे हादसों को हमारे लिए अस्वीकार्य कहा जा सकता है। प्रथम श्रेणी की राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की अनुमति पर सख्त मानक होना चाहिए। इस घटना ने हमारे बुनियादी ढांचे में मौजूद गंभीर चूकों को उजागर किया है। हमें अपने राष्ट्रीय परिवहन नीति को पुनः मूल्यांकन करना होगा। भारत में अगर हम आगे बढ़ना चाहते हैं तो बसों को ‘स्मार्ट’ बनाते समय सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। सरकारी संस्थानों को तकनीकी निरीक्षण के लिए एक विशेष बोर्ड बनाना चाहिए। इस बोर्ड को सभी इलेक्ट्रॉनिक लोड के प्रमाणपत्रों की जाँच करनी होगी। साथ ही, हर राज्य को यह आदेश देना चाहिए कि अत्यधिक बैटरी वाले उपकरणों को सार्वजनिक परिवहन में प्रतिबंधित किया जाए। यह कदम केवल दुर्घटना को रोकने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास को भी मजबूत करेगा। हमें विदेशी कंपनियों को हमारे नियमों के अनुसार अपने उत्पाद बेचने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस प्रकार हम न केवल जीवन बचाएंगे, बल्कि हमारे उद्योग को भी प्रगति की दिशा में ले जाएंगे। अंत में, यह सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि वे इस बात पर ध्यान दें और अपने आसपास के लोगों को सुरक्षित रखने में योगदान दें।

  • Arjun Sharma
    Arjun Sharma

    भईयो मैं तो कहूँगा ये सब हाय‑टेक रेंडरिंग है, पर जरा इका देखो, इधर‑उधर फोन के केस अऊर बॅटरी वाला कूद‑कूद कर रखे हो। असली में बस मैं तो सोचा था की जादा गैजेट्स नहीं भार पड़ेगा, पर नाउ तो किस्मत लापरवत की बता रही है।

  • Sanjit Mondal
    Sanjit Mondal

    मैं समझता हूँ कि सभी पक्षों को एक साथ लाना कठिन है :) परंतु इस प्रकार के regulations को लागू करने से सभी यात्रियों की सुरक्षा में सुधार होगा। आशा है कि संबंधित विभाग जल्दी से कार्रवाई करेंगे।

  • Ajit Navraj Hans
    Ajit Navraj Hans

    बिलकुल लोडिंग में फिकिर नहीं है बस चलाने वाले को सादा जुबान में समझाओ फॉर्मल टोन में नहीं

  • arjun jowo
    arjun jowo

    अगर हम बसों में बैटरी‑फ्रेंडली केस इम्प्लीमेंट कर दें तो अग्नि‑जोखिम घटेगा। इसके साथ ही, ड्राइवर को रात के समय में दो‑ड्राइवर सिस्टम अपनाना चाहिए। यह सिर्फ़ सुरक्षा नहीं बल्कि यात्रियों के मन की शांति भी बढ़ाएगा।

  • Rajan Jayswal
    Rajan Jayswal

    बस में फ़ोन की भीड़, एक बड़ा मुद्दा! सुरक्षित रखें, नहीं तो जलेंगे।

  • Simi Joseph
    Simi Joseph

    इन्हें देख कर तो बसों को फ़ायरवॉल देना पड़ेगा, नहीं तो क्या हुआ? बसियों को खुद से बचाना पड़ेगा।

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