राम-सीता विवाह कथा से गूंजा चंद्रभान सिंह एजुकेशन निकेतन

राम-सीता विवाह कथा से गूंजा चंद्रभान सिंह एजुकेशन निकेतन

राम-सीता विवाह कथा से गूंजा चंद्रभान सिंह एजुकेशन निकेतन 6 अप्रैल

श्री राम महोत्सव के अंतर्गत राम-सीता विवाह कथा

संत कबीर नगर के चंद्रभान सिंह एजुकेशन निकेतन में एक अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में राम-सीता के पवित्र विवाह की कथा का मंचन किया गया। यह आयोजन श्री राम महोत्सव के अंतर्गत किया गया था और इसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लेकर धार्मिक उल्लास का अनुभव किया।

इस समारोह में रामायण के हिन्दू धर्मग्रंथ से राम-सीता के विवाह की जीवंत व्याख्या की गई। धार्मिक विद्वानों और प्रसिद्ध कलाकारों ने विवाह की सम्पन्नता को अपने अनोखे तरीके से प्रस्तुत किया। आयोध्या की तैयारियों से ले कर स्वयंवर के अद्भुत दृश्य और दिव्य जोड़े द्वारा लिए गए पवित्र वचनों का विस्तृत वर्णन किया गया। यह सभी के लिए एक भावनात्मक यात्रा थी जिसने उनकी आस्थाओं और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित किया।

आध्यात्मिकता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक

यह कथा विभिन्न सामाजिक वर्गों और आयु वर्ग के लोगों के बीच सामाजिक ‍सद्भाव और आदर्श रिश्तों का प्रतीक बनी। विशेष रूप से, यह विवाह कथा समाज में आदर्श संबंधों और सामाजिक एकता का संदेश देती है जो आज के समय में भी अत्यंत प्रासंगिक है।

प्रस्तुति के दौरान, प्रतिभागियों ने गीत-नृत्य और परंपरागत अनुष्ठानों के माध्यम से कथा की पवित्रता और गहराई को अनुभव किया। आँखों में आँसू और चेहरे पर मुस्कान की झलक के साथ भक्तगण इस आयोजन का हिस्सा बने, और यह आयोजन उनके लिए अपने विश्वासों और परंपराओं को मजबूत करने का माध्यम बना।

इस कथा के माध्यम से रामायण के कथा-वाचन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भारतीय समाज में रामायण की कथाओं का आकर्षण अनन्त है और यह आज भी सभी को प्रेरित करती हैं।



टिप्पणि (7)

  • Puru Aadi
    Puru Aadi

    वाह यार! ये कथा मंचन तो दिल को छू गया 😍 बचपन से रामायण सुनते आए हैं, लेकिन आज इतना जीवंत और भावुक तरीके से देखने को मिला तो आँखें भर आईं।

  • Nripen chandra Singh
    Nripen chandra Singh

    राम सीता का विवाह आदर्श है लेकिन क्या हम सब इसे अपनाने के लिए तैयार हैं या बस इसे मंच पर देखकर भावुक हो जाते हैं और फिर अपने घर में अलग ही चलन अपना लेते हैं जिसमें वास्तविकता और आदर्श के बीच खाई है

  • Rahul Tamboli
    Rahul Tamboli

    अरे भाई ये सब नाटक है बस जिसने भी इसे ऑर्गनाइज़ किया उसने अपना नाम बनाने के लिए रामायण का इस्तेमाल किया 😒 आजकल हर चीज़ में धर्म का नाम लग जाता है ताकि लोग डोंग लगा जाएं और फंड आ जाएं

  • Jayasree Sinha
    Jayasree Sinha

    इस आयोजन की सफलता का श्रेय संगठनकर्ताओं और सभी सहभागियों को जाता है। विशेष रूप से उन कलाकारों को जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से पवित्र कथा को जीवंत किया। भाषा, वेशभूषा और भावनाओं का संयोजन अत्यंत सूक्ष्म था।

  • Vaibhav Patle
    Vaibhav Patle

    ये आयोजन बस एक धार्मिक घटना नहीं बल्कि एक आत्मिक अनुभव था। मैंने देखा कि बूढ़े और बच्चे सब एक साथ रो रहे थे। ये है वो जुड़ाव जिसे हम आजकल भूल गए हैं। ऐसे आयोजन और चाहिए। अगर हर स्कूल ऐसा करे तो भारत का भविष्य बेहतर होगा 🙏

  • Garima Choudhury
    Garima Choudhury

    क्या तुम्हें लगता है ये सब असली है? मैंने सुना है कि इस शिक्षा संस्थान के प्रिंसिपल के पास एक बड़ा जमीनी विवाद है और ये सब धोखा है जिससे लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। रामायण का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

  • Hira Singh
    Hira Singh

    बहुत अच्छा लगा भाई! ये आयोजन दिखाता है कि हमारी संस्कृति अभी जिंदा है। बच्चों को ये देखना चाहिए कि रिश्ते क्या होते हैं। अगर ये आयोजन दूसरे स्कूलों में भी हो जाए तो बहुत बढ़िया होगा 😊

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