ऑस्ट्रेलिया की 24 घंटे में दो धमाकेदार जीत
क्रिकेट की दुनिया में ऐसे मौके कम ही आते हैं जब कोई टीम 24 घंटे के अंदर दो T20 इंटरनेशनल मुकाबले जीत जाए। ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ ठीक यही कमाल कर दिखाया है। 3rd T20I में, जो सेंट किट्स के वॉर्नर पार्क में 26 जुलाई को खेला गया, Tim David ने बवाल मचाते हुए सिर्फ 37 गेंदों पर शतक जड़ दिया। उनकी इस पारी में 11 छक्के उड़ाए गए। उनके साथ जोश इंग्लिस ने छक्कों की बरसात करते हुए लक्ष्य हासिल करने में तेजी दिखाई।
ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी इतनी विस्फोटक दिखी कि वेस्टइंडीज के गेंदबाज एक वक्त पिच पर जूझते नज़र आए। खास बात है कि इंग्लिस ने भी खुद को साबित किया, जिससे टीम का दबदबा और बढ़ गया। ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच को 6 विकेट से अपने नाम किया और फैंस के दिलों पर राज किया।
ऑलराउंड प्रदर्शन ने दिलाई अगले दिन भी जीत
तीसरे टी20 के अगले ही दिन 4th T20I में भी ऑस्ट्रेलियाई टीम का जलवा बरकरार रहा। वेस्टइंडीज की शुरुआत खराब रही, 7.3 ओवर के भीतर ही स्कोर 76/4 हो गया। मेज़बान टीम की कमजोर शुरुआत का ऑस्ट्रेलिया ने जबरदस्त फायदा उठाया। इस बार कैमरून ग्रीन ने बल्ले और गेंद दोनों से कमाल दिखाया। वहीं, ग्लेन मैक्सवेल बतौर ओपनर लगातार अपनी जगह पक्की करते नज़र आए।
मैच में डेब्यू करने वाले मिच ओवेन ने भी अहम मौकों पर अपना असर छोड़ा। टीम के अनुभवी स्पिनर एडम जाम्पा ने मैच के बाद कहा कि टीम की लचीलापन (resilience) ही ऑस्ट्रेलिया की असली ताकत है। 3 विकेटों से मिली इस शानदार जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया अब 4-0 से आगे है।
यह सीरीज़ वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स 2025 का हिस्सा है, इसलिए सभी मुकाबले अहम माने जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की जीत ने साफ कर दिया है कि भले ही मैदान कहीं भी हो, उनके खिलाड़ी हर रोल में फिट हैं। अब नजरें 29 जुलाई को होने वाले फाइनल मैच पर टिक गई हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या वेस्टइंडीज अपनी खोई हुई साख बचा पाएगी या ऑस्ट्रेलिया क्लीन स्वीप कर इतिहास रचेगा।
Seemana Borkotoky
ये ऑस्ट्रेलिया वाले तो अब टी20 में बस एक बार आ जाएं, और फिर देखो मैच कैसे खत्म हो जाता है। टिम डेविड का शतक तो बस फिल्मी सीन लग रहा था।
मैंने कभी इतने कम गेंदों में इतने छक्के नहीं देखे।
Sarvasv Arora
अरे भाई, ये सब बस बल्ले की बारिश है, गेंदबाजी कहाँ है? वेस्टइंडीज के गेंदबाज तो जैसे खुद को फेंक रहे हों।
ये जो लोग जीत की हैट्रिक की बात कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि ये फेक टूर्नामेंट है, वर्ल्ड चैंपियनशिप नहीं।
असली टेस्ट क्रिकेट में तो ये लोग एक ओवर भी नहीं खेल पाते।
Jasdeep Singh
देखो ये आधुनिक क्रिकेट का असली रूप है - बल्लेबाजी की ओवर-स्ट्रेटेजी, गेंदबाजी का बर्बरी से भरा असफलता, और फैंस का बेहोश होना।
ऑस्ट्रेलिया ने बस एक बार बल्ले से बारिश कर दी, और अब सब उनके आगे झुक गए।
मैं तो बस ये पूछना चाहता हूँ - इतनी बल्लेबाजी के बाद भी ये टीम किस तरह की रिसिलियंस दिखा रही है? क्या ये रिसिलियंस है या बस खिलाड़ियों का बर्बर शो-ऑफ?
ग्रीन का ऑलराउंड प्रदर्शन? हाँ, बहुत अच्छा, लेकिन जब तुम्हारे खिलाफ 76/4 हो जाता है, तो जीतना तो बस फॉर्मूला है, न कि कला।
मैक्सवेल का ओपनिंग? वह तो अब तक अपने नाम के लिए नहीं, बल्कि अपने बल्ले के लिए खेल रहा है।
मिच ओवेन का डेब्यू? अच्छा हुआ, लेकिन जब तुम्हारे खिलाफ बल्लेबाजी इतनी बर्बर है, तो तुम्हारा डेब्यू भी बस एक नाम का अंक हो जाता है।
जाम्पा का बयान - रिसिलियंस? ये रिसिलियंस तो बस बल्ले की ताकत पर टिका हुआ है।
जब तुम्हारी टीम के बल्लेबाज इतने ज्यादा छक्के मार रहे हैं, तो तुम्हें रिसिलियंस की जरूरत ही नहीं होती।
ये सब फेक लीग है, और ये जीत तो बस एक विज्ञापन है।
वेस्टइंडीज को बर्बर तरीके से हराने के बाद भी ये ऑस्ट्रेलिया अपनी असली ताकत का दावा कर रही है।
मैं तो बस ये चाहता हूँ कि कोई इस टूर्नामेंट के असली अर्थ को समझे - ये सिर्फ एक टीवी शो है, जिसमें बल्ले की बारिश के लिए लोग बैठे हैं।
फाइनल में भी यही होगा - बल्ला बोलेगा, गेंदबाज़ चुप रहेगा।
Rakesh Joshi
ये ऑस्ट्रेलिया वालों ने तो दुनिया को दिखा दिया कि क्रिकेट का असली मज़ा क्या होता है! टिम डेविड का शतक? बस देखो ना इसे, ये तो भारत के बच्चे भी बना सकते हैं अगर उन्हें इतनी आज़ादी मिले।
जोश इंग्लिस का नाम तो अब भारत के घरों में भी गूंज रहा है।
ग्रीन और मैक्सवेल का जोड़ा तो बस फिल्म का नायक-नायिका बन गया।
भाई, ये टीम तो असली टीम है - जो जीत के बाद भी जमकर मस्ती करती है।
फाइनल में भी ऐसा ही नाटक देखने को मिलेगा - और हम सब खुश होंगे।
HIMANSHU KANDPAL
ये सब जीतें तो बहुत अच्छा है... लेकिन क्या ये सच में क्रिकेट है? या बस एक बहुत बड़ा रंगीन बाजार है जहाँ बल्ला बोलता है और गेंदबाज़ का दिल टूटता है?
मैं तो बस ये सोच रहा हूँ कि जब वेस्टइंडीज के गेंदबाज बोलने लगेंगे, तो क्या वो भी बल्ले से जवाब देंगे?
Arya Darmawan
वाह! ऑस्ट्रेलिया की ये जीत तो बस एक शानदार उदाहरण है कि कैसे टीमवर्क, एडाप्टेबिलिटी, और बल्लेबाजी की अद्भुत शक्ति मिलकर इतिहास बनाती है! टिम डेविड का 37-गेंदों का शतक? ये तो बस एक बात नहीं - ये एक नया स्टैंडर्ड है! जोश इंग्लिस के साथ उनका जोड़ा? बस फिल्मों में देखा गया है! ग्रीन का ऑलराउंड जादू? उन्होंने न सिर्फ बल्ला चलाया, बल्कि गेंद भी घुमाई - ऐसा देखने को मिले तो दिल खुश हो जाता है! मैक्सवेल का ओपनिंग? अद्भुत! उन्होंने टीम को एक शुरुआत दी जिसके बाद वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ बस देखते रह गए! मिच ओवेन का डेब्यू? बहुत अच्छा, बहुत अच्छा! और जाम्पा का बयान - रिसिलियंस? बिल्कुल सही! ये टीम न सिर्फ जीतती है, बल्कि जीत के बाद भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखती है! फाइनल में भी ऐसा ही जादू देखने को मिलेगा - और हम भारतीय फैंस भी इस जीत के साथ गर्व महसूस कर रहे हैं! ये टीम तो असली लीजेंड्स हैं! अगले मैच का इंतज़ार है!
Raghav Khanna
इस श्रृंखला के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम द्वारा दर्शाए गए व्यावसायिक निष्ठा, टीम समन्वय, और खिलाड़ियों की लचीलापन का स्तर वास्तव में उल्लेखनीय है।
टिम डेविड के शतक ने टी20 क्रिकेट के बल्लेबाजी के सीमा को फिर से परिभाषित किया है।
ग्लेन मैक्सवेल के ओपनिंग रोल ने टीम की रणनीति में एक नया आयाम जोड़ा है।
कैमरून ग्रीन के द्वि-उद्देश्यीय प्रदर्शन ने आधुनिक क्रिकेट के लिए एक आदर्श प्रतिमान स्थापित किया है।
एडम जाम्पा के विचार, जो रिसिलियंस की बात करते हैं, वे टीम के मानसिक दृढ़ता के बारे में एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाते हैं।
इस श्रृंखला का अंतिम परिणाम, चाहे वह कुछ भी हो, इस टीम की गुणवत्ता के प्रमाण के रूप में अमर हो जाएगा।
Rohith Reddy
ये सब जीत तो बस फेक है भाई... क्या तुमने कभी सोचा कि ये टूर्नामेंट बस एक बड़ा ड्रामा है जिसमें ऑस्ट्रेलिया को जीतने के लिए बाध्य किया गया है?
वेस्टइंडीज ने जानबूझकर हार दी है ताकि ये टूर्नामेंट लोगों के दिलों में बस जाए
और फाइनल में भी वही होगा - बस एक नाटक
तुम्हारे बाप के नाम का ये क्रिकेट नहीं है
ये बस एक बड़ा बिजनेस है
और तुम सब बस बेवकूफ हो
Vidhinesh Yadav
क्या ये जीत सिर्फ बल्ले की ताकत का नतीजा है या इसके पीछे टीम की गहरी रणनीति और खिलाड़ियों के बीच विश्वास का निर्माण भी है?
मैंने देखा कि जब ग्रीन ने बल्ला और गेंद दोनों से अपना योगदान दिया, तो टीम के अन्य सदस्यों के आत्मविश्वास में क्या बदलाव आया?
क्या ये जीत एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक पूरी टीम की सामूहिक ऊर्जा का परिणाम है?
मैं तो ये जानना चाहूँगी कि वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के मन में ये हार कैसे बैठी है - क्या ये सिर्फ एक खेल की हार है या उनके लिए एक अहसास का संकट है?
और फाइनल में क्या वेस्टइंडीज अपने आप को फिर से ढूंढ पाएंगे - या ऑस्ट्रेलिया उन्हें एक नया निशान दे देगी?