RITES लिमिटेड के शेयर आज एक्स-बोनस और एक्स-डिविडेंड के तौर पर ट्रेड कर रहे हैं। कंपनी ने 5 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड और 1:1 अनुपात में बोनस शेयर जारी करने की घोषणा की थी। इस ऐक्शन का उद्देश्य स्टॉक की तरलता बढ़ाना और इसे सामान्य निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बनाना है।
एक्स-डिविडेंड – आसान भाषा में पूरी जानकारी
आप स्टॉक मार्केट में हो या बस शेयर देख रहे हों, ‘एक्स-डिविडेंड’ शब्द अक्सर सुनते हैं. लेकिन असली मतलब समझा है? चलिए बताते हैं कि यह क्या है और आपके निवेश पर कैसे असर डालता है.
एक्स-डिविडेंड का मूल मतलब
जब कोई कंपनी अपना लाभ शेयरधारकों में बांटती है, तो उसे ‘डिविडेंड’ कहते हैं. एक्स-डिविडेंट डेट वह दिन होता है जिस पर अगर आप शेयर खरीदते हैं, तो आपको उस डिविडेंड का हक नहीं मिलेगा. यानी, इस तारीख के बाद खरीदे गए शेयरों को कंपनी की अगली डिविडेंड घोषणा में शामिल नहीं किया जाएगा.
डेट कैसे काम करती है?
डिविडेंड प्रक्रिया आमतौर पर तीन मुख्य तिथियों से चलती है: एक्स-डिविडेंट डेट, रेकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट. एक्स-डेट के पहले वाले दिन तक शेयर रखें तो आप डिविडेंड पाएँगे. रेकॉर्ड डेट वह आखिरी तारीख है जब कंपनी तय करती है किन्हें भुगतान करना है, जबकि पेमेंट डेट पर पैसा आपके खाते में ट्रांसफर हो जाता है.
उदाहरण लेिए, अगर कोई कंपनी 15 जुलाई को एक्स-डेट रखती है और 18 जुलाई को रेकॉर्ड डेट घोषित करती है, तो 14 जुलाई या उससे पहले शेयर रखने वाले निवेशकों को डिविडेंड मिलेगा. 15 जुलाई के बाद खरीदने पर आप अगले चक्र तक इंतज़ार करेंगे.
यह नियम हर कंपनी में थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए शेयर ख़रीदते समय एक्स-डेट की जानकारी जरूर देखें.
डिविडेंड का असर स्टॉक प्राइस पर
एक्स-डेट के बाद अक्सर शेयर कीमत घटती दिखती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डिविडेंड के रूप में कंपनी ने कुछ पैसा बांटा और अब बचे हिस्से की वैल्यू कम हो जाती है. लेकिन यह हमेशा ठीक‑ठाक गिरावट नहीं, कभी‑कभी बाजार भावना पर भी निर्भर करता है.
अगर आप दीर्घकालिक निवेश कर रहे हैं, तो डिविडेंड को अतिरिक्त आय मानें, न कि सिर्फ शेयर की कीमत में बदलाव. कई निवेशकों के लिए नियमित डिविडेंड ही उनके पोर्टफोलियो का मुख्य आकर्षण होता है.
टैक्स और एक्स-डिविडेंड
भारत में डिविडेंड पर 10% टैक्स (यदि आप एलएलपी या कंपनी नहीं) लगता है, लेकिन यदि आपके पास टेम्परेचर कटौती (TDS) हो तो वह पहले ही काट लिया जाता है. इसलिए पेमेंट डेट के दिन आपको नेट राशि मिलती है.
कुछ विशेष केस में डिविडेंड को ‘डिविडेंड रिटर्न’ कहा जाता है, जहाँ आप टैक्स फ्री लाभ पा सकते हैं, जैसे कुछ लिक्विडिटी म्यूचुअल फंड्स में. लेकिन सामान्य शेयरों के लिए ऊपर बताई गई नियम लागू होते हैं.
कैसे देखें एक्स-डिविडेंट डेट?
कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट, ब्रोकर प्लेटफ़ॉर्म या NSE/BSE के न्यूज़ सेक्शन में ये तिथियां मिलती हैं. अक्सर ‘कॉरपोरेट एनेउंसेमेंट्स’ या ‘डिविडेंड घोषणा’ शीर्षक से प्रकाशित होते हैं.
यदि आप नए निवेशक हैं, तो हर कंपनी की डिविडेंड नीति पढ़ें और एक्स-डेट के हिसाब से खरीद‑बिक्री योजना बनाएं. इससे न केवल आय बढ़ेगी बल्कि अनचाहे नुकसान से बचाव भी होगा.
संक्षेप में, एक्स-डिविडेंट डेट वह कटऑफ़ है जिससे आप जान सकते हैं कि कौन‑से शेयर आपको डिविडेंड देंगे. इसे समझना आपके निवेश को सही दिशा देता है और टैक्स प्लानिंग आसान बनाता है.