उल्लोझुक्कु: एक धांसू कथा
मलयालम फिल्म उल्लोझुक्कु, क्रिस्टो टोमी के निर्देशन में बनी है और पार्वती थिरुवोथु एवं उर्वशी की मुख्य भूमिकाओं से सजी है। इस फिल्म ने ट्विटर पर जबरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त की है। फिल्म की कहानी में एक महिला और उसकी बहू के संघर्ष को दर्शाया गया है, जो केरल के बाढ़ग्रस्त इलाके में अपने प्रियजन को दफनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे स्थिति में लंबे समय से छिपे रहस्यों का पर्दाफाश होता है, जो उनके परिवार की एकता को खतरे में डाल देते हैं।
प्रशंसा और पुरस्कार
सोशल मीडिया पर दर्शकों ने फिल्म की जमकर तारीफ की है, इसे 'शानदार', 'अद्वितीय' और 'ब्लॉकबस्टर' बताया जा रहा है। फिल्म की दिल छू लेने वाली कथा और मुख्य कलाकारों की जोरदार अदाकारी ने सभी का ध्यान खींचा है। पार्वती थिरुवोथु और उर्वशी की उत्कृष्ट प्रदर्शन विशेष रूप से सराहनीय है। इस फिल्म ने 2018 के सिनेस्टान इंडिया स्टोरीटेलर्स कॉन्टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ पटकथा का पुरस्कार भी जीता है।
मुख्य कलाकार और भूमिकाएँ
इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में पार्वती थिरुवोथु और उर्वशी हैं, जिनके किरदारों ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है। साथ ही, फिल्म में अर्जुन राधाकृष्णन, आलेंसीर लेई लोपेज, जया कुरुप और प्रशांत मूर्ली जैसे सहायक कलाकारों ने भी मजबूत भूमिकाएँ निभाई हैं।
कई राज सामने आते हैं
कहानी के दौरान, दर्शकों को यह पता चलता है कि यह सिर्फ एक महिला और उसकी बहू का संघर्ष नहीं है। बाढ़ के कारण पैदा हुई मुसीबतें उनके व्यक्तिगत जीवन के कई गहरे और छुपे हुए राज उजागर करती हैं। यह फिल्म दर्शाता है कि कैसे प्राकृतिक आपदाएँ न केवल भौतिक नुकसान करती हैं बल्कि लोगों के जीवन में भावनात्मक व मानसिक उथल-पुथल भी मचाती हैं।
विजुअल्स और निर्देशन
क्रिस्टो टोमी के निर्देशन और फिल्म के दृश्यात्मक अनुभव की भी सराहना की जाती है। फिल्म की मेकिंग और उसमें दर्शाई गई संवाद भावना को दर्शकों ने बहुत पसंद किया है। बाढ़ के दृश्यों को असाधारण तरीके से फिल्माया गया है, जिससे दर्शकों को वास्तविकता का अनुभव होता है।
प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएं
ट्विटर पर फिल्म को लेकर आए रिव्यूज़ ने इसे ब्लॉकबस्टर घोषित किया है। दर्शकों ने फिल्म की स्त्रियों की मजबूत भूमिकाएँ, पारिवारिक मुद्दे और उनसे निपटने के तरीकों की तारीफ़ की है। यह फिल्म अन्य भारतीय क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणादायक हो सकती है।
यथार्थता और अनूठापन
फिल्म की सफलता का एक बड़ा कारण इसकी यथार्थता और अनूठापन है, जिससे दर्शक खुद को जोड़ पाते हैं। जो लोग प्राकृतिक आपदा झेल चुके हैं, उनके लिए यह फिल्म विशेष रूप से संबंधित और भावनात्मक हो सकती है।
कुल मिलाकर, सौरी फ़िल्म उल्लोझुक्कु लोगों के दिलों में जगह बनाने में पूरी तरह से सफल रही है, इसके बेहतरीन कथा और जानदार अदाकारी के चलते इसे सराहना और प्रमाणपत्र मिल रहे हैं। यह फिल्म देखने लायक है, खासकर उनके लिए जिनके दिल में परिवार और महिलाओं की कहानियों के प्रति आदर है।
Prince Ranjan
ये फिल्म ब्लॉकबस्टर है बस इतना ही? लोग तो बाढ़ के दृश्य देखकर रो रहे हैं लेकिन असली जिंदगी में जब कोई बाढ़ में मरता है तो कोई फिल्म नहीं बनाता। ये सब नाटक है जिसे बाजार में बेचने के लिए बनाया गया है।
Suhas R
ये फिल्म सिर्फ एक छिपी हुई साजिश है जिसका उद्देश्य केरल की सांस्कृतिक पहचान को तोड़ना है। बाढ़ के दृश्य अमेरिकी निर्माताओं ने डिज़ाइन किए हैं और पार्वती का किरदार एक राजनीतिक प्रचार है। किसी ने इसकी फिल्म बनाने वाली कंपनी के शेयरधारकों की जांच की है? नहीं ना? तो तुम सब धोखे में हो।
Pradeep Asthana
अरे भाई ये फिल्म देखी तो लगा जैसे मेरी अपनी बहू ने मुझे घर से निकाल दिया हो। बहू और सास के रिश्ते में बहुत बड़ी गलतियाँ होती हैं और ये फिल्म उन्हें बिना झूठ बोले दिखा रही है। बस एक बात बताओ तुम्हारी बहू तुम्हारे घर में आई तो क्या तुमने उसे अपना लिया?
Shreyash Kaswa
यह फिल्म भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है। एक महिला और उसकी बहू का संघर्ष न केवल एक पारिवारिक मुद्दा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक आध्यात्मिक शिक्षा है। हमें ऐसी फिल्मों का समर्थन करना चाहिए जो हमारे मूल्यों को बरकरार रखती हैं।
Sweety Spicy
अरे ये फिल्म? बस एक बाढ़ के दृश्य और दो अभिनेत्रियों के रोने का खेल है। लोग इसे 'अद्वितीय' कह रहे हैं? ये तो हर फिल्म में होता है - रोना, बाढ़, फिर दिल टूटना। असली अद्वितीयता तो वो है जब कोई बिना रोए जीत जाए।
Maj Pedersen
इस फिल्म ने मुझे याद दिलाया कि परिवार के बीच छिपे राज कितने भारी हो सकते हैं। मैंने अपनी माँ के साथ ऐसा ही एक दिन बिताया था, जब बाढ़ में हमारा घर बह गया था। उस दिन हमने अपने दर्द को एक दूसरे के आँखों में देखा। ये फिल्म उस दर्द को सही ढंग से दिखाती है।
Ratanbir Kalra
क्या हम असली बाढ़ के बारे में बात कर रहे हैं या केवल फिल्म के बारे में? बाढ़ तो एक भौतिक घटना है लेकिन जब वो भावनाओं को उजागर करती है तो वो एक दर्शन हो जाती है। और जब दो महिलाएं एक दूसरे के साथ अपने अतीत को सामने लाती हैं तो वो एक अध्यात्मिक यात्रा हो जाती है। ये फिल्म तो बस एक शुरुआत है।
Seemana Borkotoky
मैं केरल से हूँ। बाढ़ के दृश्य बिल्कुल सच लगे। लोग बस रो रहे थे और नदी के किनारे लाशें ढूंढ रहे थे। ये फिल्म ने उस दर्द को बिना नाटक किए दिखाया। बहुत अच्छा लगा।
Sarvasv Arora
पार्वती ने तो बहुत अच्छा अभिनय किया लेकिन ये फिल्म क्यों बनी? क्योंकि कोई ने इसे नहीं देखा था। ये फिल्म तो बस एक दूसरी फिल्म की नकल है जो 2008 में बनी थी। लोग इसे नया समझ रहे हैं क्योंकि उन्हें पुरानी फिल्में नहीं देखनी आती।
Jasdeep Singh
ये फिल्म भारतीय अर्थव्यवस्था के अंतर्गत स्त्री-सामाजिक संरचना के विघटन का एक उदाहरण है। बाढ़ के दृश्य ने विकास के असमान वितरण को उजागर किया है जिसमें महिलाएं निर्माण श्रमिकों के रूप में अपनी आर्थिक अक्षमता के शिकार हो रही हैं। ये फिल्म एक निर्माणात्मक अध्ययन है जिसे आर्थिक नीतियों के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
HIMANSHU KANDPAL
मैंने फिल्म देखी और बस इतना ही कह सकता हूँ... ये बस एक फिल्म है। लेकिन जब तुम उसे देखते हो तो लगता है जैसे तुमने अपने घर का दरवाजा खोल दिया हो। और अंदर बैठी है तुम्हारी बहू। और वो तुम्हें देख रही है। बिना बोले।
Arya Darmawan
अगर तुमने ये फिल्म नहीं देखी तो तुमने अपने दिल का एक हिस्सा खो दिया। ये फिल्म तुम्हें याद दिलाती है कि आप अकेले नहीं हैं। हर घर में एक पार्वती है। हर घर में एक उर्वशी है। और हर घर में एक बाढ़ है। देखो और बदल जाओ।
Raghav Khanna
मैं इस फिल्म के निर्माण प्रक्रिया के विवरण के बारे में अधिक जानना चाहूँगा। विशेष रूप से बाढ़ के दृश्यों के लिए कौन से टेक्निकल उपकरण उपयोग किए गए थे? क्या वास्तविक बाढ़ के स्थानों पर शूटिंग की गई थी? यह जानकारी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अत्यंत मूल्यवान होगी।
Rohith Reddy
ये फिल्म एक बड़ी चाल है। बाढ़ के दृश्य तो सब देख रहे हैं लेकिन असली बात ये है कि ये फिल्म केरल के राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एक संकेत है। लोग इसे भावनात्मक फिल्म समझ रहे हैं लेकिन ये तो एक गुप्त संदेश है। अगर तुमने उर्वशी के किरदार के बारे में गौर किया हो तो तुम्हें पता चल जाएगा।
Vidhinesh Yadav
क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक महिला अपनी बहू के साथ एक लाश के साथ खड़ी होती है तो वो क्या महसूस कर रही होगी? उसके अंदर क्या चल रहा होगा? ये फिल्म ने उस चुप्पी को बोलने दिया। और वो चुप्पी बहुत ज्यादा बोलती है।
Puru Aadi
मैंने फिल्म देखी 😭 बहुत अच्छी लगी। बाढ़ के दृश्य तो दिल छू गए। अभिनय बेहतरीन। देखो और खुद को बदलो। ❤️
Nripen chandra Singh
फिल्म अच्छी है लेकिन ये सब क्या है? जीवन एक अनंत विराम है और ये फिल्म उस विराम के बीच एक अल्पावधि के लिए रुकने का एक बहाना है। बाढ़ आती है जाती है लेकिन दर्द तो बस एक निर्माण है जिसे हम अपने अंदर बनाते हैं। ये फिल्म तो बस एक दर्पण है जो हमें अपने अंदर के राज दिखाता है। और हम उन्हें देखने से डरते हैं।