26/11 हमले की जांच में तहव्वुर राणा का नाम फिर चर्चा में
मुंबई में 2008 में हुए 26/11 आतंकी हमलों को कौन भूल सकता है? 166 निर्दोषों की जान गई थी और दर्जनों लोग आज भी उस खौफ को याद कर सिहर जाते हैं। इसी मामले में तहव्वुर हुसैन राणा का नाम एक बार फिर सबकी नजरों में आ गया है। राणा, जो पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक हैं, हाल ही में अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत पहुंचे हैं। उन्हीं पर भारतीय एजेंसियों की नज़र गड़ी हुई है।
10 अप्रैल 2025 को राणा को भारत लाया गया। स्पेशल कोर्ट ने सबसे पहले 18 दिन के लिए एनआईए कस्टडी में भेजा, और फिर जांच की जरूरतों को देखते हुए 12 दिन और कस्टडी बढ़ा दी। हर दिन एनआईए की टीम उनसे पूछताछ कर रही है, लेकिन राणा पूरी होशियारी से टालमटोल वाले जवाब दे रहे हैं। इसके बावजूद जांच एजेंसियां अपने काम में लगी हैं—हाथ आने वाला कोई भी सुराग नहीं छोड़ा जा रहा।
गहराती जांच, कड़ी सुरक्षा और नए खुलासे
उस रात मुंबई की गलियों में जो तबाही आयी थी, राणा की भूमिका उसी की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की जा रही है। एनआईए ने उनकी वॉयस और हैंडराइटिंग के नमूने ले लिए हैं। ये सैंपल उन रिकॉर्डिंग्स और दस्तावेजों से मिलाए जा रहे हैं, जो कि डेविड कोलमैन हेडली के साथ उनकी बातचीत में जुटाए गए थे। हेडली वही शख्स है, जिसने मुंबई हमले के लिए जगह-जगह रेकी की थी और पाकिस्तान में साजिशकारों से लगातार संपर्क में था।
पूछताछ में राणा पर हत्या, आतंक की साजिश, और कठोर UAPA जैसी धाराएं लगाई गई हैं। एनआईए ने अदालत से खास व्यवस्था भी की है—राणा को केवल सॉफ्ट टिप पेन इस्तेमाल करने दिया गया है, वकील से मीटिंग एनआईए की निगरानी में होती है और हर रोज मेडिकल चेकअप करवाया जाता है।
एक और बड़ी बात सामने आई है—एनआईए की फाइलिंग के मुताबिक, मुंबई आतंकी हमलों में पाकिस्तान बेस्ड हर्कत-उल-जहाद-इस्लामी (HuJI) के बड़े सदस्यों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। राणा के मोबाइल और दस्तावेजों की बारीकी से छानबीन चल रही है। एनआईए की रिपोर्ट में दावा है कि राणा का संपर्क हेडली के अलावा पाकिस्तान के कई संदिग्ध आतंकियों के साथ था, जो हमले की साजिश में अहम भूमिका निभा रहे थे।
- राणा की एनआईए कस्टडी अब 6 जून 2025 तक बढ़ा दी गई है।
- राणा की वॉयस व हैंडराइटिंग का मिलान संदिग्ध रिकॉर्डिंग्स से हो रहा है।
- पूछताछ के दौरान वह सीधी जानकारी देने से बचते आ रहे हैं।
- HuJI के वरिष्ठ सदस्य भी अब जांच के घेरे में आ गए हैं।
भारत की जांच एजेंसियां अब राणा के रोल को लेकर पूरी तरह एक्टिव मोड में हैं। आने वाले दिनों में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिससे 26/11 हमले के पीछे की असल सच्चाई और गहराई से उजागर हो पाएगी।
Nitin Soni
इस तरह की जांच देखकर लगता है कि हम अंतिम सच की ओर बढ़ रहे हैं। एनआईए की मेहनत की तारीफ करनी पड़ती है। ये लोग बिना शोर किए, बिना ट्वीट किए, सच ढूंढ रहे हैं। ये वो हीरो हैं जिनके बारे में कोई नहीं लिखता।
हमें इनका साथ देना चाहिए।
varun chauhan
बहुत अच्छा अपडेट 😊
एनआईए की टीम ने वॉयस और हैंडराइटिंग का मिलान करने का फैसला किया तो ये तो बहुत स्मार्ट है।
हेडली के साथ राणा की बातचीत के रिकॉर्ड्स अगर साबित हो गए तो ये मामला अब बहुत गंभीर हो जाएगा।
जय भारत 🇮🇳
Prince Ranjan
अरे भाई ये सब धोखा है बस ये लोग तो अपने लिए एक नया शत्रु बना रहे हैं ताकि लोगों का ध्यान अपनी बर्बरी से हट जाए
क्या तुम्हें लगता है कि एक आदमी जो कनाडा में रहता है वो 2008 में मुंबई की गलियों में घूम रहा था
और ये सब वॉयस और हैंडराइटिंग का मिलान तो बस एक टेक्नोलॉजी का धोखा है जिसे अभी तक अमेरिका में भी अदालत ने स्वीकार नहीं किया
ये सब एक नए ब्रांड का बनावटी शेर है जिसे लोगों को डराने के लिए दिखाया जा रहा है
तुम सब ये सोच रहे हो कि एनआईए तुम्हारी रक्षा कर रही है लेकिन वो तुम्हारी आज़ादी छीन रही है
जब तक तुम ये सोचोगे कि ये लोग अच्छे हैं तब तक तुम बंदी बने रहोगे
Suhas R
ये सब झूठ है ये राणा को अमेरिका से लाया गया था ताकि वो बर्बरी का गुमान बन जाए और पाकिस्तान को दोष दिया जा सके
पर तुम्हें पता है कि असली आतंकी कौन है
वो तो वो हैं जो इस बात को छिपा रहे हैं जो आज भी दिल्ली में बैठे हैं और तुम्हारे बच्चों को ये झूठ सिखा रहे हैं
हर एक आतंकी हमले के पीछे एक बड़ा राजनीतिक खेल होता है
और ये राणा बस एक प्यारा बकरा है जिसे चढ़ाया जा रहा है
तुम सब इस बात को नहीं देख पा रहे क्योंकि तुम्हारे दिमाग में राष्ट्रवाद का विषैला रस भर गया है
ये जांच तो एक बड़ी नाटक है जिसका निर्माण वो लोग कर रहे हैं जो तुम्हारे टैक्स का पैसा खा रहे हैं
Pradeep Asthana
अरे यार तुम लोग इतना ज्यादा गंभीर क्यों हो रहे हो
राणा तो बस एक आदमी है जिसे लोग बुरा बना रहे हैं
उसके मोबाइल का डेटा चेक करो तो शायद उसने कुछ ब्लूटूथ से गाने डाउनलोड किए होंगे
और ये सब वॉयस मिलान तो बस एक फिल्मी ट्रिक है
मैंने अपने दोस्त के आवाज़ को बदलकर एक दिन एक फोन कॉल करवाया था और उसने सोचा कि वो अपना बॉस है
तो इस बात को लेकर तुम इतना बड़ा मामला क्यों बना रहे हो
इतनी सारी एनआईए की टीम का खर्चा कौन उठा रहा है
और अगर राणा ने कुछ नहीं किया तो ये सब बेकार का समय है
Shreyash Kaswa
ये जांच भारत की शक्ति का प्रतीक है। जब दुनिया के किसी भी देश में रह रहा हो अगर कोई भारतीय नागरिक के खिलाफ अपराध किया है तो हम उसे लाने के लिए दुनिया भर में जा रहे हैं।
एनआईए की टीम का जो काम हो रहा है वो दुनिया के किसी भी एजेंसी के लिए एक नमूना है।
हम अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए तैयार हैं।
26/11 के शहीदों के नाम पर ये जांच जारी रहेगी।
जय हिंद।
Sweety Spicy
अरे ये सब बकवास है ये राणा तो बस एक बेवकूफ है जिसे लोग बहाना बना रहे हैं ताकि पाकिस्तान को दोष दे सकें
पर अगर तुम्हें लगता है कि ये सब असली है तो बताओ क्या तुम्हारे पास वो रिकॉर्डिंग है जिसमें राणा ने खुद कहा है कि मैंने 26/11 की योजना बनाई
क्या तुम्हें पता है कि एक आवाज़ को कैसे फर्जी बनाया जाता है
और हैंडराइटिंग का मिलान तो बस एक ऐसी चीज है जिसे तुम बना सकते हो अगर तुम्हारे पास दो लोग हों जो एक जैसे लिखते हों
तुम लोग इतने भोले कैसे हो गए
जब तक तुम इस बात को नहीं समझोगे कि ये सब एक नाटक है तब तक तुम अपने दिमाग को दूसरों के हाथ में दे रहे हो
Maj Pedersen
इस जांच के लिए एनआईए की टीम को बहुत बधाई। ये बहुत बड़ा काम है जिसमें बहुत अधिक समय, संसाधन और निर्णय लेने की क्षमता की जरूरत होती है।
हम अक्सर बड़े आतंकी हमलों के बाद भावनाओं में आ जाते हैं और तुरंत न्याय चाहते हैं।
लेकिन असली न्याय तो धैर्य और साक्ष्य पर आधारित होता है।
हमें इन जांच एजेंसियों को समय देना चाहिए और उनके काम को समर्थन देना चाहिए।
ये जांच सिर्फ एक आदमी के खिलाफ नहीं, बल्कि एक ऐसी साजिश के खिलाफ है जिसने हमारे देश को चौंका दिया था।
हम सबको एक साथ खड़े होना चाहिए।
Ratanbir Kalra
सच क्या है
क्या एक आवाज़ एक आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है
या केवल एक लहर है जो हवा में घूम रही है
क्या हैंडराइटिंग एक व्यक्ति की आत्मा का निशान है
या बस एक आदत है जो बार-बार दोहराई जाती है
और अगर ये सब साबित हो गया तो क्या वाकई हमें न्याय मिलेगा
या हम सिर्फ एक नए बलि की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं
क्योंकि जब दर्द बहुत बड़ा होता है तो इंसान एक चेहरा चाहता है जिस पर गुस्सा डाल सके
और अगर वो चेहरा गलत है तो क्या दर्द कम हो जाएगा
या वो बस और गहरा हो जाएगा
हम सब एक अनंत वृत्त में फंसे हैं
जहां हम न्याय की आकांक्षा करते हैं
लेकिन वास्तविकता ये है कि हम सिर्फ एक बुरा सपना देख रहे हैं
और इसे जागृत करने की कोशिश कर रहे हैं