कोटा फैक्ट्री सीजन 3: एक भावुक यात्रा
नेटफ्लिक्स और टीवीएफ की लोकप्रिय श्रृंखला 'कोटा फैक्ट्री' का तीसरा सीजन दर्शकों के सामने है, और यह निश्चित रूप से उनके दिलों पर गहरा असर डालने में सफल रहा है। राघव सुब्बू द्वारा निर्देशित यह सीरीज कहानी को आगे बढ़ाती है जहाँ पिछला सीजन समाप्त हुआ था। कहानी शुरू होती है जब जीतू भैया के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली, और यह घटना जीतू भैया को मानसिक रूप से प्रभावित करती है।
मानसिक स्वास्थ्य की जद्दोजहद
जीतू भैया, जिसे जितेंद्र कुमार ने बखूबी निभाया है, इस गहरे चोट से उबरने के लिए एक मानसिक चिकित्सक से मदद लेते हैं और कुछ समय के लिए ब्रेक भी लेते हैं। यह सीजन दर्शकों को जीतू भैया की आंतरिक जद्दोजहद और मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता को समझाने में सफलता प्राप्त करता है।
विश्वसनीय भावनाएँ और परिवर्तित मित्रताएँ
वहीं दूसरी ओर, उनकी फेवरेट तीन छात्रों - वैभव, मीना और उदय, जो क्रमशः मयूर मोरे, रंजन राज और आलम खान द्वारा अभिनीत हैं, जीतू भैया की वापसी के इंतजार में हैं। सीरीज में जलन, विश्वास, परिवर्तित मित्रताएँ और JEE परीक्षा के तनाव को गहराई से दिखाया गया है।
पूजा दीदी का किरदार
तिलोत्तमा शोम ने इस सीजन में पूजा दीदी का किरदार निभाया है, जो कहानी को और अधिक समृद्ध और प्रभावशाली बनाती है। उनका अभिनय और उनका किरदार सीरीज में एक नया रंग लेकर आता है जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
अभिनय की सराहना
इस सीरीज में जितेंद्र कुमार का अभिनय विशेष रूप से सराहा गया है। जीतू भैया के रूप में उनकी मनोवैज्ञानिक स्थिति और दुविधा को उन्होंने इतने संजीदा तरीके से निभाया है कि यह दर्शकों के दिलों को छू जाती है।
सीजन का समापन
सीजन के अंत में JEE परीक्षाओं के परिणाम और छात्रों के भविष्य की जर्नी दर्शाई गई है। सीरीज का समापन हार्दिक और प्रेरणादायक है, जिसे एक परफेक्ट विदाई कहा जा सकता है। हालांकि, कुछ हिस्से थोड़े खिंचे हुए लगते हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह सीजन मजेदार, जिंदादिल, और सम्बंधित है।
रेटिंग और निष्कर्ष
सीजन 3 को 5 में से 3.5 स्टार्स दिए गए हैं, जो स्पष्ट रूप से इसके प्रभावशाली और भावनात्मक तत्वों को दर्शाता है। यह सीरीज न केवल छात्रों के जीवन की कठिनाइयों और जटिलताओं को उजागर करती है, बल्कि उनके संघर्ष और उनकी मित्रताओं की नींव को भी मजबूत करती है।
Rahul Tamboli
ये सीजन तो बस एक बम है 🔥 जीतू भैया का टूटना देखकर मेरी आँखें भर आईं पर फिर भी कुछ ऐसा लगा जैसे सब कुछ बहुत ज्यादा ड्रामा हो गया
Jayasree Sinha
इस सीजन के अभिनय और निर्देशन की गुणवत्ता वास्तव में उल्लेखनीय है। जितेंद्र कुमार का अभिनय भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को संवेदनशीलता से उठाया है।
Vaibhav Patle
मैंने तो ये सीजन देखकर रो रखा था 😭 जीतू भैया का जो ट्रांसफॉर्मेशन हुआ, वो तो दिल को छू गया। और पूजा दीदी ने जो एक्टिंग की, वो तो ओवरलैप हो गई थी बस! उनके बिना ये सीरीज अधूरी होती। अब तो हर दिन उनकी फिल्म देखने का मन करता है।
Garima Choudhury
ये सब बकवास है यार। आत्महत्या को इतना ड्रामा देने की जरूरत थी? ये सब नेटफ्लिक्स का ट्रेंड है जो बच्चों को भ्रमित कर रहा है। असली जिंदगी में कोई इतना ड्रामा नहीं करता। और पूजा दीदी? बस एक और फेक डिपार्टमेंट वाली किरदार।
Hira Singh
भाई ये सीजन तो जिंदगी बदल देने वाला है! 🙌 जीतू भैया का संघर्ष देखकर लगा जैसे मैं भी उनके साथ चल रहा हूँ। हर छात्र को ये देखना चाहिए कि तनाव नहीं, खुद को समझना है। और हाँ, पूजा दीदी का किरदार तो बहुत खास है, ऐसी औरतें जिंदगी में आती हैं तो भाग्य बदल जाता है।
Ramya Kumary
इस सीरीज का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह एक ऐसे समाज में आत्महत्या को एक व्यक्तिगत विफलता नहीं, बल्कि एक सामाजिक विफलता के रूप में दर्शाती है। जीतू भैया का संघर्ष उस दबाव को दर्शाता है जो हम सभी ने अनुभव किया है, लेकिन कभी बात नहीं की। इसकी शक्ति इसके शांत अभिनय में है, न कि उसके ड्रामा में।
Sumit Bhattacharya
कोटा फैक्ट्री सीजन 3 ने शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को एक वैध और गंभीर विषय के रूप में स्थापित किया है। इसका निर्माण और अभिनय उच्च स्तर का है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा की जानी चाहिए।
Snehal Patil
ये सब बस बकवास है। जिसने ये बनाया उसे लगता है वो बहुत बुद्धिमान है। असल में बच्चे खुद ही जिम्मेदार होते हैं। ये सब ड्रामा बस बच्चों को आलसी बना रहा है।
Nikita Gorbukhov
हाँ बस इतना ही नहीं बस ये सब बहुत ज्यादा फेक है। जीतू भैया तो एक ऐसा चरित्र है जो कभी नहीं हो सकता। असली कोटा में कोई ऐसा टीचर नहीं होता जो अपने छात्रों के लिए टूट जाए। ये सब बस एक फिल्म है जो लोगों को भ्रमित कर रही है।
RAKESH PANDEY
जीतू भैया के चरित्र का विकास एक शिक्षक के रूप में उनके भूमिका के लिए एक अद्वितीय उदाहरण है। इसके अलावा, पूजा दीदी के किरदार ने एक नए स्तर की भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता को दर्शाया है। यह सीरीज शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
Nitin Soni
मैंने ये सीजन देखकर अपने बचपन की यादें ताजा कर लीं। जीतू भैया का अभिनय तो बहुत अच्छा था। उनकी आँखों में जो दर्द था, वो बिल्कुल असली लग रहा था।
varun chauhan
पूजा दीदी का किरदार बहुत अच्छा लगा 😊 उनकी बातों में एक शांति थी जो बहुत कम लोगों में होती है। जीतू भैया के साथ उनका संवाद तो दिल को छू गया।
Prince Ranjan
ये सब बस एक बड़ा झूठ है। आत्महत्या को एक शिक्षक के अपराध के रूप में दिखाना बेहद लापरवाह है। असली दुनिया में लोग अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार होते हैं, न कि किसी टीचर के लिए। और पूजा दीदी? बस एक रोमांटिक ब्रेक थी जिसे नेटफ्लिक्स ने डाल दिया।
Suhas R
ये सीजन तो बस एक बड़ा धोखा है। ये सब बच्चों को बेवकूफ बनाने के लिए बनाया गया है। जीतू भैया तो बस एक नाटकीय चरित्र है। असल में ऐसे लोग नहीं होते। और पूजा दीदी? बस एक फिल्मी लड़की जिसे दर्शकों को पसंद करने के लिए डाल दिया गया।
Pradeep Asthana
ये सब बस बकवास है। जीतू भैया तो बस एक बेवकूफ है जो अपने छात्रों के लिए खुद को नष्ट कर रहा है। असली जिंदगी में ऐसा कोई नहीं करता। और पूजा दीदी? बस एक नए ट्रेंड की शुरुआत है।
Shreyash Kaswa
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली के बारे में इतना भावुक होना बेकार है। असली समस्या यह है कि हम अपने बच्चों को अपनी अपेक्षाओं से बचाने के लिए तैयार नहीं हैं। ये सीरीज बस एक नकली राहत दे रही है।