पहला इन्किंगस: ऑस्ट्रेलिया A की आक्रमण शैली
लकनौ के बागेश्वर कंडीशन में 16 सितम्बर की सुबह से ही Australia A vs India A टेस्ट की धूम मची हुई थी। टॉस जीत कर ऑस्ट्रेलिया A ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। जेवियर बॉलिंग टर्न के साथ तेज़ गति की पिच ने बाउंज को बढ़ाया, जिससे सैम कॉनस्टास (109) और जोश फिलिप (123) दोनों ने अपने‑अपने शतक बनाकर टीम को 532/6 पर डिक्लेयर करवाया। फिलिप ने सिर्फ 87 गेंदों में जोश के साथ 123 रन बनाए, जबकि कॉनस्टास ने 144 डिलीवरी में 109 रन रखे, जिससे दोनों पारियां तेज़ी से आगे बढ़ीं।
ऑस्ट्रेलिया की बारी में मध्य क्रम के खिलाड़ी भी बिना रुके अँधेरे में चमके। विलियम रॉबिन्सन और एरन कर्नली ने फ्री‑फॉर्म क्रिकेट देखा, जिससे स्कोरबोर्ड पर लगातार 30‑40 रन की साझेदारी बनी। साइड के फील्डर अभी भी गेंदों को रोक नहीं पाए, जिससे बॉलरों को लगातार रनों का सामना करना पड़ा।
भारत A की गेंदबाज़ी के सामने सबसे बड़ा सामना कंधे की चोटी पर आया। हार्श दुबे ने 27 ओवर में 141 रनों पर 3 विकेट लेकर सबसे आगे रहे, जबकि गर्नूर बरर ने 19 ओवर में 2 विकेट लिए। लेकिन दोनों गेंदबाज़ों को लगातार सीमाओं पर रनों की धारा रोकनी थी, जो इस चरण में नहीं हो पाया।
दूसरा इन्किंगस: भारत A की संकल्पित वापसी
ऑस्ट्रेलिया के डिक्लेयर के बाद भारत A ने पिच पर कदम रखा और तुरंत ही अपने बैट्समैन के साथ मेज पर झोंके फेंके। फिर भी, उनके शुरुआती ओवर थोड़े संकोच में थे, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के फास्ट बॉलर्स अब भी गति और डिवीएशन में माहिर थे। लेकिन जल्द ही दो बड़े नाम सामने आए: देवदत्त पडक्कल (150) और ध्रुव जुरेल (140)। पडक्कल ने 281 गेंदों में 150 रन बनाए, जिसमें कई पिरामिड लपेटने वाले शॉट्स और बेहतरीन रिलेपीस शामिल थे। जुरेल ने 197 गेंदों में 140 रन की धाक रखी, जिससे दोनों ने 291 रन की साझेदारी बनाई।
भारत A की टीम ने कुल मिलाकर 531/7 पर 141.1 ओवर में डिक्लेयर करवाया, जो ऑस्ट्रेलिया के स्कोर से सिर्फ एक रन पीछे था। इस असामान्य नजदीकी स्कोर ने दोनों टीमों के बीच एक नया तनाव पैदा कर दिया, क्योंकि मैच में अभी भी दो‑तीन दिन बचे थे।
ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाज़ी में कोरी रोक्कीओली ने 36.1 ओवर में 3 विकेट लिये, जबकि लायम स्कॉट ने 14 ओवर में सिर्फ 31 रनों पर 1 विकेट गिराया, जिससे भारतीय बैट्समैन को अधिक समय तक रनों का जमाव करने का मौका मिला।
दूसरे दिन के अंत में, ऑस्ट्रेलिया A ने 56/0 पर रुकते हुए 16 ओवर खेले। कैंपबेल केलावे ने 24 रन बनाकर शुरुआत की, जबकि कॉनस्टास ने 27 रन जोड़े। भारत के प्रसीध कृष्णा और खलील अहमद ने क्रमशः 4 और 10 रन दिला कर अपनी शांति बनाए रखी, लेकिन अभी तक विकेट नहीं ले पाए।
संपूर्ण रूप से, इस अनौपचारिक टेस्ट ने दोनों देशों की युवा पीढ़ी की ताकत को उजागर किया। शतक, सहस्राब्दी और अधिकतम रनों का संगम इस मैच को यादगार बनाता है। अगले दो दिनों में दोनों टीमें अपने‑अपने बॉलरों को बेहतर बनाने और बैट्समैन को रोकने के लिए नई रणनीति अपनाएंगी। इस सीज़न की बेस्टिंग टैलेंट की जाँच इस ही मैच में जारी रह सकती है।
Hira Singh
वाह! ये टेस्ट तो बिल्कुल मूवी जैसा लगा। दोनों टीमों ने बल्लेबाजी का जादू दिखाया। देवदत्त और ध्रुव की साझेदारी तो देखकर लगा जैसे बल्ला चाकू बन गया हो।
Ramya Kumary
इस मैच में बल्लेबाजी का नाटक नहीं, बल्कि एक धीमी आग की लपटें थीं। हर रन एक सांस की तरह था-गहरा, विचारशील, और अनुभवी। ये टेस्ट रनों का नहीं, बल्कि अर्थ का खेल था।
Sumit Bhattacharya
देवदत्त पडक्कल की 281 गेंदों में 150 रन की पारी टेस्ट क्रिकेट की शिक्षा है यार। टाइम और टेक्निक का जादू। बच्चों को ये देखना चाहिए न कि टी20 के शॉट्स
Snehal Patil
ये सब बकवास है। अगर ये टेस्ट है तो फिर इतने रन कैसे? ये तो टी20 का नाटक है। भारत की गेंदबाजी बर्बाद हो गई।
Nikita Gorbukhov
हाहाहा ये क्या बकवास है? ऑस्ट्रेलिया ने 532 बनाए और भारत ने 531? ये तो फिक्स्ड मैच है भाई। इंडियन बोर्ड का नया प्लान है कि टेस्ट को बेकार बनाएं और लोगों को खुश करें 😂
RAKESH PANDEY
पडक्कल की पारी टेस्ट क्रिकेट के मूल सिद्धांतों का अनुसरण करती है। बल्लेबाजी का लक्ष्य रन बनाना नहीं, बल्कि गेंदबाज को थकाना है। यह दृष्टिकोण अभी भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।
Nitin Soni
इतना बढ़िया मैच देखने के बाद दिल भर गया। भारत के युवा खिलाड़ियों ने दुनिया को दिखा दिया कि हमारी टेलेंट कितनी गहरी है। बस अभी भी बाकी है दो दिन!
varun chauhan
वाह यार इतना जबरदस्त मैच 😍 देवदत्त की पारी तो देखो ना। बहुत अच्छा लगा। आशा है आगे भी ऐसा ही मजा रहेगा 🙏
Prince Ranjan
531 के साथ डिक्लेयर करना? ये तो भारतीय टीम की लापरवाही है। अगर ऑस्ट्रेलिया ने बनाए 532 तो भारत को 533 बनाना चाहिए था। ये नहीं जीना चाहते तो खेलो ही मत
Suhas R
ये सब बातें बकवास हैं। ये मैच फिक्स्ड है। जानते हो ना? बोर्ड के अंदर वाले ने ऑस्ट्रेलिया को छोड़ दिया क्योंकि वो अमेरिका में बिक्री बढ़ाना चाहते हैं। ये टेस्ट कोई खेल नहीं, बिजनेस है। और हम सब बेवकूफ हैं।
Pradeep Asthana
देवदत्त को टीम में रखना बहुत बड़ी गलती है। उसकी बैटिंग बहुत धीमी है। अगर उसने 150 रन 100 गेंदों में बनाए होते तो बात बनती। ये लोग तो टेस्ट क्रिकेट को बर्बाद कर रहे हैं।
Shreyash Kaswa
भारत की टीम ने एक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी। ऑस्ट्रेलिया के शतकों के बावजूद, हमने एक रन के अंतर से बराबरी कर दी। ये हमारी जमीन की ताकत है। जय हिंद!