हरियाणा में 1.87 लाख टन धान की खरीद, कुरुक्षेत्र ने किया रिकॉर्ड

हरियाणा में 1.87 लाख टन धान की खरीद, कुरुक्षेत्र ने किया रिकॉर्ड

हरियाणा में 1.87 लाख टन धान की खरीद, कुरुक्षेत्र ने किया रिकॉर्ड 1 अक्तू॰

हरियाणा में अब तक धान की 1,87,743.49 मीट्रिक टन खरीद हो चुकी है, और सबसे बड़ी सौदा कुरुक्षेत्र जिले का—82,760.48 टन—को मिल गया। यह आंकड़ा सोमवार तक के संकलन पर आधारित है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य‑स्तर की खरीद प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। इस तीव्र गति का मुख्य कारण नई मिलिंग पॉलिसी और उपभोक्ता विभाग की सक्रिय भूमिका है, जो अब तक 3,17,881.56 मीट्रिक टन धान की आवक दर्ज कर चुका है।

पृष्ठभूमि और नीति ढांचा

नई मिलिंग पॉलिसी के तहत धान की आधिकारिक खरीद 1 अक्टूबर से 15 नवंबर 2025 तक तय की गई थी। लेकिन हरियाणा खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों विभाग ने केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेकर 22‑23 सितंबर से ही खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी। इस कदम ने किसानों को शुरुआती किस्त में ही आर्थिक राहत दी, जबकि राज्य‑स्तर पर अनुमानित आवक लगभग 84 लाख मीट्रिक टन है, जिसमें से खरीद एजेंसियों की हिस्सेदारी 54 लाख मीट्रिक टन होगी।

धान की खरीदी‑की‑विस्तृत‑स्थिति

जब हम जिले‑वार आँकड़े देखते हैं, तो कुरुक्षेत्र ने 82,760.48 मीट्रिक टन के साथ सबसे बड़ा योगदान दिया। इसके बाद पानीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम क्रमशः 40,000‑50,000 टन के आसपास रहे। पाँच दिनों में पांच जिलों में कुल 1.76 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया, जो बंपर आवक और तेज़ खरीद गति को दर्शाता है।

  • कुल खरीदी: 1,87,743.49 मीट्रिक टन
  • कुरुक्षेत्र की हिस्सेदारी: 82,760.48 मीट्रिक टन
  • प्रोवाइडेड धान आवक: 3,17,881.56 मीट्रिक टन
  • बाजरा की खरीदी: 169.70 मीट्रिक टन (74 किसान)
  • बैंक गारंटी: 10 लाख रुपये (परिवर्तन नहीं)

धान की उठान भी तेज़ी से हो रही है—पहले ही 25,000 मीट्रिक टन उठान पूरी हो चुकी है। इस प्रकार खरीदी‑विक्री चक्र में न्यूनतम देरी हो रही है, जिससे किसानों को बाजार में बेहतर कीमत मिल रही है।

मुख्य अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ

राइस मिलर्स एवं डीलर्स एसोसिएशन (RMDA) के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने पुष्टि की कि पीआर धान की खरीद आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुकी है। छाबड़ा ने किसानों से अपील की कि धान को अधिक नमी न रहने दें; "धान को सुखाकर ही मंडी लाएं," उन्होंने कहा। इस दौरान उन्होंने नई नीति के तहत मिलर्स की मांगों को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है, जिसमें बैंकर गारंटी का स्तर स्थिर रखा गया है।

बाजरा की खरीद में हरियाणा स्टेट वेयर कार्पोरेशन (HSWC) सक्रिय है। उन्होंने बताया कि 74 किसानों से अब तक 169.70 मीट्रिक टन बाजरा खरीदा गया है, जिससे अनाज साक्षरता और मूल्य समर्थन में मदद मिल रही है।

नई मिलिंग पॉलिसी के मुख्य बिंदु

नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं:

  1. बैंक गारंटी 10 लाख रुपये पर बरकरार, कोई बढ़ोतरी नहीं; इससे मिलर्स को वित्तीय स्थिरता मिलती है।
  2. चावल के टुकड़े की नई व्यवस्था—उत्पादन के 25% टुकड़ों में से 10% सीधे चावल में उपयोग होगा, शेष 15% राइस मिलर्स से डिस्ट्रिब्यूशन द्वारा खरीदा जाएगा।
  3. कस्टम मिलर राइस (CMR) की कीमतें अभी तय नहीं हुई हैं, क्योंकि राज्य सरकार को भारत सरकार से दिशा-निर्देश मिलने की प्रतीक्षा है।
  4. एमएसपी में वृद्धि—किसानों की खुशी स्पष्ट है, जिससे वे धान को अधिक दाम पर बेच सकते हैं।

इन पहलुओं का उद्देश्य पारदर्शी खरीद, समय पर प्रोत्साहन और सुचारु संचालन सुनिश्चित करना है, जिससे हरियाणा के कृषि क्षेत्र को बड़ी राहत मिले।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

अगले महीने में पूरी सरकार की लक्ष्य 84 लाख मीट्रिक टन धान की आवक और 54 लाख मीट्रिक टन की खरीद है। यदि मौसमी बाढ़ या जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादन में उतार‑चढ़ाव हुआ, तो राज्य को बाजार में असंतुलन से बचने के लिए अतिरिक्त उपाय करने पड़ेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि बुनियादी ढांचे में सुधार—जैसे ठीक‑ठाक भंडारण सुविधाएँ और तेज़ परिवहन—की आवश्यकता है, ताकि खरीदी‑फरोक़ी प्रक्रिया और भी स्मूथ हो सके।

साथ ही, छोटे‑मोटे मिलर्स को प्रोत्साहन देने हेतु नई मूल्य निर्धारण मॉडल लागू करने की आवश्यकता है, ताकि वे लाभ कमाने के साथ ही किसानों को उचित दाम पर खरीदी प्रदान कर सकें। इन सभी कदमों से हरियाणा के धान‑बाजार को स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता मिलने की उम्मीद है।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

धान की खरीद से किसानों को क्या लाभ मिलेगा?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि के कारण किसान अपने धान को पिछले सीज़न की तुलना में लगभग 12‑15% अधिक कीमत पर बेच सकते हैं। साथ ही जल्दी भुगतान और बैंकर गारंटी की स्थिरता से उनका नकदी प्रवाह सुधरता है।

कुरुक्षेत्र में इतनी बड़ी मात्रा में धान क्यों खरीदा गया?

कुरुक्षेत्र में इस साल मॉन्सून के बाद फसल की उत्पत्ति बहुत बेहतर रही, जिससे उत्पादन में बम्पर वृद्धि हुई। साथ ही स्थानीय मंडियों ने नई मिलिंग पॉलिसी के तहत तेज़ लॉट‑ट्रांसफर की व्यवस्था की, जिससे बड़े स्केल की खरीद संभव हुई।

बाजरा की खरीद में HSWC की भूमिका क्या है?

HSWC ने 74 किसानों से कुल 169.70 मीट्रिक टन बाजरा खरीदा है, जिससे अनाज‑आधारित पोषण योजना में योगदान मिला है। यह पहल किसानों को वैकल्पिक फसल के लिए प्रोत्साहन देती है और बाजार में विविधता लाती है।

नई मिलिंग पॉलिसी के तहत चावल के टुकड़े की नई व्यवस्था कैसे काम करती है?

उत्पादन के 25% टुकड़े में से 10% को सीधे चावल में पुनः उपयोग किया जाता है, जबकि शेष 15% को राइस मिलर्स को डिस्ट्रिब्यूशन द्वारा खरीदा जाता है। इससे मिलर्स को अतिरिक्त नकदी प्रवाह मिलता है और टुकड़े के बर्बादी कम होती है।

CMR की कीमतें अभी तक क्यों नहीं तय हुई हैं?

राज्य सरकार ने बताया कि CMR की कीमतें भारत सरकार से अंतिम निर्देश प्राप्त होने के बाद ही घोषित की जाएँगी। इस बीच मौजूदा कीमतों पर कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रहती है।



टिप्पणि (1)

  • Sandhya Mohan
    Sandhya Mohan

    हरियाणा की नई मिलिंग पॉलिसी को देखते हुए, महसूस होता है कि हम आर्थिक स्थिरता और किसान कल्याण के दो महत्वपूर्ण मोर्चे एक साथ जोड़ रहे हैं। यह नीति किसानों को शुरुआती रक़म का भरोसा देती है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है। साथ ही, सरकार की बैंकर गारंटी ने मिलर्स को वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है, जो एक सकारात्मक संकेत है। इस तरह की समन्वित कोशिशें ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होंगी।

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