महाकुंभ की यात्रा रही जानलेवा
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी 2025 को महाकुंभ की ओर जा रहे यात्रियों के बीच भगदड़ मचने से कम से कम 18 लोगों की जान चली गई, जिनमें पांच बच्चे भी शामिल थे। इस हादसे में एक दर्जन से अधिक लोग घायल भी हुए। यह घटना प्लेटफार्म 14 और 15 पर हुई, जहां दो विशेष ट्रेनों की देरी के बाद भीड़ बेकाबू हो गई थी। महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने के लिए तत्पर यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ गई और इस कारण स्टेशन पर कुरसी से लेकर सीढ़ियों तक भीड़ दिखी। ज़ी बिजनेस के फुटेज में भगदड़ के पहले अफरातफरी का दृश्य स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
घटनाचक्र और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस अभूतपूर्व दुर्घटना के बाद रेल मंत्रालय ने उच्चस्तरीय जांच की घोषणा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुःख व्यक्त किया और कहा, 'रेलवे प्लेटफार्म पर हुई भगदड़ से हुए जनहानि से मैं अत्यधिक दुःखी हूँ।' आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने जानकारी दी कि 15 शव लोक नायक अस्पताल में लाए गए, जिनमें से दो की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। कई घायलों का इलाज भी जारी है। विपक्ष की तरफ से रेलवे मंत्री की इस्तीफे की मांग उठी, इसे रेलवे प्रबंधन की 'बड़ी विफलता' करार दिया।
यह त्रासदी धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन में खामियों को उजागर करती है। सवाल उठते हैं कि क्या भारत की रेल प्रणाली इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए तैयार है। बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन में सुरक्षा उपायों की कमी और अव्यवस्था ने संकट की स्थिति उत्पन्न की, जो दुर्भाग्यपूर्ण था। इस मामले ने रेलवे अव्यवस्था और सुरक्षा मानकों की वास्तु स्थिति पर राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया है।
Raghav Khanna
यह तो बहुत दुखद है। इतने सारे जीवन चले गए, और बच्चे भी शामिल हैं। रेलवे को अब सिर्फ ट्रेन चलाने की बजाय, भीड़ के साथ संवेदनशीलता से व्यवहार करना होगा। ये एक अपराध है जो हमने नज़रअंदाज़ कर दिया।
Rohith Reddy
ये सब बकवास है भाई रेलवे का कोई जिम्मेदार नहीं है सब जानते हैं कि ये जगह हमेशा से ऐसी ही है अब तक किसी ने कुछ नहीं किया अब भी कोई नहीं करेगा ये सब चल रहा है क्योंकि लोगों को लगता है कि भगवान सब संभाल लेंगे
Vidhinesh Yadav
मैंने देखा कि लोग बहुत डरे हुए थे लेकिन कोई नहीं बोल रहा था। क्या हम सभी इतने शांत हो गए हैं कि जब कुछ गलत हो रहा हो तो बस देखते रह जाते हैं? क्या हम बस ये सोच रहे हैं कि ये किसी और का मामला है?
Puru Aadi
हम सब इस तरह के दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं अगर हम थोड़ा सावधान रहें। एक छोटी सी चेतावनी, एक बड़ी सी बचाव। ❤️🙏 लोगों को जागृत करो और बताओ कि भीड़ में आगे बढ़ने के बजाय रुकना भी बहुत जरूरी है।
Nripen chandra Singh
ये त्रासदी नहीं बल्कि एक अभिनय है जिसमें हम सब अभिनेता हैं जो अपने भाग्य को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन असल में बस अपने अंदर के डर को छुपा रहे हैं और इसलिए हम भीड़ के बीच भागते हैं क्योंकि अकेलेपन से डरते हैं
Rahul Tamboli
ये सब राजनीति है भाई बस एक बड़ा धोखा है जिसमें सब कुछ बनाया गया है ताकि लोग भागें और भीड़ बने और फिर रेलवे को दोष दे दें 😎💥 असली जवाबदेही किसी की नहीं है सब बच रहे हैं
Jayasree Sinha
इस घटना के बाद रेलवे के नियमों में सुधार की जरूरत है। भीड़ के लिए अलग से डिज़ाइन किए गए प्लेटफॉर्म, नियंत्रित प्रवेश, और नियमित अभ्यास अत्यंत आवश्यक हैं। यह एक निर्माणात्मक बदलाव की आवश्यकता है, न कि एक आपातकालीन प्रतिक्रिया।
Vaibhav Patle
हम इस बात को भूल जाते हैं कि हर व्यक्ति के पीछे एक कहानी होती है। ये लोग बस भगवान के दर्शन करने आए थे। अब उनके परिवारों को क्या बताएं? जिन्होंने अपनी बचत जुटाकर यात्रा की, वो सिर्फ एक जगह पर नहीं थे, वो अपने सपनों के साथ थे। ❤️
Garima Choudhury
ये सब एक योजना है जिसे बनाया गया है ताकि लोग डर जाएं और उनका धर्म उनका विश्वास बदल जाए। ये भीड़ जानबूझकर बनाई गई है ताकि लोग अपने आप को खो दें और फिर किसी के नियंत्रण में आ जाएं। बस इतना ही नहीं ये सब बड़े लोगों के लिए है जो शक्ति चाहते हैं
Hira Singh
हम अपने आप को बदल सकते हैं अगर हम एक दूसरे के लिए थोड़ा जगह छोड़ दें। एक छोटा सा धैर्य, एक छोटा सा आदर। ये भीड़ को नहीं रोक सकता लेकिन इसे कम खतरनाक बना सकता है। हम सब एक दूसरे के लिए जिम्मेदार हैं।
Ramya Kumary
इस दुर्घटना के बाद जो भी जीवित हैं, वे एक नए जीवन के बारे में सोच रहे होंगे। एक ऐसा जीवन जहां भीड़ नहीं, बल्कि सम्मान हो। एक ऐसा जीवन जहां धार्मिक यात्रा भावनात्मक अनुभव हो, न कि एक जीवन या मृत्यु का संघर्ष। क्या हम इस अर्थ को फिर से खोज सकते हैं?
Sumit Bhattacharya
इस घटना के बाद रेलवे प्रबंधन को एक व्यवस्थित और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है। भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, नियमित अभ्यास, और निर्माणात्मक नीतियों के साथ एक स्थायी नियोजन आवश्यक है। यह एक राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।