बीजेपी नेता नितेश राणे ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे पर विवादित बयान दिया। ओवैसी ने लोकसभा शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 'जै भीम, जै तेलंगाना, जै फिलिस्तीन' के नारे लगाए थे। राणे ने कहा कि अगर कोई ओवैसी की ज़ुबान काट दे तो वह उसे इनाम देंगे। इस घटना ने बड़े पैमाने पर बहस छेड़ दी है।
लोकसभा शपथ ग्रहण 2024: क्या खास रहा?
हर पाँच साल में जब नया लोकसभा सत्र शुरू होता है तो सबसे पहले ध्यान शपथ समारोह की ओर जाता है. यह दिन सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि देश के भविष्य को तय करने वाले लोगों का परिचय कराता है. इस लेख में हम देखेंगे कि 2024 की शपथ में कौन‑कौन से रोचक पहलू सामने आए.
नवीन सांसदों की पहली झलक
शपथ लेते ही कई नई चेहरें संसद के बेंच पर दिखी. युवा उम्मीदवार, महिलाएँ और सामाजिक कार्यकर्ता अब कानून बनाने में हिस्सा ले रहे हैं. उनका पहला भाषण अक्सर उनके विचारधारा को साफ़ दर्शाता है – चाहे वह किसान मुद्दा हो या डिजिटल शिक्षा की बात.
एक खास बात यह थी कि कई सांसदों ने अपने गृह नगर से आए परिधान पहने, जिससे जनता के साथ जुड़ाव का भाव स्पष्ट हुआ. इससे आम लोग महसूस करते हैं कि उनके प्रतिनिधि वास्तव में स्थानीय समस्याओं को समझते हैं.
प्रधानमंत्री और मुख्य भाषण
शपथ समारोह में सबसे अधिक ध्यान प्रधानमंत्री के संबोधन पर जाता है. इस वर्ष उन्होंने आर्थिक सुधार, रोजगार योजना और सुरक्षा को प्राथमिकता दी. उनका संदेश स्पष्ट था – देश को आत्मनिर्भर बनाना और हर नागरिक को विकास का हिस्सा बनाना.
भाषण में कुछ नई घोषणाएँ भी हुईं, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष बजट आवंटन और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की तेज़ी. ये बातें तुरंत मीडिया में चर्चा बनी और लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी राय साझा की.
शपथ ग्रहण का माहौल उत्साहपूर्ण था. पुराने सांसदों ने अपने अनुभवों को साझा किया, जबकि नए सांसद भविष्य के वादे लेकर आए. इस मिश्रित ऊर्जा से यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय राजनीति में बदलाव की हवा चल रही है.
समारोह के बाद कई पत्रकार सम्मेलन हुए जहाँ सांसदों ने अपने प्राथमिकता क्षेत्रों का उल्लेख किया – स्वास्थ्य, शिक्षा या पर्यावरण संरक्षण. इन बिंदुओं को आगे सरकार की नीतियों में कैसे शामिल किया जाएगा, यही अब देखना बाकी है.
लोकसभा शपथ ग्रहण सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं; यह देश के लोकतांत्रिक जीवन का नया अध्याय खोलता है. अगर आप इस प्रक्रिया को करीब से समझना चाहते हैं तो नियमित रूप से समाचार और संसद की आधिकारिक साइट पर नज़र रखें.
आने वाले सत्र में इन सांसदों के कार्यों पर नजर रखेंगे, उनके वादे कितने सच होते हैं यह देखेंगे, और देश की दिशा का मूल्यांकन करेंगे. शपथ ही शुरुआत है, काम तो आगे है.