AIMIM प्रमुख ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे पर नितेश राणे का विवादित बयान

AIMIM प्रमुख ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे पर नितेश राणे का विवादित बयान

AIMIM प्रमुख ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे पर नितेश राणे का विवादित बयान 26 जून

नितेश राणे का विवादित बयान

बीजेपी के युवा नेता नितेश राणे एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार उन्होंने आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लेकर विवादित बयान दिया है। दरअसल, मुद्दा यह है कि हाल ही में लोकसभा शपथ ग्रहण समारोह के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने 'जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन' के नारे लगाए थे। ओवैसी के इस नारे पर न सिर्फ एनडीए नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, बल्कि नितेश राणे ने तो उनकी ज़ुबान काटने का बयान भी दे डाला।

ओवैसी का शपथ ग्रहण

लोकसभा शपथ ग्रहण समारोह में ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली थी और इसके बाद उन्होंने 'जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन' के नारे लगाए। यह पहली बार नहीं है जब ओवैसी ने इस प्रकार के नारे लगाए हों, लेकिन इस बार उनके 'जय फिलिस्तीन' के नारे ने बड़ी विवादास्पद चर्चा को जन्म दिया है। तेलंगाना क्षेत्र से उपस्थित होने वाले ओवैसी का भीम राव अंबेडकर और तेलंगाना के समर्थन के साथ-साथ फिलिस्तीन के समर्थन का नारा लगाना कुछ लोगों को नागवार गुज़रा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

ओवैसी के इस नारे पर एनडीए की कई नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने भी इस मसले पर अपनी नाराज़गी जाहिर की और कहा कि ऐसे बयानों से हमारी राष्ट्रीय एकता पर खतरा पैदा होता है। उन्होंने कहा कि एक संसद सदस्य को ऐसी बयानों से बचना चाहिए जो देश की संप्रभुता और एकता को चुनौती देते हों। राष्ट्र के प्रमुख मुद्दों पर लोकसभा के पटल पर होने वाली चर्चाओं में इस प्रकार के नारेबाज़ी को अनुचित बताया गया।

नितेश राणे का बयान

नितेश राणे का बयान

इसी क्रम में बीजेपी नेता नितेश राणे ने अपनी ताज़ा टिप्पणी में कहा कि अगर कोई ओवैसी की ज़ुबान काट दे तो वह इसे इनाम देंगे। इस बयान ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया और विवादों का सिलसिला और तेज़ कर दिया। राणे का यह बयान काफी आक्रामक था और इसकी कड़ी आलोचना भी हुई।

ओवैसी और उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया

ओवैसी के समर्थकों ने इस बयान की कड़ी निंदा की और इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार दिया। ओवैसी ने स्वयं भी अपने ट्विटर अकाउंट पर इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। ओवैसी ने जोर दिया कि फिलिस्तीन के समर्थन में बोलना कोई अपराध नहीं है और उन्होंने ऐसा अनेकों बार किया है। उनके समर्थकों का कहना है कि ओवैसी की बातों को घुमाकर पेश किया जा रहा है ताकि उनकी इमेज खराब की जा सके।

फिलिस्तीन का मुद्दा

फिलिस्तीन का मुद्दा काफी समय से विवादास्पद रही है और इसे लेकर वैश्विक स्तर पर भी मतभेद है। इज़राइल के साथ फिलिस्तीन के संघर्ष में कई इलाके प्रभावित हुए हैं और इसे लेकर मानवाधिकार और संप्रभुता के मुद्दे भी बार-बार उठते रहे हैं। भारत में भी फिलिस्तीन के समर्थन और विरुद्ध में लोग बंटे हुए हैं। ऐसे में संसद में इस प्रकार के नारे लगाना एक बड़ी राजनीतिक बहस का हिस्सा बन गया है।

लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी

लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी

लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है और एक सांसद के रूप में ओवैसी की भी उस अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए। इस मुद्दे ने एक बार फिर यह प्रश्न उठा दिया है कि सांसदों की शब्दावली और बयानों को लेकर समुचित मानदंड क्या होने चाहिए। जबकि एकेश्रित विचारधारा और बहुल• अग्रणी समाज के बीच संतुलन बनाए रखना सरकार की और नेताओं की जिम्मेदारी होती है।

समाज में प्रभाव

इस विवाद का समाज पर भी गहरा असर हुआ है। सोशल मीडिया पर लोग दो पक्षों में बंटकर अपने-अपने विचार रख रहे हैं। कुछ लोग ओवैसी के इस नारे को उनकी साहसिकता के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे देश के प्रति उनके असामानुभाव के रूप में देख रहे हैं। ओवैसी के विरोधियों ने उनके खिलाफ और आक्रामक टिप्पणियां की हैं, जिससे समाज में और विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

सारांश

नितेश राणे के विवादित बयान और असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह घटना ने राष्ट्रीयता, अभिव्यक्ति की आजादी तथा लोकसभा के सदस्यों की जिम्मेदारियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। यह देखना बाक़ी है कि इस मुद्दे पर आगे क्या कार्यवाही होगी और किस प्रकार के नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे।



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