उगादी के मौके पर हरीश राव ने की किसानों की समृद्धि और राज्य के विकास की कामना

उगादी के मौके पर हरीश राव ने की किसानों की समृद्धि और राज्य के विकास की कामना

उगादी के मौके पर हरीश राव ने की किसानों की समृद्धि और राज्य के विकास की कामना 30 मार्च

उगादी की शुभकामनाएं और कृषि पर जोर

उगादी, जो तेलुगु नववर्ष का प्रतीक है, के अवसर पर बीआरएस नेता और पूर्व मंत्री टी हरीश राव ने प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। यह समय उत्सव और नई शुरुआत का होता है, और राव ने इस अवसर पर किसानों की समृद्धि और राज्य के समग्र विकास की कामना की। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश में अपनी उम्मीदों को साझा करते हुए कहा कि यह वर्ष सफलता और प्रसन्नता से भरा हो।

हरीश राव ने विशेष रूप से किसानों के लिए उत्तम वर्षा, सिंचाई की प्रचुरता और फसल की बेहतरीन पैदावार की कामना की। उन्होंने उल्लेख किया कि यह नया साल किसानों की आजीविका को मजबूत बनाएगा। उनकी मांगों का मुख्य जोर कृषि की उत्पादकता और किसानों की समृद्धि पर था, जो सीधे तौर पर पूरे प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ है।

प्राकृतिक संसाधनों और सतत विकास की अहमियत

राव के संदेश में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और सतत विकास की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया। तेलंगाना की कृषि प्राथमिकताओं के लिहाज से यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रदेश मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। उन्होंने मानव प्रयासों और प्रकृति के उपहारों के बीच सामंजस्य की बात कही, जो उगादी के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। यह त्योहार नई शुरुआत और पुनःजीवन का प्रतीक माना जाता है।

उगादी का उत्सव ना सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह समाज को एक नई दिशा देने का भी काम करता है। यह समय है, जब सभी लोग मिलकर, एकजुट होकर अपने प्रदेश और समाज को आगे बढ़ाने का प्रण करते हैं।



टिप्पणि (6)

  • Ramya Kumary
    Ramya Kumary

    उगादी सिर्फ त्योहार नहीं, ये तो ज़मीन से जुड़े हर दिल की धड़कन है। जब किसान अपनी फसल की खुशी में नए साल की शुरुआत करता है, तो वो बस एक बीज नहीं बो रहा, वो अपने बच्चों के भविष्य का एक टुकड़ा जमीन में छोड़ रहा होता है। हरीश राव की बात सही है, पर इसका मतलब बस शुभकामनाएं नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर देखना चाहिए। नदियों का पानी कहाँ है? बीज की कीमत कैसे बढ़ गई? ये सवाल तो शुभकामनाओं से ज़्यादा अहम हैं।

  • Sumit Bhattacharya
    Sumit Bhattacharya

    कृषि विकास के लिए राजनीतिक शुभकामनाएं अपर्याप्त हैं जब तक सिंचाई बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं होता जिसमें जल संसाधनों का वितरण समान हो और किसानों को बाजार तक पहुंच मिले यही वास्तविक प्रगति है

  • Snehal Patil
    Snehal Patil

    ये सब बकवास है। किसानों को बस एक बार भी लोगों ने देखा है कि वो कितना भूखे रहते हैं? बस त्योहार पर बयान देना है तो बोल दो, बाकी सब धोखा है।

  • Nikita Gorbukhov
    Nikita Gorbukhov

    हरीश राव का ये बयान तो बिल्कुल बकवास है 😒 जब तक राज्य में जल आपूर्ति नहीं होगी तो फसल नहीं उगेगी और तुम्हारी शुभकामनाएं भी नहीं 😤

  • RAKESH PANDEY
    RAKESH PANDEY

    उगादी के संदेश में एक गहरा सांस्कृतिक सत्य छिपा है: जब प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाया जाता है, तो समृद्धि स्वतः आती है। आज के समय में इसे तकनीकी और नीतिगत स्तर पर लागू करना होगा। ड्रोन बीज बोने, डिजिटल मार्केटप्लेस, और स्मार्ट सिंचाई जैसी चीजें नहीं बस शुभकामनाएं चाहिए। किसान को ज्ञान चाहिए, ताकत चाहिए, और न्याय चाहिए।

  • Nitin Soni
    Nitin Soni

    हर साल इस दिन नई शुरुआत का एहसास होता है। उम्मीद है कि इस बार वो शुभकामनाएं सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि ज़िंदगी में भी बदल जाएं।

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