अर्जेंटीना ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 4-1 से हराकर किया रिलीगेशन

अर्जेंटीना ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 4-1 से हराकर किया रिलीगेशन

अर्जेंटीना ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 4-1 से हराकर किया रिलीगेशन 15 नव॰

लंदन के एक मैदान पर 21 जून, 2025 को शाम 4 बजे (UTC) जब अर्जेंटीना ने भारतीय महिला हॉकी टीम को 4-1 से हराया, तो यह सिर्फ एक मैच की हार नहीं थी — यह एक युग का अंत था। FIH की सबसे बड़ी प्रतियोगिता, FIH Hockey Pro League 2024-25, से भारतीय महिला टीम का रिलीगेशन तय हो गया। ये उनकी यूरोपीय दौरे पर तीसरी लगातार हार थी, और अंतिम बूंद यह थी कि उनके खिलाफ आखिरी मिनटों में दो नए गोल आए — दोनों पेनल्टी कॉर्नर से।

अर्जेंटीना का घातक आखिरी चरण

मैच की शुरुआत अर्जेंटीना के लिए बेहद संयम से हुई। विक्टोरिया फेलास्को ने 20वें मिनट में अपना दूसरा सीनियर अंतरराष्ट्रीय गोल दर्ज किया। हाफटाइम तक 1-0 का स्कोर बना रहा। दूसरे हाफ में भारत की सलीमा तेते ने अपनी टीम को बचाने के लिए गोल किया — 1-1 का स्कोर। लेकिन फिर आया वह तोड़ देने वाला पल। 41वें मिनट में अगस्टीना गालानी ने पेनल्टी स्ट्रोक से अर्जेंटीना को फिर से अग्रणी बना दिया। अब भारत को बस एक गोल की जरूरत थी। लेकिन आखिरी छह मिनट में जो हुआ, वो एक दुखद नाटक बन गया।

पेनल्टी कॉर्नर की बारिश शुरू हो गई। गालानी ने दो और गोल करके हैट्रिक पूरी की। अर्जेंटीना के पास 5 पेनल्टी कॉर्नर थे, भारत के पास केवल 3। ये आंकड़े कोई बात नहीं — ये एक बार फिर साबित कर देते हैं कि भारतीय टीम की बचाव रणनीति आखिरी मिनटों में टूट जाती है।

अंतिम चरण में टूटना: एक लगातार दोष

ये सिर्फ अर्जेंटीना के खिलाफ नहीं था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में भी, भारत ने आखिरी मिनट में पेनल्टी कॉर्नर से गोल खाया और 2-1 से हार गई। ESPN के विश्लेषण के मुताबिक, "जब दुश्मन टीमें आखिरी चरण में अपनी गति बढ़ाती हैं, तो हरेंद्र सिंह की बचाव रेखा अपनी शांति खो देती है।" ये एक ऐसी आदत बन गई है जो पिछले कोच जैनेके स्कॉपमैन से लेकर वर्तमान कोच हरेंद्र सिंह तक बनी रही है।

टीम के आक्रमण भी निराशाजनक रहे। अगर बचाव टूट रहा था, तो हमला भी अधूरा रहा। गोल बनाने के लिए जरूरी तीव्रता थी — लेकिन उसकी दक्षता नहीं। हरेंद्र सिंह और उनकी टीम को ये सवाल अब भी जवाब देना होगा: कैसे तीव्रता को नियंत्रित किया जाए? कैसे दबाव में शांति बनाए रखी जाए?

प्रो लीग से बाहर: रिलीगेशन का सच

भारतीय महिला टीम ने 16 मैचों में सिर्फ 10 अंक जमा किए। नौ टीमों में सबसे नीचे। आठवें स्थान पर रही इंग्लैंड से भी चार अंक पीछे। शून्य जीत, सात हार — ये आंकड़े अपने आप में एक चेतावनी हैं।

अब भारत को FIH Nations League में खेलना होगा, जो प्रो लीग का दूसरा स्तर है। ओलंपिक या विश्व कप की सीधी योग्यता अब नहीं मिलेगी। अगले सीजन में अगर वे नेशंस लीग में शीर्ष दो में आते हैं, तो फिर से प्रो लीग में वापसी का रास्ता खुलेगा। लेकिन ये एक लंबा और दर्दनाक सफर है।

अगला मोड़: आशा का एक किरण

लेकिन ये सब अंत नहीं, बल्कि एक नया शुरुआत है। अगला बड़ा मैच Hero Asia Cup Rajgir 2025 होगा, जो बिहार के राजगीर में बिहार स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी हॉकी स्टेडियम पर आयोजित होगा। यहाँ घरेलू मैदान का फायदा, घर के दर्शकों का समर्थन — ये सब टीम के लिए नया आधार बन सकता है।

सलीमा तेते जैसे खिलाड़ी अभी भी टीम की रीढ़ हैं। अगर युवा खिलाड़ियों को अधिक अवसर मिले, अगर बचाव में अधिक अनुशासन आए, तो ये रिलीगेशन एक नई शुरुआत का बीज बन सकता है। लेकिन इसके लिए बस एक बात चाहिए — अपनी गलतियों को स्वीकार करने की हिम्मत।

FAQ

भारतीय महिला हॉकी टीम को रिलीगेशन क्यों हुआ?

भारतीय टीम ने 16 मैचों में सिर्फ 10 अंक जमा किए और नौ टीमों में सबसे नीचे स्थान लिया। खासकर आखिरी मिनटों में पेनल्टी कॉर्नर से गोल खाने की आदत और बचाव में शांति का अभाव उनकी हार का मुख्य कारण रहा। ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना के खिलाफ आखिरी मिनटों में गोल खाने से उनकी टीम का आत्मविश्वास टूट गया।

अगले सीजन में भारत कहाँ खेलेगा?

भारत FIH Nations League में खेलेगा, जो प्रो लीग का दूसरा स्तर है। यहाँ टीम को अगले दो साल में शीर्ष दो स्थान पर आना होगा ताकि प्रो लीग में वापसी का अवसर मिल सके। इस लीग में भारत के साथ अन्य टीमें जैसे दक्षिण कोरिया, जापान और नीदरलैंड्स के दूसरी टीमें भी शामिल होंगी।

ओलंपिक की योग्यता के लिए अब क्या रास्ता है?

अब ओलंपिक की सीधी योग्यता नहीं मिलेगी। भारत को अगले विश्व कप के बाद होने वाले ऑल-असिया क्वालीफायर या विश्व कप के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए अन्य टूर्नामेंट्स में शीर्ष चार में आना होगा। ये एक बहुत अधिक कठिन रास्ता है, जिसमें अपनी टीम को नए तरीकों से तैयार करना होगा।

कोच हरेंद्र सिंह को बदला जाएगा?

अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन तकनीकी टीम पर बड़ा दबाव है। भारतीय हॉकी संघ के अंदर कुछ आवाजें यह माँग रही हैं कि एक नया दृष्टिकोण लाया जाए, खासकर बचाव और पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस पर। हरेंद्र सिंह ने पहले भी ओलंपिक रजत पदक जीता है, लेकिन अब उन्हें टीम के नवीनीकरण का जिम्मा संभालना होगा।



टिप्पणि (13)

  • Hitender Tanwar
    Hitender Tanwar

    ये सब बकवास है, टीम ने कोशिश की थी, लेकिन फिजिकल कंडीशन और ट्रेनिंग की कमी के कारण हार गई। अब फिर से राजनीति शुरू हो जाएगी।

  • pritish jain
    pritish jain

    मैच के अंतिम छह मिनटों में जो घटित हुआ, वह एक तांत्रिक विफलता का प्रतीक है - न केवल रणनीति की, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी। जब दबाव के समय श्वास लेना भूल जाए, तो बचाव नहीं, बल्कि आत्म-विनाश होता है।

  • Gowtham Smith
    Gowtham Smith

    हरेंद्र सिंह का फेल होना तो तय था - एक ऐसा कोच जो ओलंपिक रजत पदक के बाद बैठ गया, जिसने युवाओं को अवसर नहीं दिया, जिसने टेक्निकल डिफेंस को नज़रअंदाज़ किया। ये रिलीगेशन बस एक फॉर्मलिटी थी। अब फिर से एक रूसी या डच कोच लाओ, वरना ये टीम अब तक जिस रास्ते पर चल रही थी, वहीं रहेगी - नीचे।

  • Shivateja Telukuntla
    Shivateja Telukuntla

    मैच देखा था। अर्जेंटीना ने बहुत अच्छा खेला, लेकिन भारतीय टीम भी बहुत कुछ दिखा। सलीमा तेते का गोल देखकर लगा कि अभी भी कुछ बाकी है। बस थोड़ा सही दिशा में रास्ता बदलना होगा।

  • Ravi Kumar
    Ravi Kumar

    अरे भाई, ये टीम बिल्कुल जिंदा है! बस एक बार अच्छी तरह से दिल लगाओ, जोर लगाओ, और देखो कैसे ये बाहर निकल जाती है। हरेंद्र सिंह ने ओलंपिक में रजत जीता था, अब उन्हें एक और जादू दिखाना है - बस एक बार फिर से बारिश में खेलने की हिम्मत दिखाओ।

  • rashmi kothalikar
    rashmi kothalikar

    ये टीम ने देश का नाम गंदा कर दिया। हर बार आखिरी मिनट में गोल खाना - ये शर्म की बात है। कोच को तुरंत हटा दिया जाए, और जिन लड़कियों ने आखिरी मिनट में डर दिखाया, उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाए। हम ये नहीं देखना चाहते कि भारत की लड़कियाँ डर के मारे खड़ी हो जाएँ।

  • vinoba prinson
    vinoba prinson

    यह घटना न केवल एक खेल की हार है, बल्कि एक सांस्कृतिक असफलता का भी संकेत है - जहाँ लंबी अवधि की रणनीति के स्थान पर तात्कालिक उपलब्धियों की अभिलाषा प्राथमिकता प्राप्त करती है। जब टीम के लिए आंकड़े अपने आप में धार्मिक पाठ बन जाते हैं, तो खेल की आत्मा लुप्त हो जाती है।

  • Shailendra Thakur
    Shailendra Thakur

    हार तो हुई, लेकिन ये अंत नहीं। अगर हम इस टीम को बार-बार डांटते रहेंगे, तो वो बस डर जाएगी। बल्कि उन्हें गले लगाओ, उनके लिए एक नया ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाओ, युवाओं को अवसर दो। ये टीम अभी भी अपनी जड़ों में बहुत कुछ छुपाए हुए है।

  • Muneendra Sharma
    Muneendra Sharma

    मैंने देखा कि अर्जेंटीना के पेनल्टी कॉर्नर बहुत अच्छे थे, लेकिन भारत के डिफेंसर्स ने बहुत जल्दी चलना शुरू कर दिया - जैसे वो बचाव के बजाय बचने की कोशिश कर रहे हों। अगर हम इस गलती को सुधारें, तो नेशंस लीग में भी बहुत कुछ कर सकते हैं।

  • Anand Itagi
    Anand Itagi

    ये जो बचाव वाली बात है वो सच है पर ये भी बताओ कि क्या हमारे पास इतने अच्छे पेनल्टी कॉर्नर डिफेंडर्स हैं जिन्हें ट्रेन किया जा सके या हम तो बस एक बार फिर से बाहरी एक्सपर्ट ले आएंगे

  • Sumeet M.
    Sumeet M.

    ये टीम ने देश को शर्मसार किया! बचाव नहीं, बल्कि बेवकूफी थी! कोच को निकालो, खिलाड़ियों को रिप्लेस करो, और फिर से शुरुआत करो - बिना बहाने के! ये टीम अब बस एक बोझ है, जिसे तुरंत हटाना होगा।

  • Kisna Patil
    Kisna Patil

    ये टीम ने अपने दिल से खेला है। हरेंद्र सिंह ने जो बनाया है, वो एक नई शुरुआत का आधार है। अगर हम इन लड़कियों को उनके बारे में नहीं बताएंगे कि वो असफल हैं, तो वो अपनी ताकत खोज लेंगी। उनके लिए घरेलू समर्थन जरूरी है - न कि टिकटों का निर्माण।

  • ASHOK BANJARA
    ASHOK BANJARA

    रिलीगेशन का अर्थ है कि हमने एक दर्जन वर्षों तक एक गलत रास्ता अपनाया है - जहाँ टेक्निकल शिक्षा के बजाय भावनात्मक जुनून पर भरोसा किया गया। अब एक नया नियम चाहिए: हर राष्ट्रीय टीम के लिए एक अलग ट्रेनिंग स्टैंडर्ड, जो खेल के वैज्ञानिक पहलुओं पर आधारित हो। बस एक बार फिर से अपने आप को एक खिलाड़ी के बजाय एक विश्लेषक बनाओ।

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