अविनाश सेबल ने रच दिया इतिहास, ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल के लिए क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय बने

अविनाश सेबल ने रच दिया इतिहास, ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल के लिए क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय बने

अविनाश सेबल ने रच दिया इतिहास, ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल के लिए क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय बने 6 अग॰

अविनाश सेबल का ऐतिहासिक प्रदर्शन

अविनाश सेबल ने भारतीय खेल प्रशंसकों के लिए 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में कामयाबी की नई इबारत लिखी है। स्टीपलचेज को एक तकनीकी प्रतिस्पर्धा माना जाता है, जो धावकों की तकनीक, ताकत और धैर्य की असली परीक्षा लेती है। अविनाश सेबल ने पेरिस ओलंपिक 2024 में इस प्रतिस्पर्धा के फाइनल में पहुंचकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया।

अविनाश ने अपनी हीट में 8:15.43 मिनट का समय निकाला, जो उनके व्यक्तिगत बेहतरीन प्रदर्शन 8:09.91 मिनट के मुकाबले कुछ कम है, जिसे उन्होंने पिछले महीने पेरिस डायमंड लीग में हासिल किया था। अपनी हीट के दौरान अविनाश ने प्रारंभिक दो लैप्स में बढ़त बनाए रखी और अंततः तकनीकी दृष्टिकोण से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया ताकि फाइनल में प्रवेश सुनिश्चित किया जा सके।

अन्य धावकों का प्रदर्शन

अविनाश की हीट में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन मोरक्को के मोहम्मद तिंडॉफ्ट ने किया, जिन्होंने 8:10.62 मिनट समय के साथ पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद इथियोपिया के सैम्युअल फाइरवु 8:11.61 मिनट के समय के साथ दूसरे स्थान पर रहे। केन्या के अब्राहम किबिवोट 8:12.02 मिनट समय के साथ तीसरे और जापान के र्युजी मियुरा 8:12.41 मिनट समय के साथ चौथे स्थान पर रहे।

भारतीय एथलीटों के अन्य प्रदर्शन

अविनाश सेबल के अलावा, भारतीय एथलीट किरन पाहल ने भी पेरिस ओलंपिक में अपना परचम लहराने का प्रयास किया। अपनी हीट में उन्होंने 52.51 सेकंड का समय निकाला, जो उनके व्यक्तिगत और सीजन के बेहतरीन प्रदर्शन 50.92 सेकंड से कुछ कम रहा। अपने 24वें जन्मदिन के मौके पर, पाहल ने ओलंपिक में सीधे गुणवत्ता हासिल की थी। ओलंपिक में 2024 से रिपेचेज राउंड की नई व्यवस्था लागू की गई है। यह सुविधा धावकों को 200 मीटर से लेकर 1500 मीटर तक के ट्रैक इवेंट्स में अतिरिक्त हीट्स के माध्यम से सेमी-फाइनल में प्रवेश दिलाने की अनुमति देती है।

किरन पाहल ने यह उपलब्धि जून में अपने व्यक्तिगत बेहतरीन समय के साथ हासिल की थी। हालांकि, अपनी हीट में वे सातवें स्थान पर रहीं, लेकिन उन्होंने उत्साहपूर्वक प्रतिस्पर्धा की।

क्या है स्टीपलचेज?

क्या है स्टीपलचेज?

3000 मीटर स्टीपलचेज एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण ट्रैक और फील्ड इवेंट है, जिसमें धावकों को 28 बारबीरियर्स और 7 वॉटर जम्प्स पार करने होते हैं। इसे धावकों की शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती का परीक्षा मानते हैं। इसमें धावकों की स्पीड, तकनीक और शक्ति का प्रभाव होता है। अविनाश सेबल ने अपनी जिजीविषा और मेहनत से इस कठिन इवेंट में अपना लोहा मनवाया।

अविनाश सबल की यात्रा

अविनाश सबल की यात्रा बहुत कठिनाइयों से भरी रही है, लेकिन उनकी मेहनत और संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले सबल का खेल के प्रति जुनून उन्हें इस अद्वितीय उपलब्धि तक ले आया। वे भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में कार्यरत रहे और वहीं उन्होंने अपनी दौड़ने की क्षमता को पहचाना और निखारा।

उनकी कहानी यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम और संकल्प से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। आज, अविनाश सबल सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।

ओलंपिक के लिए भारत की उम्मीदें

ओलंपिक के लिए भारत की उम्मीदें

अविनाश सिबल की इस सफलता के साथ, भारतीय खेल प्रशासन और खासकर एथलेटिक्स संघ अब और भी अधिक उत्साहित और आशान्वित हो गए हैं। अब भारतीय धावक अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने कौशल का प्रदर्शन करने में सक्षम हो रहे हैं, जो न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

अविनाश का यह प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा और भारत में एथलेटिक्स के विकास को नई दिशा प्रदान करेगा।

निष्कर्ष

अविनाश सबल का पेरिस ओलंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल के लिए क्वालिफाई करना न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है। उनकी मेहनत, संकल्प और प्रतिभा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, जो भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छूने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हमें आशा है कि अविनाश सबल और अन्य भारतीय एथलीट भविष्य में भी इसी प्रकार देश का नाम रोशन करेंगे और हमें गर्व का अनुभव कराएंगे।



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