Google का 27वां जन्मदिन: इतिहास में एक मील का पत्थर
27 सितंबर 2025 को Google 27वां जन्मदिन बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। कंपनी ने विशेष डूडल लॉन्च किया जिसमें 1998 के शुरुआती लोगो को फिर से रंगों के साथ दिखाया गया, जो उपयोगकर्ताओं को खोज इंजन के शुरुआती दौर में ले जाता है। इस डूडल में ‘Search on’ लिखा था, जिससे गूगल ने अपने निरन्तर नवाचार की प्रतिबद्धता दोहराई।
यह डूडल केवल एक सादे ग्राफिक नहीं, बल्कि गूगल की सादगी, प्रयोगधर्मिता और लगातार सुधार की कहानी है। जब गूगल ने 1998 में एक छोटे सर्वर रूम से शुरुआत की थी, तब इसका लोगो भी उतना ही साधारण था—सिफ़रें और रंगीन अक्षरों का मिश्रण। आज के जटिल प्रॉडक्ट सूट के बीच यह मूल रूप फिर से दिखाना, गूगल की जड़ों को याद दिलाता है।
रुथ केडर: लोगो के पीछे की कलाकार
रुथ केडर, ब्राज़ील की कैंपिनास में 1955 में जन्मी, एक बहु-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली डिजाइनर हैं। 16 वर्ष की आयु में वह अपने परिवार के साथ इज़राइल चली गईं, जहाँ उन्हें नई भाषा और संस्कृति के साथ तालमेल बिठाना पड़ा। इस कठिनाई के बाद भी उन्होंने गणित और कला में रुचि विकसित की, जो बाद में उनके वास्तुशिल्प करियर की नींव बनी।
वास्तुशिल्प में करियर बनाने के बाद, रुथ ने महसूस किया कि कुछ कमी है। इसलिए उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। अमेरिका में उनकी शिक्षा ने उन्हें ग्राफिक डिजाइन की दुनिया में प्रवेश कराया, जहाँ उन्होंने गूगल के लोगो को प्रवर्तित किया।
- 1998: गूगल का मूल लोगो तैयार किया गया
- रुथ केडर की डिजाइन में कैंपिनास की जीवंत रंगों, इज़राइल की न्यूनतम शैली और अमेरिकी पॉप कल्चर का मिश्रण है
- लोगो ने गूगल की पहचान को एक दोस्ताना, सुलभ और तेज़ सर्च इंजन के रूप में स्थापित किया
रुथ की कहानी यह दर्शाती है कि विविध पृष्ठभूमियों और कला व विज्ञान के मिश्रण से कैसे विश्व प्रसिद्ध ब्रांड के चेहरा को आकार दिया जा सकता है। उनके द्वारा बनाए गए लोगो ने न सिर्फ गूगल की पहचान बनायी, बल्कि डिजिटल युग में ब्रांडिंग के नए मानदंड स्थापित किए।
Nripen chandra Singh
ये डूडल देखकर लगा जैसे 1998 का वो पुराना कंप्यूटर फिर से चालू हो गया हो जिस पर मैंने पहली बार गूगल सर्च किया था। आज के सबके पास AI और रियल-टाइम अपडेट्स हैं पर ये सादगी अभी भी दिल को छू जाती है। बस एक रंगीन लोगो और एक साधारण लाइन जो कहती है Search on। इतना ही काफी है।
Rahul Tamboli
अरे यार ये सब नोस्टैल्जिया बकवास है। गूगल अब एक डिजिटल अधिकारिता है जो हर चीज़ को ट्रैक करती है। ये लोगो वापस लाना बस एक ब्रांडिंग ट्रिक है जिससे तुम्हें लगे कि वो तुम्हारे दोस्त हैं। 😏
Jayasree Sinha
रुथ केडर की कहानी वाकई प्रेरणादायक है। एक बहु-सांस्कृतिक व्यक्ति ने दुनिया के सबसे बड़े टेक ब्रांड का चेहरा बनाया। ये साबित करता है कि कला और तकनीक का मिश्रण वास्तविक बदलाव ला सकता है।
Vaibhav Patle
मैंने आज सुबह इस डूडल को देखा और रो पड़ा 😭 याद आया जब मैंने पहली बार इंटरनेट चलाया था और गूगल ने मुझे दुनिया दिखाई। आज भी जब भी मैं सर्च करता हूँ तो उस छोटे से लोगो की याद आती है। गूगल ने हमें सिर्फ जानकारी नहीं दी बल्कि उम्मीद दी। 🙏
Garima Choudhury
ये सब झूठ है। रुथ केडर ने लोगो नहीं बनाया। गूगल ने एक फ्रीलांसर को पैसे देकर बनवाया और फिर उसकी कहानी को ब्रांडिंग के लिए बदल दिया। ये बिज़नेस ट्रिक है। और ये डूडल? बस एक डिजिटल बाजार में गरीबों को भावनात्मक रूप से जकड़ने का तरीका।
Hira Singh
हर बार जब गूगल अपना पुराना लोगो लाता है तो मुझे लगता है कि ये कंपनी अभी भी उसी छोटे से गैराज से चल रही है जहाँ दो दोस्तों ने दुनिया बदलने का सपना देखा था। ये बहुत खूबसूरत है। आज भी जब मैं गूगल खोलता हूँ तो उम्मीद रहती है कि कुछ नया मिलेगा। 🌟
Ramya Kumary
रुथ केडर की यात्रा मुझे याद दिलाती है कि ब्रांड बनाना कोई तकनीकी गणित नहीं है। ये एक भावनात्मक भाषा है जो एक बच्चे के चित्र से शुरू होती है और एक अंतर्राष्ट्रीय इम्पीरियम तक पहुँचती है। उसने रंगों को नहीं बल्कि उम्मीदों को डिजाइन किया। जब तुम इस लोगो को देखते हो तो तुम देख रहे हो एक अनजान आत्मा की आवाज़ जो बोलती है - तुम अकेले नहीं हो।
Sumit Bhattacharya
प्रारंभिक गूगल लोगो के डिजाइन में विज्ञान और कला का सामंजस्य अत्यंत उल्लेखनीय है। रुथ केडर ने एक ऐसी विज़ुअल भाषा विकसित की जिसने डिजिटल इंटरफेस के लिए एक नया मानक स्थापित किया। इसकी सादगी ने उपयोगकर्ता अनुभव के आधारभूत सिद्धांतों को अपनाया जो आज भी प्रासंगिक है।
Snehal Patil
इतना धुंधला लोगो बनाने वाली ये औरत किसकी माँ है? इतना बेकार डिजाइन क्यों किया? अब तो बच्चे भी बेहतर बनाते हैं।
Nikita Gorbukhov
तुम सब इतने भावुक क्यों हो रहे हो? ये लोगो बनाने वाली औरत को गूगल ने एक बार भी नहीं चिह्नित किया। वो बस एक फ्रीलांसर थी जिसे बाद में इतिहास में डाल दिया गया। ये बस एक और बड़े कॉर्पोरेट धोखा है। और अब ये डूडल? बस एक ब्रांड लॉयल्टी ट्रिक। 😤