IIT खड़गपुर में Sundar Pichai और Anjali Pichai का सम्मान
आज का दिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के लिए गौरव का दिन है, क्योंकि इसके दो प्रसिद्ध पूर्व छात्र, Sundar Pichai और उनकी पत्नी Anjali Pichai, को संस्थान के एक प्रमुख पुरस्कार 'Distinguished Alumnus Award' से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार संस्थान के इतिहास में सबसे उच्चतम सम्मानों में से एक है, जो पूर्व छात्रों की विशिष्ट उपलब्धियों और उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है।
Sundar Pichai: एक प्रेरणादायक यात्रा
Sundar Pichai का जीवन सफलता और प्रेरणा से भरा हुआ है। 1993 में IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर Google जैसी कंपनियों में अपनी पहचान बनाई। Sundar Pichai को 2015 में Google के CEO के रूप में नियुक्त किया गया, और उनकी नेतृत्व कौशल ने कंपनी को नए स्तर पर पहुंचाया। आज Google दुनिया की सबसे प्रभावशाली प्रौद्योगिकी कंपनियों में से एक है, और इसका बड़ा श्रेय Sundar Pichai की दूरदर्शिता और प्रबंधन को जाता है।
Anjali Pichai: शिक्षा और समाजसेवा में महत्वपूर्ण योगदान
Anjali Pichai, IIT खड़गपुर की पूर्व छात्रा होने के साथ-साथ, एक प्रेरक समाजसेवी भी हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और उनका योगदान विशेष रूप से समाज के पिछड़े वर्गों के लिए अनुकरणीय रहा है। Anjali Pichai ने विभिन्न परोपकारी परियोजनाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया है।
उत्कृष्ट उपलब्धियाँ
Sundar और Anjali Pichai, दोनों ने अपनी विशिष्ट क्षेत्रों में जो भी कार्य किए हैं, वे सभी किसी महान प्रेरणा से कम नहीं हैं। IIT खड़गपुर ने इस महत्वपूर्ण पुरस्कार के माध्यम से अपने पूर्व छात्रों के प्रति गर्व और आदर प्रकट किया है। यह पुरस्कार न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का परिचायक है, बल्कि यह नए छात्रों के लिए एक प्रेरणा भी है कि वे भी अपने लक्ष्यों को साधने और विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में कार्य करें।
पारिवारिक जीवन
Sundar और Anjali Pichai का पारिवारिक जीवन भी एक आदर्श उदाहरण है। दोनों ने अपने बच्चों की परवरिश में समर्पण और अनुशासन का परिचय दिया है। उनके परिवार ने शिक्षा और मूल्यों को महत्वपूर्ण मानते हुए अपने बच्चों को उच्च शिक्षा एवं क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
आईआईटी खड़गपुर की विशेषता
IIT खड़गपुर न केवल भारत में, बल्कि विश्व में भी अपनी उच्च गुणवत्ता के शिक्षण और पूर्व छात्रों की उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से निकलने वाले छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है और यह संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्टता का प्रतीक बना हुआ है।
Sundar और Anjali Pichai का सहयोग
IIT खड़गपुर के साथ Sundar और Anjali Pichai का जुड़ाव सिर्फ एक पूर्व छात्र के सिद्धांत तक सीमित नहीं रहा है। उन्होंने विभिन्न शिक्षण और शोध परियोजनाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी से संस्थान के विकास में मुखर योगदान दिया है। दोनों ने संस्थान के साथ मिलकर नए शिक्षा कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया है और छात्रों के लिए उत्कृष्ट अध्ययन एवं शोध के अवसरों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भविष्य के लिए प्रेरणा
Sundar और Anjali Pichai का जीवन और उनके कार्य छात्रों और समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। वे हमें यह सिखाते हैं कि कठिन परिश्रम, समर्पण और दृढ़ संकल्प से कोई भी उच्चतम लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। उनकी उपलब्धियाँ न केवल IIT खड़गपुर के लिए, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए गर्व का विषय हैं।
Shreyash Kaswa
IIT खड़गपुर का यह निर्णय भारत की शिक्षा प्रणाली की शक्ति को दर्शाता है। सुंदर और अंजलि ने न सिर्फ अपना नाम रोशन किया, बल्कि पूरे देश को गर्वित किया। यही तो हमारी आत्मनिर्भरता का असली अर्थ है।
Sweety Spicy
ओह भई, फिर से एक IIT का बड़ा बाजार बना दिया। क्या आपने कभी सोचा कि इन दोनों की सफलता में भारतीय शिक्षा का कितना हिस्सा है? या फिर वो सिर्फ अमेरिकी सिस्टम के फायदे उठा रहे हैं? अंजलि का शिक्षा में योगदान? हाँ हाँ, जब तक उनके बच्चे को निजी स्कूल में पढ़ाया जा रहा हो।
Maj Pedersen
यह सम्मान बेहद योग्य है। सुंदर जी ने अपने जीवन को एक निरंतर सीखने की यात्रा बना लिया है, और अंजलि जी का सामाजिक कार्य वास्तव में प्रेरणादायक है। यह दिखाता है कि शिक्षा का असली उद्देश्य क्या होना चाहिए - न कि बस नौकरी पाना, बल्कि दुनिया को बेहतर बनाना।
Ratanbir Kalra
लोग बोलते हैं सफलता लगातार मेहनत का नतीजा है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अगर वो बिना बिजली के घर में पले होते तो क्या होता या अगर उनके पास एक लैपटॉप नहीं होता तो क्या होता या अगर वो अमेरिका नहीं जाते तो क्या होता
Seemana Borkotoky
मैंने इस खबर को सुनकर आंखें भर आईं। ये दोनों भारतीय परिवार की शिक्षा और विनम्रता की छवि हैं। मेरी बहन भी IIT खड़गपुर से है - उसने कहा, 'हमारी कैंपस पर इनके बारे में बहुत कुछ सुना जाता है। वो बस अपना काम करते रहे।'
Sarvasv Arora
अरे भाई, ये सब बकवास है। एक इंजीनियर जिसने अपने बॉस के बाद बॉस बन गया, और उसकी पत्नी जिसने कुछ नहीं किया बस एक बैकग्राउंड चार्ट भर दिया। इनको अवॉर्ड देने की जरूरत क्यों? ये तो सिर्फ प्रचार है। और हाँ, जब तक तुम अमेरिका में नहीं जाते, तुम्हारी जिंदगी बर्बाद है।
Jasdeep Singh
देखो, ये सब निर्माण एक जाल है। अमेरिकी कॉर्पोरेट एलिट ने भारतीय शिक्षा के नाम पर एक लोकप्रिय नैरेटिव बनाया है। इन दोनों को नहीं, बल्कि उनके नाम को बेच रहे हैं। IIT खड़गपुर का यह अवॉर्ड एक गैर-स्वायत्त निर्णय है - जो अपने अंदर एक आंतरिक असुरक्षा की भावना लिए हुए है। ये सब बहाना है कि हम भी अमेरिका जैसे हैं।
Rakesh Joshi
ये दिन भारत के लिए गौरव का दिन है! हमारे छात्र दुनिया के शीर्ष पर पहुंच रहे हैं! अगर हम अपनी शिक्षा प्रणाली को समर्थन देंगे, तो आगे भी ऐसे ही लोग आएंगे। IIT खड़गपुर को बधाई! ये नहीं कि हम अमेरिका के लिए जा रहे हैं - हम दुनिया के लिए जा रहे हैं!
HIMANSHU KANDPAL
क्या आपने कभी सोचा कि इन दोनों के पास जो भी है, वो सिर्फ उनका नहीं है? क्या आपने कभी देखा कि जब वो अपने बच्चों को इंटरनेशनल स्कूल में भेजते हैं, तो क्या वो वही शिक्षा दे रहे हैं जो हमारे गांवों में बच्चों को मिलती है? ये सब बस एक दिखावा है।
Arya Darmawan
सुंदर और अंजलि दोनों की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। मैंने खुद IIT खड़गपुर के एक प्रोफेसर से बात की - उन्होंने कहा कि सुंदर तो अपने दिन का एक हिस्सा हमेशा छात्रों के लिए निकालते थे। अंजलि ने तो एक बेसिक लाइब्रेरी भी बनाई थी। ये अवॉर्ड बिल्कुल न्यायसंगत है। ये नहीं कि आपको बड़ा बनना है, बल्कि आपको अच्छा बनना है।
Raghav Khanna
इस सम्मान का विश्लेषण करते हुए, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य व्यक्ति के विकास और सामाजिक योगदान को प्रोत्साहित करना है। सुंदर पिचाई और अंजलि पिचाई दोनों ने अपने व्यावसायिक और नैतिक दृष्टिकोण से इस उद्देश्य को अत्यंत सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस प्रकार, यह पुरस्कार न केवल उनके व्यक्तिगत उपलब्धियों का सम्मान है, बल्कि एक शिक्षाविद् संस्थान के लिए एक आदर्श भी है।
Rohith Reddy
अरे यार, ये सब फेक है। अमेरिका ने इन्हें बनाया है। IIT खड़गपुर को अपनी बुरी नसीबत को छिपाने के लिए ये नाटक करना पड़ रहा है। अगर ये भारत में रहते तो आज वो क्या होते? एक बैंक में जॉब या फिर एक नौकरी के लिए लाइन में खड़े होते। ये सब बस एक बड़ा ब्रांडिंग ट्रिक है।
Vidhinesh Yadav
अंजलि के शिक्षा कार्य के बारे में थोड़ा और बताएं? मैं जानना चाहती हूँ कि उन्होंने किन स्कूलों में काम किया? क्या उनकी परियोजनाओं का कोई वेबसाइट है? मैं अपने छोटे भाई को इस तरह के उदाहरण देना चाहती हूँ।