दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की चमकती रोशनियों के नीचे 21 सितंबर को एक बार फिर इंडिया बनाम पाकिस्तान का सबसे ठंडा मुकाबला हुआ। एशिया कप 2025 के सुपर फोर चरण में दोनों टीमें टाइट जीत की तलाश में थीं, लेकिन भारत ने 6 विकेट से जीत के साथ शरारत को साफ़ कर दिया।
मैच का सारांश और मुख्य आँकड़े
पहले बैटिंग करने वाले पाकिस्तान ने 171 रन बनाकर अपनी पारी समाप्त की। फाखर जामान का आउट हुए ही भारत ने तेज़ी पकड़ी, और हार्दिक पांड्या ने पहला विकेट लेकर टॉस को बदल दिया। भारत ने 18.5 ओवर में लक्ष्य हासिल किया, जिससे उनका रन रेट 9.23/ओवर रहा – यह दर्शाता है कि टीम ने दबाव में भी गति नहीं खोई।
इस जीत में कई बातों ने असर डाला: सानजू सामसन का बिन आगे बढ़ते किलर कोल्ड कैच, शुबमन गिल की तेज़ शुरुआत, और तेज़ी से चलती पिच ने भारत को अनुकूल स्थिति दी। दूसरी ओर, पाकिस्तान की मध्यक्रम ने हिचकी के साथ साथ कठिन घास पर चलना तय किया, जिससे उनका स्कोर स्थिर नहीं हो सका।
मुख्य उल्लेखनीय पहलू और विवाद
हार्दिक पांड्या की गेंदबाजी यही नहीं, बल्कि उनका पाकिस्तान विरोधी रिकॉर्ड भी असाधारण है – 8 टी20I में 15 विकेट, और कभी भी बिना विकेट के नहीं रहा। यह आंकड़ा उनके लिए आत्मविश्वास का बड़ा स्तंभ था।
टीम इंडिया ने अपनी फॉर्मेशन में सर्चय कुमार यादव को कप्तान बनाया, जबकि पिच पर संजय सामसन ने विकेटकीपर की माँग पूरी की। दाएँ हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों में जस्प्रित बुमराह, कुलदीप यादव और अंत में वैरुन चकरावर्ती ने तेज़ी के साथ दबाव बनाया।
पाकिस्तान ने 11 मैचों में बदलाव करके हरिस राफ और खुर्दिल शाह को वापस बुलाया, लेकिन सुफ़ीयान मुलाक़ और फहीम आशरफ़ को बाहर रखा। सलमान आघा की कप्तानी में टीम ने फाखर जामान को शुरुआती गेंद के साथ टारगेट किया, लेकिन पांड्या की चतुराई ने इसे टाल दिया।
मैच के दौरान कोच गौतम ग़ंबर की टिप्पणी "Are umpire se toh mil le" ने सोशल मीडिया में हंगामा खड़ा कर दिया। हाथ मिलाने के मुद्दे पर फिर से बहस छिड़ गई, जिससे दोनों देशों की टीमों के बीच तनाव का माहौल बना रहा।
एक और चर्चा का विषय था सानजू सामसन की धूमधाम वाली कैच – क्या वाक़र युनिस की टिप्पणी के अनुसार गेंद पूरी तरह से हाथ में जा पाई थी या नहीं? इस पर विपक्षी टीम के समर्थकों ने तीखा बहस शुरू कर दिया।
पाकिस्तान की बैटिंग लाइन‑अप में साइम अयूब लगातार तीन मैचों में शून्य (डक) बना रहे थे, जिससे मध्यक्रम की असुरक्षा उजागर हुई। हसन नवाज़ ने भी लगातार स्कोर नहीं बना पाकर टीम को और कठिनाइयों में डाल दिया।
इंडिया की इस जीत ने उन्हें टॉप पर पहुंचाया, जबकि पाकिस्तान को सुधार की जरूरत रही। सुपर फोर चरण में अब भारत के पास पॉइंट्स की अच्छी मार्जिन है, जो आगे की फाइनल में जगह बनाने में मदद करेगी।
आगे देखते हुए, टीम इंडिया का फोकस अगले मैच में टिकाऊ पिच का फायदा उठाने और तेज़ रन स्कोर करने पर रहेगा, जबकि पाकिस्तान को अपनी मध्यक्रम को स्थिर करने और बॉलिंग में नई ऊर्जा लाने की जरूरत है। यह टक्कर दिखाती है कि एशिया कप 2025 में हर खेल में छोटी‑छोटी बातों का बड़ा असर हो सकता है।
Puru Aadi
भारत ने फिर से दिखा दिया कि दबाव में भी खेल सकते हैं 🙌 गिल की शुरुआत और हार्दिक का गेंदबाजी जादू... ये टीम तो बस देखने लायक है!
Vidhinesh Yadav
मैच के बाद सोच रही थी कि क्या ये सिर्फ खेल है या फिर देशों के बीच की भावनाओं का प्रतिबिंब? जब हम एक दूसरे को देखते हैं तो क्या हम सिर्फ रन और विकेट ही देखते हैं या फिर उनकी कहानियाँ भी?
Nripen chandra Singh
ये सब खेल है और खेल का मतलब है जीतना या हारना लेकिन जब एक टीम की बैटिंग लाइनअप में तीन मैचों में डक लग रहा हो तो ये खेल नहीं बल्कि एक नाटक है जिसमें अभिनय करने वाले खुद भी नहीं जानते कि वो क्या कर रहे हैं
Rahul Tamboli
सानजू का कैच? बस अभी तक का सबसे बड़ा धोखा 🤡 वैरुन की गेंद तो उड़ रही थी और वो बस एक नाटक बना रहा था जिसमें उसका हाथ था लेकिन गेंद नहीं 😎
Jayasree Sinha
मैच के बाद कोच की टिप्पणी पर बहस हो रही है लेकिन क्या हम भूल रहे हैं कि खेल का मुख्य उद्देश्य निष्पक्षता और सम्मान है? ये छोटी बातें बड़े विवाद बन जाती हैं जब हम खेल को राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बना लेते हैं।
Vaibhav Patle
हार्दिक पांड्या का पाकिस्तान खिलाफ रिकॉर्ड तो बस अद्भुत है भाई ये आदमी जब भी इन दोनों टीमों के बीच खेलता है तो जैसे उसके शरीर में एक अलग ऊर्जा आ जाती है। अगला मैच भी ऐसा ही होगा और हम सब फिर से उसकी गेंदबाजी के लिए खड़े हो जाएंगे 💪🔥
Hira Singh
पाकिस्तान की मध्यक्रम को देखकर लग रहा है कि वो बस एक दिन के लिए खेल रहे हैं और अगले दिन कुछ और चाहते हैं। इस टीम को बस एक अच्छा बल्लेबाज़ चाहिए जो उन्हें राहत दे सके।
Ramya Kumary
कभी-कभी लगता है कि हम खेल के बजाय उसके अर्थ को खो रहे हैं। जब एक गेंद के लिए इतना झगड़ा हो रहा है तो क्या हम भूल गए कि ये खेल बच्चों के लिए भी है? जिन्हें गेंद फेंकने का मज़ा है, न कि राष्ट्रीय गर्व का बोझ।