ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में एक अपार संभावनाओं वाले बल्लेबाज़, विल पुकोवस्की ने 26 वर्ष की नाजुक उम्र में ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का कठिन निर्णय लिया है। बार-बार सिर में चोटें और अनेक संध्यारोप जीवन में शामिल मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। उनके करियर में सिर की चोटों ने न केवल उनके शरीर को बल्कि उनकी मानसिक स्थिति को भी गहराई से प्रभावित किया।
पुकोवस्की ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत साल 2021 में की थी जब उन्होंने पहली और एकमात्र टेस्ट मैच भारत के खिलाफ सिडनी में खेला था। इस मैच में उन्होंने 62 रनों की मजबूत पारी खेली लेकिन नवदीप सैनी की गेंद पर आउट हो गए। इस मैच के दौरान उन्हें कंधे में चोट भी लग गई थी जो उन्हें छह महीने तक मैदान से दूर रखी। यह चोट सिर्फ एक शुरुआत थी, उनके करियर में अधिक चोटों की एक लम्बी श्रृंखला की।
मार्च 2024 में शैफील्ड शील्ड मैच के दौरान रिले मेरिडिथ की गेंद के लगने से एक बार फिर उन्हें सिर में गंभीर चोट आई। इस कारण वे गर्मियों के बाकी मैचों से बाहर हो गए और उन्होंने इंग्लैंड के लिए लीसेस्टरशायर के साथ अग्रीमेंट भी रद्द कर दिया। एक स्वतंत्र चिकित्सा पैनल ने उनकी समीक्षाओं के बाद उनके संन्यास की सलाह दी, जिसे क्रिकेट विक्टोरिया और उनकी टीम ने औपचारिक रूप से संज्ञान में लिया।
पुकोवस्की ने 2017 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और विक्टोरिया के लिए 36 प्रथम श्रेणी मैच खेले। इन मैचों में उन्होंने 45.19 के औसत से 2,350 रन बनाए। उनके इस सफर में सात शतक भी शामिल थे। खासकर, जनवरी 2019 में जब उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया और विक्टोरिया के लिए दो द्विशतक बनाए, तब उनका करियर उचाईयों पर था।
प्रारंभिक संघर्ष और चोटें
शुरुआत से ही पुकोवस्की को अपने करियर में अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बचपन से ही खेल में रुचि दिखाने वाले पुकोवस्की ने क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए कठोर परिश्रम किया। जब उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया, तो खेल के प्रति उनकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता ने सबको प्रभावित किया।
हालांकि, यह मनमोहक यात्रा इतनी आसान नहीं थी। 2017 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखने से लेकर 2024 में संन्यास लेने तक, अनेक चोटों ने उन्हें बार-बार मुसीबतों में डाला। हर चोट के बाद मैदान पर लौटना उनके मानसिक और शारीरिक धैर्य की परीक्षा थी। लगातर सिर में चोटों की वजह से उनकी मानसिक स्थिति पर भी नकरात्मक असर पड़ा।
मानसिक स्वास्थ्य और संन्यास का निर्णय
पुकोवस्की के करियर को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला पहलू उनकी मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति थी। बार-बार की चोटों ने उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता को गहरा आघात पहुँचाया। एक स्वतंत्र चिकित्सा पैनल ने उनकी मानसिक स्थिति की गहरी समीक्षा की और उन्हें संन्यास लेने की सिफारिश की। इस सिफारिश को क्रिकेट विक्टोरिया और पुकोवस्की ने गंभीरता से लिया और उन्होंने संन्यास का निर्णय किया।
उनके संन्यास के फैसले ने क्रिकेट जगत को अचंभित कर दिया। बहुत से क्रिकेट प्रशंसक और विशेषज्ञ मानते थे कि उनमें अभी भी बहुत कुछ देने की क्षमता थी। परंतु, उनकी सुरक्षा और मानसिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया जाना अनिवार्य हो गया था।
एक होनहार करियर का अंत
विल पुकोवस्की की कहानी एक होनहार करियर की है जो दुर्भाग्यवश चोटों और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते खत्म हो गई। उनका सफर यह दर्शाता है कि खेल की दुनिया में सफलता पाने के लिए न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्थिरता भी महत्वपूर्ण है। उनकी कहानी कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी कि खेल के प्रति अपने जुनून को बनाए रखें, लेकिन अपनी सेहत और मानसिक स्थिरता को भी हमेशा प्राथमिकता दें।
इस प्रकार, विल पुकोवस्की का क्रिकेट करियर एक प्रकार से हमें यह सिखाता है कि खेल के क्षेत्र में सफलता केवल रन, शतक या विकेट से नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्थिरता से भी मापी जाती है। पुकोवस्की ने अपने संन्यास का फैसला कठिन परिस्थितियों में लिया, लेकिन यह फैसला उनके स्वस्थ और संतुलित जीवन की दिशा में एक सही कदम है।
हम आशा करते हैं कि पुकोवस्की आगे के जीवन में सफलता प्राप्त करें और उनकी कहानी न केवल खिलाड़ियों बल्कि आम जीवन में भी सभी के लिए प्ररेणा का स्रोत बने।
Rohith Reddy
ये सब बहाने हैं भाई साहब वो बस अपनी फेल हुई पारी का बोझ उतार रहा है और अब डर रहा है कि अगली बार भी आउट हो जाएगा तो क्या होगा ये चोटें तो हर खिलाड़ी को लगती हैं लेकिन बाकी लोग लड़ते हैं वो बस हार गया
Vidhinesh Yadav
इस बात को समझना जरूरी है कि खेल के बाहर जीवन भी महत्वपूर्ण है। विल ने अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जो कि बहुत कम खिलाड़ियों के लिए संभव होता है। उनका फैसला बहादुरी का परिचय देता है न कि कमजोरी का।
Puru Aadi
बहुत बढ़िया फैसला भाई 🙌 ये खेल तो जीवन नहीं है जीवन तो खेलना है और वो अपनी जिंदगी बचा रहा है। अगले दिन शायद कोच बन जाएगा या कोई टीवी एनालिस्ट और हम सब उसकी बातें सुनेंगे 😎
Nripen chandra Singh
क्या आपने कभी सोचा कि शायद ये सब चोटें एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय नियोजन का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य नए खिलाड़ियों को ऊपर लाना है और इस तरह के बल्लेबाज़ों को धीरे-धीरे बाहर धकेल दिया जाता है जो बहुत अच्छे होते हैं लेकिन उनकी उपस्थिति के कारण अन्य के अवसर कम हो जाते हैं
Rahul Tamboli
ओए यार ये तो बस एक ड्रामा है जिसमें वो अपने फेल होने को ट्रैजेडी बना रहा है 🎭 अब वो फिल्म बनेगी और नेटफ्लिक्स पर आएगी और हम सब रोएंगे 😭 वो तो अभी तक 1 मैच खेला है और ये अंतर्राष्ट्रीय करियर कहानी 😂
Jayasree Sinha
इस निर्णय को सम्मान के साथ लेना चाहिए। विल पुकोवस्की ने अपने शरीर और मन की सुरक्षा को खेल के ऊपर रखा। यह एक जिम्मेदार और परिपक्व व्यक्ति का कदम है।
Vaibhav Patle
मैं तो इस बात से बहुत प्रभावित हुआ हूँ कि एक इंसान अपने सपनों के बीच भी अपनी सेहत को प्राथमिकता दे सकता है। विल ने बहुत कुछ दिखाया है और अब वो एक नई शुरुआत कर रहा है। उसके लिए बहुत बहुत शुभकामनाएँ 🙏 जीवन में खेल से ज्यादा कुछ होता है और वो अब उसे जी रहा है
Garima Choudhury
ये सब बातें बकवास हैं जब तक आपको नहीं पता कि वो जानबूझकर चोटें लगवा रहा था ताकि अपने करियर को खत्म कर सके और फिर वो डॉक्टर बनकर आया और अब अपनी फिल्म बना रहा है और नेटफ्लिक्स ने 5 करोड़ दिए हैं