जब मिथुन मांहास, BCCI के राष्ट्रपति भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का नाम 28 सितम्बर 2025 को मुंबई में आयोजित वार्षिक सामान्य सभा में घोषित हुआ, तो भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच हलचल मच गई। 45‑साल के इस प्रशासक को सभी बोर्ड सदस्यों की एकमत बहुमत से चुना गया, जबकि वह पहले से ही जम्मू‑कश्मीर के धड़े‑भरे भदर्वाह जिले का बेटा था।
निर्वाचन का प्रसंग
मुंबई, मुंबई के कोहिंब्रो इनाम्बु में हुआ यह एजीएम, जिसमें 70 सदस्य उपस्थित थे। प्रस्तुत एजेंडा में केवल एक ही पद के लिये नामांकित थे – मिथुन मांहास। उनके विरोधी नहीं, न ही कोई दूसरा उम्मीदवार था। इससे स्पष्ट हो गया कि बोर्ड के वरिष्ठ नेता इस चयन को पहले से ही तय कर चुके थे।
जैसा कि रॉजर बिन्नी ने अगस्त 2025 में 70 साल की आयु सीमा पूरी कर पद से इस्तीफा दे दिया था, उनके बाद बोर्ड को एक ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत थी जो प्रशासनिक अनुभव के साथ‑साथ भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दे सके।
मिथुन मांहास का प्रशासनिक सफ़र
देश के क्रिकेट मैदानों पर उनका नाम सुनते‑सुनते कई लोग फुसफुसाते हैं कि वह कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेले, परन्तु मिथुन मांहास का घरेलू रिकॉर्ड इतिहास में गिनता है। 1997‑2017 के दो दशकों में उन्होंने 157 प्रथम‑श्रेणी मैचों में 9,714 रन बनाए, 130 लिस्ट‑ए खेलों में 4,126 रन और 91 टी‑20 में 1,170 रन संग्रहीत किए। दिल्ली को कप्तान के रूप में उनका कार्यकाल, जब विराट कोहली और गौतम गांधीर राष्ट्रीय टीम में थे, विशेषकर यादगार रहा।
इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें बीसीसीआई की उप‑समिति में जम्मू‑कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन का पर्यवेक्षण सौंपा गया। बाद में आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बंगलोर, पंजाब किंग्स और गुजरात टाइटनस जैसे फ्रैंचाइज़ी के साथ कोचिंग और कंसल्टेंट की भूमिका निभाई। उन्होंने बांग्लादेश अंडर‑19 टीम को भी तकनीकी सलाह दी, जिससे उनका अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक नेटवर्क बना।
बोर्ड में प्रमुख नियुक्तियां
नए राष्ट्रपति के साथ राजीव शुक्ला को उप‑राष्ट्रपति चुना गया, जबकि देवजित सायका अपने सचिव पद पर बने रहेंगे। अपेक्स काउंसिल में सौराष्ट्र के जयेव शाह को सदस्य नियुक्त किया गया। इन सभी नामों का चयन इस बात का संकेत है कि बीसीसीआई के अंदर एक संतुलित प्रतिनिधित्व हासिल करने की कोशिश चल रही है, जिसमें विभिन्न राज्य संघों और प्राइवेट क्लबों की आवाज़ें सम्मिलित हों।
वेतन एवं भत्ते का विवरण
बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद औपचारिक रूप से "असम्मानित" (honorary) है, अर्थात् इसमें कोई निश्चित वेतन नहीं दिया जाता। इसके बजाय, दैनिक भत्ते और विभिन्न सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। भारतीय मीटिंग्स में रु. 40,000 प्रतिदिन और अंतरराष्ट्रीय मीटिंग्स में USD 1,000 (लगभग रु. 89,000) का भत्ता दिया जाता है, जैसा कि इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट किया। यह भत्ता सचिव और कोषाध्यक्ष को भी समान रूप से मिलता है, जिससे सभी शीर्ष अधिकारियों के लिए कार्यान्वयन योग्य खर्चों का कवरेज रहता है।
भत्ते के अलावा, राष्ट्रपति को यात्रा, लाइटिंग, स्वास्थ्य बीमा, और भारत व विदेश में आधिकारिक ठहराव के दौरान होटल एवं भोजन की व्यवस्था भी मुफ्त में मिलती है। इस प्रणाली को अक्सर "सभी‑खर्च‑भुगतान" मॉडल कहा जाता है, जो बीसीसीआई के उच्च पद धारणकर्ताओं को पूरी स्वतंत्रता देता है।
जम्मू‑कश्मीर में राजनीतिक प्रभाव
संघ मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपनी आधिकारिक ट्विटर (X) पर इस नियुक्ति को "जम्मू‑कश्मीर के लिए एक क्षणिक अवसर" कहा। उन्होंने लिखा: "डोदा के एक दूरस्थ हिस्से से शीटल की विश्व‑चैंपियनशिप और कुछ ही घंटों में भदर्वाह के पुत्र मिथुन का BCCI अध्यक्ष बनना, यह एक providential रविवार है।" यह बयान स्थानीय युवाओं में आशा की लहर दौड़ाने की संभावना रखता है, क्योंकि इससे क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर अधिक मान्यता मिलने की संभावना बढ़ गई है।
कहना गलत नहीं होगा कि इस नियुक्ति को जम्मू‑कश्मीर की खेल नीति में एक नया अध्याय माना जा रहा है। अब राज्य के शैक्षणिक संस्थानों और खेल एस्थेटिक्स में निवेश बढ़ाने की माँगें तेज़ हो रही हैं, ताकि स्थानीय प्रतिभाएँ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर निकल सकें।
भविष्य की दिशा और संभावित चुनौतियां
अब मिथुन मांहास को भारत के सबसे बड़े खेल बोर्ड के रूप में कई निर्णय लेने हैं। घरेलू टूर्नामेंटों की पुनर्संरचना, भारत‑विदेश में क्रिकेट शेड्यूल, और नवोदित खिलाड़ियों के लिए अधिक अवसर बनाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा। इसके अलावा, आईपीएल के बारे में हालिया टकराव (उदाहरण के तौर पर फ्रैंचाइज़ी टाइ-अप और बॉलिंग अधिकार) को सुलझाने में उनका कूटनीतिक कौशल काम आएगा।
एक और महत्वपूर्ण सवाल शेड्यूल का है – 2026 में विश्व कप की तैयारी कैसे होगी? और साथ ही, भारतीय महिलाओं की टीम को नई प्रोत्साहन योजनाओं की जरूरत है। इन सभी सवालों के जवाब में उनका नेतृत्व निर्णायक सिद्ध हो सकता है, परन्तु साथ ही इस पद की अस्ममितता (नॉन‑पेड) संरचना भी आलोचना के घेरे में है, जहाँ कई लोग पारदर्शिता और फ़ायनेंसियल डिस्क्लोज़र की माँग कर रहे हैं।
- नया BCCI अध्यक्ष: मिथुन मांहास (भदर्वाह, डोडा)
- उप‑राष्ट्रपति: राजीव शुक्ला
- सचिव: देवजित सायका
- वेतन: दैनिक INR 40,000 (घरेलू) / USD 1,000 (अंतर्राष्ट्रीय)
- मुख्य चुनौतियां: IPL टेनर, महिला क्रिकेट का विकास, अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल

Frequently Asked Questions
मिथुन मांहास का BCCI अध्यक्ष बनने से भारतीय क्रिकेट को क्या लाभ होगा?
उनके दो दशकों के घरेलू अनुभव और कई आईपीएल फ्रैंचाइज़ियों के साथ काम करने की पृष्ठभूमि से कॉर्पोरेट और खिलाड़ी दोनों दृष्टिकोणों को समझा जा सकेगा। इससे युवा प्रतिभाओं के लिए स्पष्ट मार्ग बन सकता है और टॉरनमेंट फॉर्मेट में आवश्यक सुधार संभव हो सकते हैं।
क्या BCCI के अध्यक्ष को कोई स्थायी वेतन मिलता है?
नहीं, पद औपचारिक रूप से अनुदानित (honorary) है। उन्होंने दैनिक ₹40,000 (घरेलू) और $1,000 (अंतर्राष्ट्रीय) के भत्ते के साथ-साथ यात्रा, होटल और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं प्राप्त करेंगे।
जम्मू‑कश्मीर के खेल परिवेश में इस नियुक्ति का क्या असर होगा?
यह नियुक्ति क्षेत्रीय खेल नीति में निवेश को तेज कर सकती है। स्थानीय सरकारें अब अधिक फंडिंग, प्रशिक्षण कैंप और अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन की मांग कर रही हैं, जिससे युवाओं में खेल के प्रति रुचि बढ़ेगी।
BCCI के आगामी प्रमुख कदम कौन‑से हैं?
2026 के विश्व कप की तैयारी, घरेलू टूरिंग कैलेंडर का पुनर्गठन, महिलाओं के क्रिकेट में अधिक टूरों की योजना और आईपीएल के टेनर‑डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल पर पुनर्विचार मुख्य एजेंडा में हैं।
क्या कोई अन्य प्रमुख व्यक्ति इस चुनाव में शामिल थे?
नहीं, लिस्ट में केवल मिथुन मांहास थे। हालांकि बोर्ड के अंदर रॉजर बिन्नी (पूर्व अध्यक्ष), सोरव गांगुली (पूर्व अध्यक्ष) और कई वरिष्ठ ब्रोडक्रॉस‑फ़ंक्शनल सदस्य इस निर्णय में मुख्य भूमिका निभाते रहे।
ONE AGRI
मिथुन भाई का नाम सुनते ही जम्मू‑कश्मीर की धड़कन तेज हो जाती है, और हमें ऐसा महसूस होता है जैसे इतिहास फिर से लिखे जा रहा हो। वह 45 साल के थे, लेकिन उनके जड़ें तो उस बर्फीले पहाड़ी में गहरी हैं जहाँ से उन्होंने पहली बार बल्लेबाज़ी के सपने देखे। इस पद पर उनका आना हमारे युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देगा, क्योंकि अब कोई दक्षिण‑पूर्वी शहर से नहीं, बल्कि हमारे हीरो से शीर्ष भूमिका हासिल कर रहा है। बेशक, राजनीति का असर कभी‑न कभी साथ रहेगा, लेकिन उम्मीद है कि वह खेल के स्वच्छ मूल्यों को बचा पाएँगे। यह भी सच है कि बिचौलियों की राजनीति हमेशा सतही रहती है, पर मिथुन भाई का प्रशासनिक अनुभव एक बड़ा प्लस है। जब उन्होंने विभिन्न IPL फ्रैंचाइज़ी में काम किया, तो उन्होंने टीम मैनेजमेंट की बारीकियों को समझा। अब वह वही समझ बॉलिंग अधिकार और टेनर डिस्ट्रिब्यूशन को सुलझाने में लगा पाएँगे। अंत में, यह बदलाव हमारे क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक नया सवेरा लाएगा, यही मेरी आशा है।