अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लागू करने की घोषणा की, जिससे भारतीय फार्मास्युटिकल स्टॉक्स ने बड़ी देर देखी। Nifty Pharma Index लगभग 3% गिरा, जबकि Sun Pharma, Dr Reddy's, Cipla और Lupin जैसे प्रमुख खिलाड़ी अस्पष्ट नियमों के बीच जोखिम में हैं। टैरिफ से अमेरिकी दवा कीमतों में इजाफा और वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने की संभावना है। कंपनियों को अब जल्दी‑जल्दी यू.एस. में उत्पादन सुविधा बनानी पड़ेगी या भारी दंड भुगतना पड़ेगा।
100% टैरिफ – आयात रोकने का सबसे सख़्त उपाय
जब बात 100% टैरिफ, एक ऐसी कस्टम ड्यूटी है जिसमें आयातित माल की पूरी कीमत पर 100% शुल्क लगता है, जिससे आयात प्रभावी रूप से बंद हो जाता है. Also known as पूर्ण टैरिफ, it is used by governments to protect domestic industries या राजस्व बढ़ाने के लिए। यह नीति "आयात प्रोटेक्शन" की श्रेणी में आती है और अक्सर व्यापारिक बहसों का केंद्र बनती है।
मुख्य घटक और उनके आपसी संबंध
इस टैरीफ़ को समझने के लिए तीन प्रमुख संबंधित इकाइयों को देखना ज़रूरी है: कस्टम ड्यूटी, सरकारी शुल्क जो सीमा पर सामान की कीमत पर लगाया जाता है, विदेशी व्यापार, देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का लेन‑देन और वित्तीय नीति, सरकार की आर्थिक रणनीति जो टैक्स, खर्च और मौद्रिक उपायों को रूप देती है। सरल शब्दों में, 100% टैरिफ कस्टम ड्यूटी को वस्तु कीमत के दोगुने कर देता है, जिससे विदेशी व्यापार की मात्रा घटती है, और यह सभी वित्तीय नीति के लक्ष्य—जैसे असंतुलन को ठीक करना या घरेलू उत्पादन बढ़ाना—को समर्थन देता है।
जब एक सरकार तुरंत आयात को रोकना चाहती है, तो 100% टैरिफ सबसे तेज़ उपाय बन जाता है। उदाहरण के तौर पर, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में हालिया केस में सरकार ने कुछ टीवी मॉडल पर पूरी-टैरिफ लागू की, जिससे स्थानीय निर्माताओं को अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी मिली। इसी तरह, कृषि उत्पादों पर भी कभी‑कभी ऐसी नीति लागू होती है जब विदेशी कीमतें घरेलू कीमतों से बहुत नीचे हों, जिससे किसान को अनावश्यक नुकसान न हो। इन सभी मामलों में टैरीफ़ का प्रभाव दो तरफ़ा होता है: एक ओर आयात घटता है, दूसरी ओर वस्तुओं की कीमतें घरेलू बाजार में बढ़ सकती हैं, जिससे उपभोक्ता को ज्यादा भुगतान करना पड़ता है।
परंतु 100% टैरिफ का दुरुपयोग भी देखा गया है। जब टैरिफ का उद्देश्य सिर्फ राजस्व बढ़ाना होता है, तो यह अक्सर विदेशी निवेश को निरुत्साहित कर देता है और उद्योग में तकनीकी उन्नति को रोकता है। इसलिए कई आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि टैरीफ़ को लागू करने से पहले समग्र आर्थिक प्रभाव विश्लेषण, डेटा‑आधारित अध्ययन जो नीति के दीर्घकालिक परिणामों को मापता है करना चाहिए। यह विश्लेषण दर्शाता है कि किस हद तक टैरिफ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा और किन क्षेत्रों में कीमतें बढ़ने से आम नागरिक को परेशानी होगी।
इन जटिलताओं को समझते हुए, आप नीचे दिए गये लेखों में देख पाएँगे कि कैसे विभिन्न सेक्टरों में 100% टैरिफ लागू हुआ, कौन से लाभ और नुक्सान सामने आए, और भविष्य में ऐसी नीति कब और क्यों फिर से अपनाई जा सकती है। पढ़ते रहें और देखें कि क्या इस टैरीफ़ से आपके उद्योग या रोज़मर्रा की खरीदारी पर असर पड़ेगा।