उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगत सिंह जयंती 2024 के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। भगत सिंह का बलिदान और समर्पण हमेशा देशभक्तों को प्रेरणा देता रहेगा। उनके साहस और देशप्रेम ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
भगत सिंह – जीवन, विचार और आज का असर
क्या आपने कभी सोचा है कि एक युवा कैसे पूरे देश को हिलाकर रख देता है? वही कहानी है भगत सिंह की। 1907 में पंजाब के बागपुर में जन्मे, बचपन से ही उन्होंने भारत की आज़ादी के बारे में सुना और महसूस किया कि अंग्रेज़ों को हटाना ज़रूरी है। घर‑परिवार ने उन्हें सिखाया था कि शिक्षा और मेहनत से ही बदलाव आता है, पर भगत का रास्ता थोड़ा अलग था – वह सीधे कार्रवाई में विश्वास रखता था।
मुख्य कार्य और सोच
भगत ने 1928 में लाहौर के जलिया बाग हत्याकांड की सजा को लेकर अंग्रेज़ों पर बोला, “इंसाफ नहीं हुआ तो हम खुद कर देंगे।” इस बयान से उनके साहस की पहचान बनी। फिर 1929 में उन्होंने ‘नौजवान भारत’ का जुलूस तैयार किया और लंदन के पिटिशरी सेंटर में बम गिराया – लेकिन ज़रूरत से ज्यादा नुकसान न करने की शर्त रखी। उनका लक्ष्य था अंग्रेज़ों को डराना, ना कि लोगों को चोट पहुँचाना। इन कामों ने उन्हें ‘शहीद’ बना दिया, पर साथ ही उनके विचार भी स्पष्ट हुए: स्वाधीनता केवल हथियार नहीं, बल्कि सोच और जागरूकता से आती है।
आज का असर
अब लगभग सात दहाई बाद, भगत सिंह की कहानी स्कूल‑क्लास में पढ़ी जाती है, लेकिन उससे भी ज़्यादा वह युवाओं के दिलों में जीती है। कई कॉलेज कैंपस में उनके नाम पर स्टूडेंट यूनियन बनते हैं और छात्र अक्सर अपने अधिकारों के लिए ‘भगत’ का नारा लगाते हैं। सोशल मीडिया पर उनके छोटे‑छोटे उद्धरण – “इंकलाब जिंदाबाद” या “ऐसे ही मरना, ये नहीं डरना” – शेयर होते रहते हैं। इस तरह उनका संदेश आज भी युवाओं को सक्रिय बनाता है और समाज में बदलाव की चाह को बल देता है।
अगर आप भी अपने आस‑पड़ोस या स्कूल में कुछ बदलना चाहते हैं, तो भगत सिंह के तरीके से सीखें: छोटी‑छोटी बातों पर ध्यान दें, सही कारण के लिए आवाज़ उठाएँ और जब जरूरत हो, तो साहसिक कदम उठाने से नहीं डरें। उनका जीवन एक सरल लेकिन गहरा उदाहरण है कि कैसे व्यक्तिगत जुनून राष्ट्र की बड़ी लहर बन सकता है।
तो अगली बार जब आप किसी सामाजिक मुद्दे पर चर्चा करेंगे या प्रोजेक्ट शुरू करेंगे, तो याद रखिए: भगत सिंह ने सिर्फ बातों से नहीं बल्कि कर्मों से इतिहास लिखा। आपका छोटा कदम भी कभी बड़े बदलाव का हिस्सा बन सकता है।
