GST विभाग ने भारतीय बिजनेस कंसल्टिंग और आईटी कंपनी Infosys पर टैक्स चोरी का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया है। कहा गया है कि विभिन्न लेनदेन पर उचित GST नहीं दिया गया, जिससे सरकार को बड़ी राजस्व हानि हुई है। इस स्थिति ने कंपनी की टैक्स अनुपालन और वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़े किए हैं।
कॉर्पोरेट गवर्नेंस: कंपनी कैसे चलती है और क्यों ज़रूरी है?
जब हम बड़े‑बड़े कंपनियों की बात करते हैं, तो अक्सर “गवर्नेंस” शब्द सुनते हैं। लेकिन असल में इसका मतलब क्या होता है? सरल शब्दों में कहें तो कॉरपोरेट गवर्नेंस वह नियम, प्रक्रिया और संस्कृति है जो कंपनी के बोर्ड, मैनेजमेंट और शेयरधारकों को एक‑दूसरे से जोड़ती है। यह तय करता है कि फैसले कैसे लिये जाते हैं, जोखिम कैसे संभाले जाते हैं और सभी हितधारियों का भरोसा कैसे बनाए रखा जाता है। अगर गवर्नेंस मजबूत हो तो कंपनी में विश्वास बढ़ता है, निवेश आकर्षित होते हैं और दीर्घ‑कालिक सफलता संभव होती है।
कॉरपोरेट गवर्नेंस के मूल सिद्धांत
सबसे पहले ध्यान देना चाहिए कि गवर्नेंस सिर्फ बोर्ड की बैठकों तक सीमित नहीं रहता। इसके चार मुख्य स्तंभ हैं: पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, निष्पक्षता और जवाबदेही। पारदर्शिता का मतलब है सभी वित्तीय और ऑपरेशनल जानकारी को सही‑समय पर शेयरधारकों के साथ साझा करना। उत्तरदायित्व कहता है कि बोर्ड और सीईओ को अपने निर्णयों के परिणामों का सामना करना पड़ेगा। निष्पक्षता यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी एक समूह या व्यक्ति को विशेष लाभ न मिले, जबकि जवाबदेही से सभी स्तरों पर नियम‑कानून पालन होना चाहिए। इन सिद्धांतों को अपनाकर कंपनियां धोखाधड़ी, कॉरपोरेट स्कैंडल और आर्थिक नुकसान से बचती हैं।
भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की ताज़ा खबरें
हाल ही में कई बड़े कदम उठाए गए हैं जो इस क्षेत्र को मजबूत बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, RBI के पूर्व गवर्नर शाक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव‑२ पद पर नियुक्त किया गया—इससे वित्तीय नीतियों और कॉर्पोरेट नियमों की कड़ी निगरानी का संकेत मिलता है। वहीं, OYO ने नई चेक‑इन नीति लागू की जिससे सामाजिक नैतिकता भी गवर्नेंस में शामिल हो रही है। इसके अलावा, कंपनियां अब ESG (पर्यावरण, सामाजिक, शासन) मानकों को अपनाने के लिए दबाव में हैं, क्योंकि निवेशक पारदर्शी रिपोर्टिंग देखना चाहते हैं। ये बदलाव दर्शाते हैं कि भारत की कंपनियों में उत्तरदायित्व और जवाबदेही की भावना बढ़ रही है।
अगर आप शेयरधारक या किसी कंपनी के बोर्ड सदस्य हैं, तो इन बातों को ध्यान में रखें: नियमित रूप से ऑडिट रिपोर्ट पढ़ें, बोर्ड मीटिंग में सवाल पूछें, और यह सुनिश्चित करें कि सभी निर्णय दस्तावेज़ित हों। छोटे‑छोटे कदम—जैसे जोखिम प्रबंधन नीति बनाना या कॉम्प्लायंस टीम का विस्तार—बड़ी सफलता की नींव रख सकते हैं। याद रखें, गवर्नेंस सिर्फ कानून नहीं है, बल्कि कंपनी की संस्कृति भी है; इसे सुधारने से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है और ग्राहक भरोसा जताते हैं।
आखिर में, कॉरपोरेट गवर्नेंस को समझना आसान हो सकता है अगर आप इसे रोज़मर्रा के निर्णयों की तरह देखें: सही जानकारी, स्पष्ट जिम्मेदारी और सबका समान अधिकार। जब ये तीन चीजें साथ मिलती हैं, तो कंपनी सिर्फ टिक नहीं पाती, बल्कि आगे बढ़ती भी है।