मिथुन मांहास को BCCI का नया अध्यक्ष चुना गया, जिससे जम्मू‑कश्मीर को नई उम्मीद मिली; वे दैनिक भत्ते के साथ बोर्ड की प्रमुख चुनौतियों का सामना करेंगे।
राष्ट्रपति – भारत के प्रमुख संवैधानिक आंकड़े
जब हम राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भारत का प्रमुख संवैधानिक अधिकारी है, जो संविधान के अनुच्छेद 52‑78 में वर्णित कर्तव्यों को पूरा करता है. इसे कभी‑कभी संघ के प्रमुख भी कहा जाता है, क्योंकि वह संसद के दोनों सदनों के साथ जुड़ा रहता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच साल का होता है, जिसके बाद दो बार पुनः चयन संभव है। यह पद केवल शून्यकालीन नहीं है; यह नीति‑निर्धारण, अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व और आपातकालीन शक्तियों को संभालता है।
इस शीर्षक के आसपास कई महत्वपूर्ण घटक घूमते हैं। संविधान, भारत के मूल दस्तावेज़ में राष्ट्रपति की शक्तियों, जिम्मेदारियों और चयन प्रक्रिया का विवरण मिलता है इस पद को कानूनी आधार देता है। जब राष्ट्रपति चुनाव होता है, तो यह राष्ट्रपति चुनाव, एक अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है जिसमें निर्वाचित सांसद और राज्यसभा सदस्य गुप्त मतदान करते हैं के रूप में कार्य करता है। चुनावी कॉलेज के 790 सदस्य विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बनते हैं और उनकी वोटिंग का वजन निर्णायक होता है। ये तीनों तत्व – राष्ट्रपति, संविधान और चुनाव – आपस में जुड़कर लोकतांत्रिक परिपालन को सुनिश्चित करते हैं, और साथ ही कार्यकाल के दौरान कार्यवाही में पारदर्शिता लाते हैं। नीचे आप देखेंगे विभिन्न लेख जो इन पहलुओं को विस्तार से समझाते हैं, जैसे राष्ट्रपति पद की नई नियुक्तियां, कार्यकाल की प्रमुख नीति‑निर्णय और चुनावी बदलाव। यह संग्रह आपको मूल सिद्धांतों से लेकर वर्तमान घटनाओं तक की व्यापक तस्वीर देता है, जिससे आप भारत की ऊँची लोकतांत्रिक परम्परा को बेहतर समझ पाते हैं।