मोहान चरण माझी, केन्जरर निर्वाचन क्षेत्र से चार बार के भाजपा विधायक, ओड़िशा के मुख्यमंत्री के रूप में शाम 5 बजे जनता मैदान में शपथ लेंगे। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे, जो चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद भुवनेश्वर पहुंचेगे।
शपथ ग्रहण: ताज़ा खबरें और आसान समझ
हर बार जब नई सरकार या नेता पद संभालता है तो शपथ ग्रहण का क्षण बड़े उत्साह से देखे जाता है. यह सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनता को भरोसा दिलाने वाला महत्वपूर्ण इवेंट होता है. यहाँ हम इस विषय पर सरल शब्दों में बात करेंगे ताकि आप बिना कठिनाई के समझ सकें कि शपथ ग्रहण क्यों इतना खास है.
शपथ ग्रहण क्या है?
शपथ ग्रहण का मतलब है किसी पद पर बैठने से पहले आध्यात्मिक या कानूनी प्रतिबद्धता लेना. आमतौर पर भारत में राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, मंत्री और कई सार्वजनिक अधिकारी इस शपथ को संविधान के अनुच्छेद 75‑78 के तहत लेते हैं. इसमें यह वादा किया जाता है कि वह अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाएंगे, कानून का पालन करेंगे और जनता की सेवा करेंगे.
हाल के शपथ ग्रहण की झलक
पिछले महीने दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार ने 20 जुलाई को अपना शपथ समारोह आयोजित किया. मुख्यमंत्री ने संसद में संविधान के अनुच्छेद 164 का हवाला देते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. उसी दिन कई केंद्रीय मंत्री भी नई पोर्टल पर लाइव ट्रांसमिशन कर रहे थे, जिससे लोगों को सीधे जुड़ाव महसूस हुआ.
कई राज्य में शपथ ग्रहण के साथ ही नीति घोषणाएँ भी हुईं – जैसे कि हरियाणा में किसान राहत पैकेज और उत्तर प्रदेश में जल संरक्षण योजना. ये घोषणा अक्सर शपथ की गंभीरता को दिखाती हैं, क्योंकि नया वादा अब कार्यात्मक रूप ले लेना चाहिए.
शपथ ग्रहण के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया भी तेज़ी से आती है. कुछ लोग नई नीति का स्वागत करते हैं, तो कुछ विरोधी दलों से सवाल उठते हैं. इस तरह का संवाद लोकतंत्र को मजबूत बनाता है और सरकार को जवाबदेह रखता है.
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