अमेरिका ने ईरान के तेल एवं गैस क्षेत्र पर प्रतिबंधों का विस्तार किया है जो इजराइल पर मिसाइल हमले के प्रतिशोध में किया गया है। ये नए प्रतिबंध 17 जहाजों और 10 संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं जो ईरानी तेल का परिवहन कर रहे हैं, जिसमें चीन के रिफाइनरीज़ तक का शिपमेंट भी शामिल है। अमेरिकी प्रशासन का उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि ईरान अपने तेल से अर्जित पैसों का उपयोग मिसाइल विकास और परमाणु कार्यक्रमों में न कर सके।
तेल टैंकर: कैसे चलते हैं बड़े तेल के जहाज़?
अगर आप समुद्र पर बड़े धातु के बक्से देखते हैं तो वो अक्सर तील टैंकर होते हैं। इनका काम कच्चा तेल, डीज़ल या पेट्रोकेमिकल्स को एक बंदरगाह से दूसरे तक ले जाना है। आकार में ये 300 मीटर तक हो सकते हैं और क्षमता कुछ सौ हजार बारल तक रखती है। अधिकांश टैंकर दो‑तीन वर्गों में बाँटे जाते हैं – कच्चे तेल के लिए, रिफ़ाइन्ड पेट्रोलियम उत्पादों के लिए और गैस की बोतलों के लिए अलग टैंक होते हैं।
मुख्य घटक और संचालन प्रक्रिया
टैंकर का मुख्य भाग टैंक सिस्टम है जिसमें कई विभाजित सेक्शन होते हैं, जिससे लीक या मिलावट रोकी जा सके। हर टैंक में पंप, वाल्व और सेंसर लगे होते हैं जो भराई, खाली करने और दबाव को नियंत्रित करते हैं। जहाज़ को चलाने वाली टीम आमतौर पर कप्तान, इंजीनियर और सुरक्षा अधिकारी से बनी होती है, जो मौसम, लोड डिस्ट्रिब्यूशन और अंतरराष्ट्रीय नियमों का ध्यान रखती है।
सुरक्षा उपाय और नियमन
तेल टैंकर को चलाने में सबसे बड़ी चिंता आग या रिसाव की होती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने MARPOL Annex I जैसे नियम बनाये हैं, जो तेल के लीक को रोकने के लिए दोहरी दीवार वाले टैंकों और स्वचालित बंद करने वाली प्रणालियों का आदेश देते हैं। साथ ही जहाज़ पर फायर‑फाइटिंग उपकरण, एंटी‑फ़्रेट सिस्टम और एक्सटर्नल बॉलस्टर होते हैं ताकि आपातकाल में जल्दी से प्रतिक्रिया दे सकें।
भारत में ये नियम भारतीय समुद्री बोर्ड (DG Shipping) द्वारा लागू किए जाते हैं। हर टैंकर को सालाना इंस्पेक्शन, क्लास सर्विस सर्टिफिकेशन और क्लीयरेंस पास की जरूरत होती है। अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो जहाज़ को बंद कर दिया जाता है या फाइन लगाई जाती है।
हाल के वर्षों में कई बड़े टैंकर दुर्घटनाओं ने सुरक्षा को और कड़ा किया है। 2023 में अरब सागर में एक तील टैंकर पर हाइड्रोकार्बन लीक हुआ, जिससे समुद्री जीवों को बड़ा नुकसान पहुँचा। इसके बाद इंटरनेशनल एवरीजेस्ट फाइनेंशियल सर्विसेज (IEFS) ने सभी बड़े टैंकों के लिए रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया।
अगर आप तेल उद्योग में काम करते हैं या समुद्री व्यापार में रुचि रखते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि तील टैंकर की संचालन लागत, डिलीवरी टाइम और पर्यावरण नियम कैसे प्रभावित होते हैं। अक्सर माल के मूल्य में छोटे‑छोटे बदलाव भी शिपिंग रूट को बदल सकते हैं – जैसे मौसम से बचने के लिए दक्षिणी मार्ग या पैनामिक कैनाल का उपयोग।
सारांश में, तील टैंकर बड़े आर्थिक धागे की तरह विश्व भर में ऊर्जा लाते हैं। सही रख‑रखाव, कड़ाई से पालन किए गए नियम और आधुनिक तकनीक के बिना यह काम नहीं चल सकता। अगर आप इस उद्योग को समझना चाहते हैं तो ऊपर बताये घटकों, सुरक्षा उपायों और नवीनतम समाचारों पर ध्यान दें – इससे आपका ज्ञान भी बढ़ेगा और संभावित जोखिमों से बचने में मदद मिलेगी।