अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर भूकंप: दिल्ली-एनसीआर, कश्मीर और पाकिस्तान तक पहुंचे झटके

अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर भूकंप: दिल्ली-एनसीआर, कश्मीर और पाकिस्तान तक पहुंचे झटके

अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर भूकंप: दिल्ली-एनसीआर, कश्मीर और पाकिस्तान तक पहुंचे झटके 20 अप्रैल

भूकंप के तेज झटकों से उत्तर भारत और पाकिस्तान में दहशत

अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर आए 5.8 तीव्रता के भूकंप ने 19 अप्रैल 2025 को पूरे उत्तर भारत और पाकिस्तान को हिला कर रख दिया। भारतीय समयानुसार दोपहर 12:17 बजे महसूस किए गए इन झटकों का केंद्र हिंदूकुश की पहाड़ियों के उस हिस्से में रहा, जो भूकंपीय गतिविधि के लिए जाना जाता है। राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) ने इसका केंद्र 36.10°N और 71.20°E के बीच बताया। इसके साथ ही भूकंप की गहराई को लेकर भी दो अलग-अलग रिपोर्ट सामने आईं—NCS के मुताबिक 130 किलोमीटर और कुछ अन्य एजेंसियों ने 86 किलोमीटर। ठोस बात ये है कि भूकंप का असर दूर—दिल्ली-एनसीआर, कश्मीर से लेकर पाकिस्तान के इस्लामाबाद और लाहौर तक दिखा।

भूकंप के झटके शुरू होते ही लोगों की सांसें थम गईं। दिल्ली और आसपास के इलाकों, नोएडा से गुरुग्राम तक, लोगों को हल्की झुंझलाहट के साथ कंपन महसूस हुआ। दफ्तरों में बैठे लोग तुरंत बाहर निकल आए। जम्मू-कश्मीर में तो लोगों ने फौरन इमारतें खाली कर दीं और कुछ सेकेंड तक हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल दिखा। सोशल मीडिया पर एेसे वीडियो सामने आए, जिनमें लोग हड़बड़ी में सीढ़ियों से नीचे भागते नजर आए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि न तो भारत और न ही अफगानिस्तान में किसी के घायल या हताहत होने या बड़ी तबाही की खबर मिली। सरकारी एजेंसियां और राहत दल लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं।

पाकिस्तान में भी भूकंप की दहशत, लगातार बढ़ रहे खतरे

दिलचस्प बात ये रही कि इसी दिन कुछ समय पहले यानी सुबह 11:47 बजे सीमा के दूसरी ओर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा समेत कई इलाकों में 5.9 तीव्रता का एक और भूकंप आया। लगातार दो बड़े झटकों ने वहां दहशत फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लाहौर, इस्लामाबाद, पेशावर जैसे शहरों में भी लोग घर छोड़कर बाहर निकल आए। राहत एजेंसियों ने अभी तक जान-माल के नुकसान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस घटनाक्रम ने इलाके की भूकंपीय सक्रियता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान में एक हफ्ते पहले भी 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे ये साफ है कि हिंदूकुश का इलाका भूकंपीय दृष्टि से काफी संवेदनशील बना हुआ है।

हर बार जब ऐसा भूकंप आता है, तब स्थानीय प्रशासन की तैयारियों और लोगों में जागरूकता की असल परीक्षा होती है। अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल आम है, पिछले कई सालों में बार-बार भूकंप दर्ज हुए हैं। लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए समय पर अलर्ट जारी करना, इमारतों की मजबूती और तैयारी, हर देश और इलाके के लिए चुनौती बना हुआ है।

ये झटके भले ही सीमावर्ती इलाके में आए हों, लेकिन असर ने भारत में दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर के बड़े हिस्से, साथ ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान को भी हिलाकर रख दिया। हर बार इंसानी जान-माल बचने से राहत जरूर मिलती है, लेकिन खतरा टला नहीं है। इलाके में भूकंप और ताजा डेटा को नजरंदाज करना अब खतरे से खेलने जैसा है।



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