भारतीय पैरालिम्पियन अवनी लेखरा ने जीता गोल्ड, मोना अग्रवाल को ब्रॉन्ज 10 मीटर एयर राइफल शॉट में पेरिस पैरालिम्पिक्स में

भारतीय पैरालिम्पियन अवनी लेखरा ने जीता गोल्ड, मोना अग्रवाल को ब्रॉन्ज 10 मीटर एयर राइफल शॉट में पेरिस पैरालिम्पिक्स में

भारतीय पैरालिम्पियन अवनी लेखरा ने जीता गोल्ड, मोना अग्रवाल को ब्रॉन्ज 10 मीटर एयर राइफल शॉट में पेरिस पैरालिम्पिक्स में 30 अग॰

भारतीय निशानेबाज अवनी लेखरा की ऐतिहासिक जीत और मोना अग्रवाल का कांस्य पदक

भारतीय पैरालिम्पियन निशानेबाज अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालिम्पिक्स में एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 वर्ग में, उन्होंने 249.7 अंकों के साथ नया गेम्स रिकॉर्ड बनाते हुए लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता। इस सफलता ने उन्हें पैरालिम्पिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बना दिया। इस जीत से पहले, उन्होंने टोक्यो पैरालिम्पिक्स में 249.6 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता था। इस बार उन्होंने अपने स्वयं के रिकॉर्ड को तोड़ा। अवनी की साथी, मोना अग्रवाल ने 228.7 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता, जो पेरिस पैरालिम्पिक्स में उनका पदार्पण था।

ली युनरी ने जीता रजत पदक

दक्षिण कोरिया की ली युनरी ने 246.8 अंकों के साथ रजत पदक जीता। उन्होंने अंतिम शॉट में 6.8 अंक प्राप्त किए, और स्वर्ण पदक जीतने से चूक गईं। क्वालीफिकेशन राउंड में अवनी ने 625.8 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया था, जबकि मोना ने 623.1 अंकों के साथ पांचवां स्थान प्राप्त किया। यूक्रेन की इरीना शत्त्निक ने क्वालीफिकेशन राउंड में 627.5 अंकों के साथ नया पैरालिम्पिक योग्यता रिकॉर्ड स्थापित किया।

SH1 वर्ग में सुविधाएं और खेल की कठिनाई

SH1 वर्ग उन निशानेबाजों के लिए है, जिनके निचले अंगों में दोष होता है। इस वर्ग के खिलाड़ी स्वतंत्र रूप से अपनी राइफल पकड़ सकते हैं और खड़े या बैठने की स्थिति से शूट कर सकते हैं। अवनी ने पहले भी टोक्यो 2020 में 10 मीटर एयर राइफल SH1 और 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन SH1 में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता था। उनकी इन उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्म श्री और खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

पेरिस पैरालिम्पिक्स में भारत की सशक्त शुरुआत

पेरिस पैरालिम्पिक्स में भारत की सशक्त शुरुआत

अवनी और मोना की इस युगल पदक जीत ने पेरिस 2024 पैरालिम्पिक खेलों में भारत के पदक यात्रा की शुरुआत की है। इस बार का भारतीय दल अब तक का सबसे बड़ा है, जिसमें 84 एथलीट 12 खेलों में भाग ले रहे हैं। यह मजबूत शुरुआत भारतीय दल के उत्साह और समर्पण को दर्शाता है। पूरा देश इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है और भविष्य में और सफलताओं की उम्मीद कर रहा है।

ऐतिहासिक कहानी की झलक

अवनी लेखरा का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है। एक दुर्घटना में अपने निचले अंगों को खोने के बाद भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी इच्छाशक्ति से अपने सपनों को पूरा करने की ठान ली। 2012 में, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और समय के साथ इंटरनेशनल स्तर पर अपनी पहचान बनाई। न केवल गहन प्रशिक्षण, बल्कि मानसिक तैयारी ने भी उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मोना अग्रवाल, जिन्होंने अपने पैरालिम्पिक करियर की शुरुआत पेरिस में की, ने भी अपनी मेहनत और लगन से कांस्य पदक हासिल किया। उनकी इस सफलता ने उन्हें एक नई प्रेरणा और उर्जा दी है।

भारतीय पैरालिम्पिक्स दल का भविष्य

भारतीय पैरालिम्पिक्स दल का भविष्य

पेरिस पैरालिम्पिक्स में भारतीय दल की यह शानदार शुरुआत भविष्य की संभावनाओं के लिए बहुत उत्साहजनक है। निशानेबाजी के क्षेत्र में भारत की यह सफलता दूसरे खेलों में भी प्रदर्शन के लिए एक मिसाल कायम कर रही है। भारतीय एथलीट्स का प्रदर्शन हर गुजरते दिन के साथ निखरता जा रहा है, और आने वाले समय में हमें और भी कई स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक की उम्मीद जगती है। अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की यह सफलता युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

ध्यान और मेहनत की कहानी

अवनी और मोना, दोनों ही एक मिसाल हैं कि कैसे उचित ध्यान, कठोर परिश्रम और मजबूत इच्छाशक्ति से कुछ भी असंभव नहीं होता। अवनी ने अपनी मानसिक और शारीरिक चुनौतियों को पार करते हुए जिस तरह से अपनी सफलता का सफर तय किया है, वह वाकई प्रेरणादायक है। मोना भी अपने संघर्षों और कठिनाइयों के बावजूद अपने पहले पैरालिम्पिक में पदक हासिल करने में सफल रही हैं।

यह केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि पूरी भारतीय टीम की सामूहिक मेहनत और लगन का परिणाम है। उनके कोच, परिवार और साथी खिलाड़ियों का सहयोग भी इस सफलता के पीछे अहम भूमिका निभाता है।

अन्य एथलीट्स के लिए प्रेरणा

अन्य एथलीट्स के लिए प्रेरणा

अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की उपलब्धियों ने न केवल निशानेबाजी के क्षेत्र में बल्कि अन्य खेलों में भी एक नई ऊर्जा और उम्मीद का संचार किया है। भारतीय एथलीट्स के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण है और ये उपलब्धियां उन्हें और भी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेंगी।

इस प्रेरणा के बल पर भारतीय एथलीट्स आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में और भी दमखम के साथ अपने प्रदर्शन को दिखाएंगे। उन्हें देखकर अन्य युवा भी खेलों में अपनी सफलता की उड़ान भर सकेंगे।

सपनों की उड़ान

अवनी और मोना दोनों ने यह साबित कर दिखाया है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। सही दिशा में प्रयास और अटूट समर्पण से सब कुछ संभव है। पेरिस पैरालिम्पिक्स में उनके प्रदर्शन ने एक बार फिर से यह संदेश दिया है कि भारतीय खेल का भविष्य उज्ज्वल है और हम आने वाले सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।

इस सफर के साथ, भारतीय खेल जगत को एक नई पहचान मिली है और हमें अपने सभी खिलाड़ियों पर गर्व है।



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