दिल्ली की हवा में बढ़ता प्रदूषण और दीवाली का प्रभाव
दिल्ली में दीवाली के अवसर पर प्रदूषण का स्तर एक बार फिर उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। चौबीस घंटे के औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है, जो 4 बजे 328 पर पहुँच गया है। यह पूर्व दिन बुधवार की AQI 307 से बढ़कर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बता रहे हैं कि राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में प्रदूषण की स्थिति 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुँच चुकी है।
प्रशासन के स्तर पर उपाय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 377 टीमों का गठन किया है जो पटाखों के उपयोग पर रोकथाम के लिए प्रतिबंध लगा रही हैं। यह टीमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों, मार्केट एसोसिएशनों, और सामाजिक संगठनों के साथ संपर्क में हैं ताकि लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। पुलिस टीमों को भी पटाखों के उपयोग को रोकने के लिए तैनात किया गया है।
हालांकि पटाखों पर प्रतिबंध लागू है, फिर भी यह आशंका बनी हुई है कि लोग दिवाली के उत्साह में पटाखों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पटाखों की वजह से AQI 'गंभीर' श्रेणी में पहुँच सकता है। दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ समय से गंभीर चिंता का विषय बन गया है और इसकी वजह से जनता का जीवन असहज हो गया है।
प्रदूषण के स्रोत और चुनौतियाँ
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की कई वजहें हैं। यहां वाहनों से निकलने वाला धुआं, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां प्रमुख कारण हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति स्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन समस्या आबाद है।
समिति के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच चरम पर पहुँचता है। इस दौरान विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। विगत वर्षों में के मुकाबले इस साल दीवाली पर दिल्ली में AQI 328 तक पहुँच चुका है। 2023 में यह 218 था, 2022 में 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337 पर था। इसके अलावा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और नोएडा की हवा 'खराब' श्रेणी में आंकी गई है, जबकि फरीदाबाद में AQI 'मध्यम' यानी 181 पर थी।
![जनता की भूमिका और जिम्मेदारी](/uploads/2024/11/janata-ki-bhumika-aura-jim-medari-dilli-ki-hava-mem-pradusana-ka-barhata-asara-divali-para-gambhira-sreni-mem-pahumcane-ka-khatara.webp)
जनता की भूमिका और जिम्मेदारी
सबसे अहम भूमिका जनता की है। जब तक लोग खुद से जिम्मेदारी नहीं निभाते, तब तक यह मुश्किल बनी रहेगी। हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि पटाखों का उपयोग न करने से हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित कर सकते हैं। बाजार और सामूहीक आयोजनों पर भी ध्वनि और धुएं से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को कम करने के प्रयास होने चाहिए।
सामूहिक प्रयासों की आवश्यक्ता
सरकार और जनता के सामूहिक प्रयास से ही इस समस्या का समाधान संभव है। यह आवश्यक है कि हम मिलकर उन स्रोतों को नियंत्रित करें, जो इस संकट को और बढ़ा रहे हैं। दीवाली के इस अवसर पर हमें सोच-समझकर काम करना होगा ताकि हम आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर वातावरण छोड़ सकें।
अंततः, दिल्ली की हवा को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना सामूहिक जिम्मेदारी है। हर एक व्यक्ति के छोटे-छोटे प्रयास इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। होंसला और जैविक सामग्री का उपयोग, नए और पर्यावरण अनुकूल तरीकों को अपनाकर हमें पटाखों पर निर्भरता कम करनी होगी।