IFS अधिकारी पेताल गहलोत ने यूएन में शहीब शरिफ को दिया तीखा जवाब

IFS अधिकारी पेताल गहलोत ने यूएन में शहीब शरिफ को दिया तीखा जवाब

IFS अधिकारी पेताल गहलोत ने यूएन में शहीब शरिफ को दिया तीखा जवाब 28 सित॰

जब Petal Gahlot, First Secretary of India Permanent Mission to the UN ने 27 सितंबर 2025 को United Nations General Assembly में अपना बयान दिया, तो कमरे में सिहरन सी फैल गई। उसी मंच पर Shehbaz Sharif, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, ने भारत के खिलाफ कई आरोप लगाए थे, पर गहलोत ने उन सबको ‘बकवास नाट्य’ कहकर खारिज कर दिया। इस टकराव ने न केवल विश्व मीडिया का ध्यान खींचा, बल्कि सामाजिक मंचों पर भी वायरल हो कर 12 मिलियन से अधिक दर्शकों तक पहुँच गया।

पृष्ठभूमि: भारत‑पाकिस्तान के संबंधों की निरंतर जटिलता

काफी समय से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का स्तर ऊँचा रहा है। 2024 में भारत ने कश्मीर में नई सुरक्षा नीतियों को अपनाया, जबकि पाकिस्तान ने उसी को ‘अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन’ कहा। इस बीच, दोनों देशों ने अक्सर यूएन मंच पर एक‑दूसरे से बगाव किया, लेकिन 2025 की इस घटना ने इस प्रतिद्वंद्विता को नई तीव्रता दी।

संयुक्त राष्ट्र में तीखी टकराव

सत्र के दौरान, शहीब शरिफ ने लगभग 190 देशों के प्रतिनिधियों के सामने ‘पाकिस्तान के उग्रवादी समूहों की भारत में सहायता’ का आरोप लगाया। गहलोत ने तुरंत माइक्रोफ़ोन उठाया और कहा, “पाकिस्तान के बयान नाटकीय और बुनियादी तथ्यों से वंचित हैं। हम स्पष्ट रूप से कहेंगे—terrorism के समर्थन में पाकिस्तान का कोई आधिकारिक नीति नहीं है।” उनके शब्दों ने assembly में हलचल मचा दी।

जैसे‑जैसे वह बोलती रही, शरिफ की चेहरा पर नज़रें ‘छुपाने’ की कोशिश स्पष्ट दिखी, जिससे कई दर्शकों को लगा कि वह खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। यह दृश्य इतना तीखा था कि यूरोप के प्रमुख समाचार चैनलों ने इसे ‘UN का सबसे बड़ा डिप्लोमैटिक टकराव 2025’ शीर्षक से प्रस्तुत किया।

गहलोत के बयान के प्रमुख बिंदु

  • पाकिस्तान द्वारा समर्थित किसी भी आतंकवादी समूह का उपयोग भारत में नहीं किया गया है।
  • भारत ने 2023‑2024 में सीमा सुरक्षा में 15% अतिरिक्त बजट आवंटित किया, जिससे आतंकवादियों के लिये प्रवेश बिंदु कम हुए।
  • UN के ‘Counter‑Terrorism Committee’ के पिछले वर्ष के रिपोर्ट में भारत को ‘अत्यंत सहयोगी’ कहा गया था।
  • पाकिस्तान के अभियोक्तिक बयान को गहलोत ने ‘absurd theatrics’ कहा, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का कोई प्रमाण नहीं देता।

इन बिंदुओं को स्पष्ट करने के बाद, गहलोत ने अपने भाषण को एक नज़रिए से समाप्त किया: “शांति की राह में हम सभी को सच्चाई के साथ चलना होगा, न कि अग्नि‑भरी कहानियों से।”

प्रतिक्रियाएँ: भारत, पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय

प्रतिक्रियाएँ: भारत, पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Ravi Sharma ने कहा, “गहलोत की प्रतिक्रिया न केवल सही थी, बल्कि भारत के विदेशी नीति के सिद्धांतों को भी दर्शाती है—स्पष्टता, दृढ़ता और दायित्व।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि भारत किसी भी प्रकार के आतंकवादी समर्थन को बर्दाश्त नहीं करेगा।

पाकिस्तान की ओर से, प्रधानमंत्री शहीब शरिफ के संकेतक का बयान आया, जिसमें कहा गया कि “हमें अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे सच्चे विचारों को रखे जाने का अधिकार है।” हालांकि, कई पाकिस्तानी पराजित दूतावासों ने यह नोट किया कि गहलोत की चुनौती ने उनके ‘राष्ट्रवादी तर्क’ को कमजोर कर दिया।

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख प्रतिनिधि, António Guterres, ने भी घोषणा की कि “UN का मंच सभी देशों की आवाज़ को बराबर सुनना चाहिए, लेकिन तथ्य‑आधारित संवाद ही स्थायी समाधान की दिशा में ले जाता है।”

कट्टर दक्षिण एशियाई सुरक्षा विशेषज्ञ Dr. Ananya Singh ने विश्लेषण किया, “गहलोत की शैली—सही डेटा के साथ तीखा वाक्य—भविष्य में भारत की डिप्लोमेसी की टोन को बदल देगा। यह दूसरों को भी ‘साझा सचाई’ का सामना करने के लिये प्रेरित कर सकता है।”

भविष्य की दिशा और संभावित प्रभाव

इस बातचीत के बाद, अफवाहें हैं कि भारत अपने ‘Strategic Narrative’ को और सुदृढ़ करने की योजना बना रहा है, जिसमें डिप्लोमैटिक वार्ता के साथ-साथ शास्त्रीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियों (जैसे गहलोत का गायक‑बाह्य हुनर) को भी शामिल किया जाएगा। यदि ऐसा होता है, तो भारत‑पाकिस्तान के बीच मतभेदों को हल करने में नई संवाद रणनीति काम कर सकती है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान को अब प्रतिशोधी कदम उठाने के लिये अंतरराष्ट्रीय कानूनी मंचों का सहारा लेना पड़ सकता है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में दलीलें पेश करना। यह देखना रोचक होगा कि क्या इस माहौल में दोनों देशों के बीच कोई ‘डिप्लोमैटिक समझौता’ निकलेगा या फिर टकराव और तीखा होगा।

मुख्य तथ्य

  • तारीख: 27 सितंबर 2025
  • स्थान: United Nations General Assembly, न्यू यॉर्क
  • मुख्य पात्र: Petal Gahlot, Shehbaz Sharif, Ravi Sharma, António Guterres
  • वीडियो व्यू: 12 मिलियन + (सोशल मीडिया)
  • परिणाम: भारत‑पाकिस्तान के बीच कूटनीति में नई दृढ़ रुख
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

यह घटना भारत‑पाकिस्तान संबंधों को कैसे बदल सकती है?

गहलोत का दृढ़ बयान दोनों देशों के बीच संवाद को अधिक तथ्य‑आधारित बना सकता है। यदि भारत इस टोन को जारी रखे, तो भविष्य में वार्तालापों में छिपे हुए आरोपों की जगह ठोस साक्ष्य पर चर्चा होगी, जिससे तनाव घटने की संभावना बढ़ेगी।

UN में इस टकराव का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने इस घटना को ‘डिप्लोमैटिक पारदर्शिता’ का उदाहरण बताया। कई पश्चिमी मीडिया ने कहा कि इस तरह की तीखी प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थिरता और जिम्मेदारी की मांग को दर्शाती है, जिससे भविष्य में अंधविश्वासी आरोपों पर कम सहनशीलता दिखेगी।

क्या इस वार्ता में भारत के अन्य राजनयिकों की भूमिका होगी?

हाँ, भारत ने पहले ही संकेत दिया है कि उसके अन्य प्रतिनिधि, जैसे विदेश मंत्री S. Jaishankar, भी भविष्य के सत्रों में समान रुख अपनाएंगे। इससे भारतीय कूटनीति का एक सामूहिक, सुसंगत संदेश सामने आने की संभावना है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहीब शरिफ को इस वक्तव्य का क्या असर पड़ा?

शरिफ ने अपने बाद के बयान में कहा कि उनका ‘संदेश बदल नहीं सकता’, लेकिन उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि गहलोत की प्रतिक्रिया ने कई देशों की राय को ‘पुनर्परिभाषित’ किया। यह संकेत देता है कि पाकिस्तान को अब अधिक बारीकी से तथ्यों का समर्थन करना पड़ेगा।

भविष्य में इस तरह के टकराव को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों को एक ‘साझा डिप्लोमैटिक मंच’ स्थापित करना चाहिए, जहाँ तथ्य‑आधारित रिपोर्टों को पहले चर्चा की जाए। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के ‘Counter‑Terrorism’ कार्यसमिति को अधिक सशक्त बनाकर दोनों पक्षों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है।



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