पेरिस ओलंपिक से पहले नीरज चोपड़ा ने पावो नुरमी गेम्स 2024 में किया धमाल

पेरिस ओलंपिक से पहले नीरज चोपड़ा ने पावो नुरमी गेम्स 2024 में किया धमाल

पेरिस ओलंपिक से पहले नीरज चोपड़ा ने पावो नुरमी गेम्स 2024 में किया धमाल 19 जून

भारतीय जेवलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर खुद को दुनिया के सामने साबित कर दिया है। पावो नुरमी गेम्स 2024 में नीरज ने 85.97 मीटर की जबरदस्त थ्रो करके न केवल पहला स्थान हासिल किया बल्कि पेरिस ओलंपिक के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे हैं। यह इवेंट 18 जून 2024 को फिनलैंड के तुर्कु शहर में आयोजित किया गया था।

नीरज चोपड़ा ने इस प्रतियोगिता में अपने पुराने प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने 2022 में 88.36 मीटर की थ्रो की थी, जिसे अब उन्होंने पार कर लिया है। इस विश्वस्तरीय आयोजन में उनकी इस थ्रो ने उन्हें और भी ज़्यादा प्रभावशाली और आत्मविश्वासी बना दिया है।

पावो नुरमी गेम्स, ओलंपिक के लिए एक महत्वपूर्ण इवेंट माना जाता है, जहां दुनिया भर के शीर्ष एथलीट्स अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। नीरज की इस प्रभावशाली जीत ने सभी प्रतियोगियों के लिए एक सशक्त संदेश भेजा है कि वह पेरिस ओलंपिक में एक मजबूत दावेदार हैं। नीरज ने इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

2023 में उन्होंने 83.96 मीटर की थ्रो की थी, जबकि एक अन्य प्रतियोगिता में उन्होंने 84.19 मीटर की थ्रो के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उनकी यह स्थिरता और मुश्किल परिस्थितियों में प्रदर्शन करने की क्षमता उन्हें एक मजबूत प्रतियोगी बनाती है।

नीरज चोपड़ा की यात्रा

नीरज चोपड़ा का करियर बहुत ही प्रेरणादायक रहा है। हरियाणा के एक छोटे से गांव से उठकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उनकी गोल्डन थ्रो ने उन्हें एक राष्ट्रीय हीरो बना दिया है। 2021 टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज का आत्मविश्वास और भी बढ़ गया है।

उन्होंने अपने कोच और सह-खिलाड़ियों के साथ मिलकर लगातार मेहनत की है, जिसका परिणाम अब हमें पावो नुरमी गेम्स जैसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में देखने को मिल रहा है। उनके कोच का कहना है कि नीरज की सबसे बड़ी शक्ति उनकी मानसिक स्थिरता है, जो उन्हें दबाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने में मदद करती है।

क्या कहता है यह प्रदर्शन?

नीरज का यह प्रदर्शन सिर्फ पैसों और पदक की होड़ नहीं है, बल्कि यह एक सामर्थ्य है जो एक युवा खिलाड़ी के सपनों को साकार करने की क्षमता दिखाता है। वह अब पेरिस ओलंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उनसे बहुत बड़ी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।

उनकी इस सफलता का प्रमुख कारण उनकी कड़ी मेहनत, कोचिंग और सही दिशा में प्रयास है। नीरज का यह प्रदर्शन साबित करता है कि जब दृढ़ संकल्प और समर्पण एक साथ मिल जाते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

अपने प्रदर्शन और जीत के बाद नीरज ने अपने सभी समर्थकों और भारतीय प्रशंसकों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “मैं इस कामयाबी का श्रेय अपने कोच, परिवार और उन सभी लोगों को देना चाहता हूं जिन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया।”

पेरिस ओलंपिक की तैयारी

पेरिस ओलंपिक की तैयारी

अब जब नीरज पावो नुरमी गेम्स में अपनी धाक जमाकर लौटे हैं, तो वह पेरिस ओलंपिक की तैयारी में जुट गए हैं। उनका कहना है कि वे इस जीत से काफी प्रेरित हैं और ओलंपिक में भी वही प्रदर्शन दोहराना चाहते हैं।

नीरज की यह भावना और आत्मविश्वास न केवल उन्हें बल्कि उनके सभी समर्थकों को भी प्रेरित कर रही है। उनका यही आत्मविश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

भारत के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा की इस शानदार जीत के साथ उम्मीदें और बढ़ गई हैं। सभी की निगाहें अब नीरज के प्रदर्शन पर टिकी हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आगे क्या कमाल करते हैं।



टिप्पणि (8)

  • Sweety Spicy
    Sweety Spicy

    85.97 मीटर? अरे भाई, ये तो बस एक अच्छा थ्रो है, न कि कोई ऐतिहासिक उपलब्धि। नीरज को बहुत ज्यादा उठाया जा रहा है। जब तक वो ओलंपिक में गोल्ड नहीं लाते, तब तक ये सब बस एक बड़ा हुआ बुलबुला है। और हाँ, पावो नुरमी गेम्स को ओलंपिक का ट्रेनिंग ग्राउंड कहना भी बहुत बड़ा अहंकार है।

  • Maj Pedersen
    Maj Pedersen

    नीरज चोपड़ा के इस प्रदर्शन को देखकर मन में गर्व होता है। एक छोटे से गाँव से निकलकर वो दुनिया के सामने भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। उनकी मेहनत, अनुशासन और दृढ़ता हर युवा के लिए प्रेरणा है। भारत को ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत है, जो न सिर्फ जीतते हैं, बल्कि जीत के बाद भी विनम्र रहते हैं।

  • Ratanbir Kalra
    Ratanbir Kalra

    85.97 मीटर ठीक है लेकिन जब तक नीरज का थ्रो नहीं टूटता तब तक ये सब बस एक नंबर है जिसे लोग चिपकाते हैं और भावुक हो जाते हैं ये देश है जहाँ हर छोटी जीत को इतिहास बना दिया जाता है और हर बड़ी जीत को भगवान की कृपा कह दिया जाता है

  • Seemana Borkotoky
    Seemana Borkotoky

    मैंने तुर्कु में जब नीरज का थ्रो देखा तो मेरी आँखों में आँसू आ गए। ये सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, ये एक संस्कृति का प्रतीक है। एक गाँव का लड़का जो अपने लक्ष्य के लिए दुनिया के सामने खड़ा हो गया। हर भारतीय को इसकी याद दिलाने की जरूरत है कि हम क्या कर सकते हैं।

  • Sarvasv Arora
    Sarvasv Arora

    ये सब नीरज की जीत की बात कर रहे हो लेकिन असल में ये एक अमेरिकी बैंक की तरह एक बड़ा नाम बनाने की कोशिश है। लोग तो जब तक कोई चीज़ बड़ी नहीं बना देते तब तक उसे नहीं देखते। जब तक ये गोल्ड मेडल नहीं लाते, तब तक ये सब बस एक बड़ा बाज़ारी शो है।

  • Jasdeep Singh
    Jasdeep Singh

    अरे भाई, ये सब बहुत बड़ी बात नहीं है। जब तक नीरज ने ओलंपिक में गोल्ड नहीं जीत लिया, तब तक ये सब बस एक गैर-महत्वपूर्ण फेसबुक पोस्ट है। और ये लोग जो इसे इतना बढ़ा रहे हैं, वो सिर्फ अपनी नीची आत्मा को एक राष्ट्रीय नायक के नाम पर बढ़ा रहे हैं। भारत में ऐसे खिलाड़ी तो लाखों हैं, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिलता। ये सब बस चुनाव की चाल है।

  • Rakesh Joshi
    Rakesh Joshi

    देखो ये बात है! नीरज ने न सिर्फ एक थ्रो किया, बल्कि पूरे भारत के दिलों में आग लगा दी! ये जीत सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, पूरे देश की जीत है। जब तक एक भारतीय अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत करेगा, तब तक भारत अपनी दुनिया में नहीं बदलेगा। नीरज ने ये साबित कर दिया है। अब ओलंपिक के लिए तैयारी शुरू करो, हम तुम्हारे साथ हैं!

  • HIMANSHU KANDPAL
    HIMANSHU KANDPAL

    मैंने ये देखा कि नीरज को अभी तक एक भी विदेशी कोच नहीं मिला। ये सब देशी तकनीकों का नतीजा है। अगर उसे जर्मनी या नॉर्वे का कोच मिल जाता तो ये 88 मीटर तक जा सकता था। लेकिन हम अपने अहंकार के कारण ऐसे लोगों को अनदेखा करते हैं। ये देश की असली बीमारी है।

एक टिप्पणी लिखें