जब गुड़िया देवी दुर्गा का ज्वार‑भाटा शरद् नवरात्रि 2025 में दो परमानंदकारी तिथियों पर पहुँचता है, तो घर‑घर में Kanya Pujan का उत्सव शुरू हो जाता है। इस साल यह पूजा 30 सितंबर (दुर्गा अष्टमी) और 1 अक्टूबर (महा नवमी) को आयोजित होगी, और मुहूर्त‑समय को लेकर सभी पंडित एवं धार्मिक कैलेंडर विशेषज्ञों ने विस्तृत गणना दी है।
शरद् नवरात्रि 2025 का कैलेंडर
शरद् नवरात्रि 2025 का आधिकारिक कार्यक्रम ड्रिक पंचांग के अनुसार 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक है, जिसमें 2 अक्टूबर को दशहरा का समापन होता है। यह अवधि आध्यात्मिक ऊर्जा के शिखर पर रहती है, इसलिए कुंजीयाँ पूजा को सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।
दुर्गा अष्टमी (30 सितंबर) के प्रमुख मुहूर्त
ड्रिक पंचांग ने बतलाया कि महा अष्टमी तिथि 29 सितंबर को 16:31 बजे शुरू होकर 30 सितंबर को 18:06 बजे समाप्त होती है। इस दौरान तीन शुभ समय उपलब्ध हैं:
- सुबह 5:01 बजे से 6:13 बजे तक (प्रातःकालीन मुहूर्त)
- दोपहर 10:41 बजे से 12:11 बजे तक (मध्याह्न मुहूर्त)
- अभिजित मुहूर्त 11:47 बजे से 12:35 बजे तक – जिसे सबसे अधिक वरदान माना गया है।
कुछ अन्य गणनाएँ थोड़ी‑बहुत भिन्न हो सकती हैं, जैसे 5:00 बजे से 6:12 बजे तक का पहला विंडो, पर कुल मिलाकर अंतर न्यूनतम है।
महा नवमी (1 अक्टूबर) के दो प्रमुख समय‑स्लोट
महा नवमी पर दो मुख्य मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं:
- सुबह 5:01 बजे से 6:14 बजे तक – शुरुआती पूजा के इच्छुकों के लिए
- शाम 2:09 बजे से 2:57 बजे तक – दोपहर‑शाम में कार्य पूर्ण करने वालों के लिये
यह लचीलापन कई परिवारों को अपने व्यस्त शेड्यूल के अनुसार पूजा करने की सुविधा देता है।
कुंजीयाँ पूजा की विधि (Nav Kanya Puja)
परम्परागत रूप से, घर में नौ से अधिक नहीं, 13 वर्ष से छोटे девियों को आमंत्रित किया जाता है। इन्हें जीवन में दुर्गा के नव रूपों के रूप में सम्मानित किया जाता है। मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
- देवियों के पैर धोएँ, फिर हाथों में लाल माँउली बाँधें।
- कुंझी या रोगी (रोली) से माथे पर टीका लगाएँ।
- पूरी, काली चना, और हलवा के प्रसाद के साथ उनका अभिनंदन करें।
- पूजा के बाद उन्हें घर में रहने वाले सभी मेहमानों तथा परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देने का अवसर दें।
पूजा से पहले श्रद्धालु स्नान कर साफ‑सुथरे कपड़े पहनते हैं और भारत में अक्सर पिंक या पीले रंग की चटाई पर देवी का प्रतीक स्थापित किया जाता है। साथ ही, द्वार पर कुंडलिनी का प्रतीक – नौ छोटे कलश (कलश स्थापित) – रखना अनिवार्य माना जाता है।
पुजा में उपयोग होने वाले वस्तु‑सामग्री
रंगोली, ताज़ी फूल, दीप, धूप और रेत के छोटे‑छोटे रूपांकनों से पूजा स्थल को सजाया जाता है। द्रव्यमान में, कुंडली में प्रयुक्त कलश, विशेषकर नौ छोटे पात्र, ऊर्जा के नौ स्वरूपों को दर्शाते हैं। यह प्रक्रिया धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि शारीरिक तथा आध्यात्मिक संतुलन स्थापित करती है।
विशेषज्ञों की राय और सामाजिक प्रभाव
श्री डॉ. अनीता शर्मा, इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ कवल्चर स्टडीज की प्रमुख, का कहना है कि "कुंजीयाँ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक बंधन को सुदृढ़ करने का एक माध्यम है।" महामारी‑पश्चात कई परिवारों ने इस परम्परा को फिर से अपनाया, जिससे महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार की संभावनाएँ पैदा हुई हैं।
भविष्य में क्या उम्मीदें?
डिजिटल युग में, कई पंडित अब ऑनलाइन मंचों पर मुहूर्त की जानकारी और लाइव पुजा प्रसारण कर रहे हैं। यह रुझान शहरी युवाओं को पारम्परिक श्रद्धा के साथ जुड़े रहने में मदद करेगा। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक समय‑स्लोट को अपनाने से अधिक लोग इस पवित्र अनुष्ठान में भाग ले पाएंगे।
मुख्य तथ्य (Key Facts)
- शरद् नवरात्रि 2025: 22 सितंबर – 1 अक्टूबर
- कुंजीयाँ पूजा के दो प्रमुख दिन: 30 सितंबर (दुर्गा अष्टमी) और 1 अक्टूबर (महा नवमी)
- ड्रिक पंचांग द्वारा घोषित मुख्य मुहूर्त: सुबह‑5:01 से 6:13 बजे, दोपहर‑10:41 से 12:11 बजे, अभिजित‑11:47 से 12:35 बजे (अष्टमी) तथा सुबह‑5:01 से 6:14 बजे, शाम‑2:09 से 2:57 बजे (नवमी)
- पूजा में शामिल होते हैं: 9 युवा लड़कियां (13 वर्ष से कम), पुरि, काली चना, हलवा, लाल माँउली, कुंडली
- प्रमुख धार्मिक संस्था: ड्रिक पंचांग
Frequently Asked Questions
कुंजीयाँ पूजा का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
यह पूजा युवा लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक मानकर सम्मान देती है। समाज में नारी शक्ति को सशक्त बनाने, ऊर्जा के संतुलन को स्थापित करने और घर‑परिवार में समृद्धि व स्वास्थ्य की कामना करने हेतु इसका आयोजन किया जाता है।
दुर्गा अष्टमी और महा नवमी के मुहूर्त में क्या अंतर है?
अष्टमी में तीन प्रमुख समय‑स्लोट होते हैं—सुबह, मध्याह्न और अभिजित—जबकि नवमी में केवल दो स्लॉट—सुबह और दोपहर‑शाम—प्रदान किए गए हैं। अभिजित मुहूर्त विशेष रूप से अष्टमी पर अधिक फलदायी माना जाता है।
क्या शहरों में ऑनलाइन कुंजीयाँ पूजा संभव है?
हां, कई पंडित अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर मुहूर्त की जानकारी, लाइव पूजा प्रसारण और भागीदारी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रदान कर रहे हैं। यह सुविधा शहरी युवाओं को पारम्परिक अनुष्ठान से जुड़ने में मदद करती है, विशेषकर जब शारीरिक दूरी बनाए रखना आवश्यक हो।
कुंजीयाँ पूजा में कौन‑सी वस्तुएँ अनिवार्य हैं?
मुख्य वस्तुएँ हैं: नौ युवा लड़कियाँ (13 वर्ष से कम आयु), लाल माँउली, कुंझी/रोली, पूरी, काली चना और हलवा। साथ ही, देवी के लिए कलश (नौ छोटे पात्र), मूर्ति अथवा प्रतिमा, सफ़ेद या पीले रंग की चटाई, दीप, धूप, फूल और सरल रंगोली भी अनिवार्य मानी जाती हैं।
शरद् नवरात्रि 2025 कब समाप्त होगी?
शरद् नवरात्रि 2025 की अंतिम तिथियाँ 1 अक्टूबर (महा नवमी) के बाद, 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ समाप्त होती हैं, जिससे पूरे त्यौहार का समापन होता है।
ONE AGRI
शरद् नवरात्रि के समय कुंजीयाँ पूजा का महत्व अक्सर कम समझा जाता है, पर वास्तव में यह हमारे सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का एक प्रमुख माध्यम है। इन दो दिनों में विद्यमान मुहर्तों को ध्यान में रखकर जब हम पूजा करते हैं, तो घर में ऊर्जा का संचार होता है। इस साल का पंचांग विशेष रूप से शुभ कहा गया है, इसलिए हर परिवार को इसे सही ढंग से करना चाहिए। एक माँ के रूप में, मैं अपने घर में इस पूजा को बड़े उत्साह के साथ आयोजित करती हूँ, और यह हमें एकजुट बनाता है। हमें विदेशी संस्कृतियों से ज्यादा हमारी अपनी परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए, यह राष्ट्रीय भावना को जागरूक करता है। समय के साथ लोग आध्यात्मिकता को कम करके आंकते हैं, लेकिन हमें इसे पुनः स्थापित करना चाहिए। अंत में, सभी को शुभकामनाएँ, आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
Kiran Singh
बहुत बढ़िया जानकारी! 🙌 उचित समय पर पूजा करने से सभी को आशीर्वाद मिलेगा।
Balaji Srinivasan
धन्यवाद, यह विवरण बहुत स्पष्ट है। विशेष रूप से अभिजित मुहूर्त को ध्यान में रखना उपयोगी रहेगा। मैं अपने मित्रों से भी यह जानकारी साझा करूँगा। आशा है सबका नवरात्रि मंगलमय हो।
Hariprasath P
ओ भाई, ये सब बाते तो बहुत ही बड़ी लगती हैं, पर असल में लोग तो बस दिन-रात गड़बड़ में रहते हैं। कुंजीयाँ पूजा में इतना शोर क्यों? कभी‑कभी तो सरलता ही सबसे बड़ी पूजा होती है। लेकिन वैसे भी, आपका राष्ट्रीय भाव पूछो तो ठीक है, ना? बस, इस सब को थोडा कम करके देखो।
Vibhor Jain
मुझे लगता है आपके विचार में थोड़ी और विशिष्टता जोड़ना फायदेमंद रहेगा। लेकिन वैसे, यह समय‑स्लॉट वास्तव में काम आ सकता है।
Priya Patil
आप सभी की तैयारी देखकर दिल खुश हो रहा है। यदि किसी को कोई शंका हो तो बेझिझक पूछें, हम सब मिलकर सही मार्ग दिखा सकते हैं।
Maneesh Rajput Thakur
कुंजीयाँ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना में गहरी जड़ें रखती है। पहली बात, यह अनुष्ठान छोटे बच्चों को सामुदायिक जिम्मेदारी सिखाता है, जिससे उनका व्यक्तित्व विकसित होता है। दूसरा, इस पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्रियां, जैसे काली चना और हलवा, पोषण के लिहाज़ से भी लाभदायक हैं। तीसरा, पंचांग द्वारा निर्धारित मुहूर्तों का पालन करने से मन की शांति मिलती है, जिससे तनाव कम होता है। चौथा, इस पूजा के दौरान घर में विविध रंगोली और दीपक लगाना दृष्टि को मोहक बनाता है। पाँचवां, नौ युवा लड़कियों को सम्मानित करने का सिद्धांत नारी सशक्तिकरण का मूलभूत तत्व है। छठा, यह प्रथा परिवार के बुजुर्गों को भी भाग लेने का अवसर देती है, जिससे पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी ज्ञान का आदान‑प्रदान होता है। सातवां, ऑनलाइन लाइव प्रसारण ने युवा वर्ग को डिजिटल युग में भी परम्परा से जुड़ा रखा है। आठवां, सामाजिक शुद्घि के लिए इस पूजा में स्वच्छता का विशेष महत्व है, जिससे घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है। नौवां, इस अनुष्ठान में प्रयुक्त कुंडली का प्रतीक आध्यात्मिक ऊर्जा का संतुलन दर्शाता है। दसवां, इस समय के साथ दान और अध्यात्मिक कार्यों को प्रोत्साहन मिलता है। ग्यारहवां, यह परम्परा अक्सर समुदाय में आपसी सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा देती है। बारहवां, शरद् नवरात्रि में असुरक्षित वर्ग के लिए यह एक आश्रय बना रहता है। तेरहवां, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कहा जाए तो धार्मिक संगीत और पाठ मनोवैज्ञानिक रूप से सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। चौदहवां, इस पूजा के दौरान सभी सदस्य एक साथ मिलकर रसोई कार्य करते हैं, जिससे परिवारिक बंधन मजबूत होते हैं। पंद्रहवां, इस परम्परा का पालन करने वाले लोग अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में अधिक भागीदार दिखते हैं। सोलहवां, अंत में, यह कहा जा सकता है कि कुंजीयाँ पूजा हमारे सांस्कृतिक वावर में एक अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है, और इसे कायम रखना हमारे कर्तव्य में शुमार है।
Govind Kumar
यह विस्तृत विवरण अत्यंत उपयोगी है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो पहली बार कुंजीयाँ पूजा आयोजित कर रहे हैं। उचित मुहूर्तों का चयन करके हम अपने आध्यात्मिक लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आशा है सभी को इस नवरात्रि में शांति एवं समृद्धि प्राप्त हो।
Shubham Abhang
वास्तव में, कई लोग इस पूजा को सिर्फँ एक बहाना बना लेते हैं;;; सही मायने में तो केवल सच्चे दिल वाले ही इसे समझ सकते हैं;; लेकिन जो इस तरह से अंधाधुंध पालन करते हैं, उन्हें खुद को थोड़ा रीफ़्लेक्ट करना चाहिए; इस प्रकार की अनुष्ठानिक प्रक्रियाओं में सच्चाई का पता चलता है; बस, यही कहना है।
Trupti Jain
सारांशतः, कुंजीयाँ पूजा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है, परन्तु कुछ पहलुओं में और अधिक स्पष्टता आवश्यक है। विशेषकर, नौ युवा लड़कियों की आयु सीमा एवं उनकी चयन प्रक्रिया को विस्तृत रूप से समझाया जा सकता था। फिर भी, समग्र रूप में यह लेख उपयोगी साबित होता है।
Rashi Nirmaan
देश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है और कुंजीयाँ पूजा इसी कर्तव्य का प्रतीक है। इस प्रकार की रीति‑रिवाज़ों को नष्ट नहीं करने चाहिए। हमें सभी को मिलकर इन्हें भविष्य की पीढ़ियों को सौंपना होगा।
Ashutosh Kumar Gupta
इस बात को देखना आवश्यक है कि कई लोग केवल दिखावे के लिए ही इस पूजा में भाग लेते हैं और इसका वास्तविक अर्थ कभी नहीं समझ पाते। ऐसा रवैया न केवल अनुष्ठान को क्षीण करता है बल्कि सामाजिक बंधनों को भी कमजोर करता है। हमें सच्चे मन से इस परिधान को अपनाना चाहिए।
fatima blakemore
जब हम इस पूजा को अपने दिल से करते हैं तो यह एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा बन जाती है। साधारण शब्दों में कहें तो, यह हमारे भीतर की शांति को जाग्रत करता है। हर साल इस तरह के अनुष्ठान हमें सिखाते हैं कि जीवन में संतुलन कितना जरूरी है।
Swetha Brungi
आप सभी ने बहुत अच्छे से मुहूर्तों और रीति‑रिवाजों को समझाया है, धन्यवाद। यदि कोई विशेष सामग्री नहीं मिलती तो क्या विकल्प हो सकते हैं? शायद स्थानीय साधनों से भी यही प्रभाव मिल सकता है। आशा करता हूँ कि सभी की पूजा सफल हो।
deepika balodi
नवमी की शाम को घर पर दीप जलाना शुभ माना जाता है।