दिल्ली की हवा में दीवाली के अवसर पर प्रदूषण के स्तर में गंभीर बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुँच गया है। आगमी दिनों में पटाखों की वजह से यह 'गंभीर' श्रेणी में पहुँचने का भय है। प्रशासन पटाखों पर रोक लगाने के लिए कदम उठा रहा है, लेकिन समस्या लगातार गंभीर बनी हुई है।
वायु गुणवत्ता क्या है और क्यों जरूरी है?
हवा हमारे रोज़मर्रा का हिस्सा है, लेकिन अक्सर हम इसकी क्वालिटी पर ध्यान नहीं देते। वायु गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी बताती है कि हवा में कितने हानिकारक कण हैं। अगर इनकी मात्रा ज़्यादा हो तो सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी और यहां तक कि दिल‑फेफ़ड़े की बीमारी भी हो सकती है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि बाहर की हवा साफ़ है या नहीं।
वायु गुणवत्ता कैसे मापें?
आजकल मोबाइल ऐप, वेबसाइट और सरकारी स्टेशनों से आप आसानी से AQI (Air Quality Index) देख सकते हैं। भारत सरकार का स्मार्ट सिटी एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग नेटवर्क कई शहरों में स्थापित है। बस अपना शहर नाम डालें, आपको PM2.5, PM10, NO₂ आदि के स्तर दिखेंगे। अगर आपके पास कोई डिवाइस नहीं है तो स्थानीय समाचार चैनल अक्सर दैनिक AQI अपडेट देते हैं—इसे फॉलो करना भी मददगार रहेगा।
हवा साफ़ रखने के आसान कदम
आप खुद भी वायु गुणवत्ता सुधार सकते हैं। घर में धूम्रपान बंद रखें, बारी‑बारी से खिड़कियाँ खोलें और पौधे लगाएँ—ग्लूकोज़ाइट, तुलसी जैसे पत्ते हवा को फ़िल्टर करते हैं। कार चलाते समय इंधन की सही मात्रा इस्तेमाल करें और जितना हो सके सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट या साइकिल चुनें। छोटे‑छोटे बदलाव मिलकर बड़े असर डालते हैं और आपके परिवार की सेहत भी बेहतर रहती है।
भारत में हाल ही में मुंबई में भारी बारिश ने कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को अस्थायी रूप से सुधारा, पर बाद में तेज़ बाढ़ और ट्रैफ़िक जाम से धूल‑धक्कड़ फिर बढ़ गई। ऐसी स्थितियों में AQI जल्दी बदलता है, इसलिए रोज़ अपडेट देखते रहें। अगर आपका शहर लगातार ख़राब AQI दिखा रहा है, तो स्थानीय प्राधिकरणों को शिकायत कर सकते हैं या वैकल्पिक मार्ग चुन सकते हैं।
सारांश यह है—वायु गुणवत्ता सिर्फ वैज्ञानिक शब्द नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से जुड़ी चीज़ है। इसे समझें, मापें और सुधारने के लिए छोटे‑छोटे कदम उठाएँ। तब ही साफ़ हवा का पूरा फायदा मिलेगा।